भोपाल से 45 km दूर रायसेन के पास स्थित यह किला जितना विशाल है उतना ही पुराना इसका इतिहास भी है ! वास्तु और स्थापत्य कला प्रेमियों के लिए यह विशाल किला आकर्षण का केंद्र बिंदु है !
बलुआ पत्थरों से निर्मित 10 वर्ग km में फैले इस किले में 9 द्वार और 13 बुर्ज के अलावा चारदीवारी , भवन , तालाब और गुम्मद इसके एक विशाल इतिहास को आज भी बखूबी बयान करते है !
एक नजर इतिहास पर
11वीं शताब्दी के आस-पास निर्मित इस किले पर 14 बार विभिन्न राजाओं और शासकों के आक्रमण के बावजूद भी अनेकों पहाड़ियों पर निर्मित यह किला आज भी अपने अस्तिव को बरकरार रखे है !
कहते है 1543 ई में जब शेरशाह सूरी 4 माह की घेराबंदी के बावजूद इस किले को नहीं जीत पाया तो उसने विश्वास घात करके इस महल में प्रवेश कर लिया ! तत्कालीन शासक पूरनमल को जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने अपनी रानी का सर अपनी तलवार से खुद ही कलम कर दिया !
( जानकारी : साभार इंटरनेट )
वैसे तो यह किला हर किले की तरह ही है जैसे किसी भी किले के निर्माण के समय सुरक्षा प्रथम पैमाना होता है लेकिन इस किले की कुछ बाते ऐसी है जो इसे अन्य किलो से अलग बनाती है !
वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
10 वर्ग km में फैले इस किले में वैसे तो कई तालाब है लेकिन इसमें एक मुख्य तालाब जो कि भूमिगत नालियों द्वारा पूरे किले परिसर से जुड़ा हुआ है ! ये भूमिगत नालियों का तंत्र खुद में एक अनसुलझी पहेली सी है कि वर्षा का जल कहाँ से और कैसे इकट्ठा होता है , लेकिन यह तत्कालीन राजाओ के दूरदर्शी और जागरूकता का प्रमाण देता है !
विज्ञान का नायाब अजूबा एको साउंड सिस्टम
बताते है कि इत्र दान महल में स्थित आले इको साउंड सिस्टम का नायाब अजूबा है ! अगर आप किसी आले में मुँह डालकर कुछ whisper करेंगे तो 20 ft दूर बने विपरीत आले में कोई दूसरा उसे साफ सुन सकता है ! यह महल अब बन्द रहता है !
किला परिसर में बने सोमेश्वर महादेव मंदिर के अलावा हवा महल, रानी महल, झांझिरी महल, वारादरी, शीलादित्य की समाधी, धोबी महल, कचहरी, चमार महल, बाला किला, हम्माम, मदागन तालाब है।
शिव मंदिर
किले में जो शिवमंदिर है अब वो साल भर में सिर्फ एक ही दिन शिवरात्रि के दिन खोला जाता है और यहाँ मेले का भी आयोजन किया जाता है !
आज हम इस किले के बारे में उतना ही जानते है जितना इतिहास के पन्नो में लिखा है लेकिन अगर सच मे आप उससे ज्यादा महसूस करना चाहते है तो इस किले को बहुत करीब से देखिए , आप इस किले के उस इतिहास को महसूस कर पाएँगे जो अब कहीं पन्नो में भले अंकित न हो लेकिन किले में मौजूद हर पत्थर इसकी कहानी बयाँ कर रहा है !
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5 Dec 2019