भारत का दिल कहा जाने वाला मध्य प्रदेश अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है ! यूं तो मध्यप्रदेश को पर्यटन के कुछ खास स्थलों को छोड़ कर उतनी ख्याति प्राप्त नही है जितनी कि होनी चाहिए लेकिन फिर भी ऐतिहासिक जगहों और वास्तुकला प्रेमियों के लिए यहां के सभी स्थल बहुत महत्व रखते है !
आज मैं बात कर रहा हूँ भोपाल से लगभग 50 km दूर रायसेन जिले के एक छोटे से गांव सांची में स्थित बौद्ध स्तुपो की !
वैसे तो रायसेन जिले में कई बौद्घ स्मारक है लेकिन सांची इनमे से प्रमुख है !
यहां छोटे बड़े कई स्तूप है लेकिन इनमे एक स्तूप सबसे बड़ा है जिसे घेरे हुए कई तोरण है !
सांची के मुख्य स्तूप को सम्राट अशोक महान ने तीसरी शादी ई.पू. में बनवाया था ! इसके केंद्र में अर्द्ध गोलाकार ईंट निर्मित ढांचा था , जिसमे भगवान बुद्ध के कुछ अवशेष रखे थे ! इसके शिखर पर सम्मान के प्रतीक में एक छत्र था !
जैसा कि भारत के सभी प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों के साथ होता था सांची भी इससे कुछ अलग नही है ! इस स्तूप में भी आपको बहुत सी खंडित मूर्तिया मिलेंगी जो कि उस समय के मुगलो और क्रूर शासकों के क्रूरता का प्रमाण देती है !
भारत मे बौद्ध धर्म के पतन ने इन स्तुपो को खंडित अवस्था मे पहुँचा दिया !
यह स्मारक 1989 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित हुआ !
उदयगिरि की गुफाएं -
स्तूप से लगभग 8 km की दूरी पर ( विदिशा से 4 km ) 4-5 वी. सदी में निर्मित उदयगिरी की गुफाएं है ! गुप्त कालीन इन गुफाओं में तोरण श्रृंखला दर्शनीय है ! इसमें एक प्रमुख गुफा में भगवान विष्णु की वराह अवतार वाली मूर्ति भी है !
स्तूप के पास ही एक संग्रहालय भी है जिसमे प्राचीन काल की मूर्तियां और उनके इतिहास के बारे में उल्लेख है !
अगर आपको गिलहरियों से प्रेम है तो इस जगह की ढेर सारी गिलहरियों की अठखेलियों को निहार सकते है ! मैंने अपनी हथेलियों पर खाना रख जब उन्हें खिलाया तो यह एक अद्भुत अनुभव था मेरे लिए !
वैसे तो इस जगह पर सभी स्थानों से लोग आते है लेकिन बौद्ध धर्म को मानने वाले देशों से आने वाले पर्यटकों के लिए सांची एक प्रमुख स्थल है !
सबसे पास का रेलवे स्टेशन : सांची
जाने का समय : मानसून या अक्टूबर - फरवरी