जो लोग दक्षिण दिल्ली के इलाकों में रहते हैं, ज्यादा आसार है कि उन्होंने वेंकटेश्वर मार्ग पर रामकृष्ण पुरम सेक्टर-3 (आरके पुरम सेक्टर-3) स्थित बिजरी खान के इस मकबरे को कभी-न-कभी तो देखा ही होगा। अगर नहीं देखा, तो अभी देख लीजिए क्योंकि इस लेख में शायद थोड़ी जानकारी साथ ही मिल जाये।
कभी-कभी बस से जाते वक्त झोपड़-पट्टियों और बस्तियों के बीच एक बड़ा-सा गुम्बद दिख जाया करता था, जिसके बाहर नीले बोर्ड पर लिखा 'बिजरी खान का मकबरा' हर बार बस की रफ्तार के साथ ही कहीं पीछे छूट जाता। हालाँकि मन में कसक थी कि एक बार यहाँ भी होकर आऊँ पर चूँकि इस ओर कम आना होता है, इसलिए पहुँचने में थोड़ा समय लगा।
यूँ तो बिजरी खान कौन थे, क्या थे, इसकी कोई ठोस जानकारी नहीं। मगर इतना सुनिश्चित है कि वे लोदी साम्राज्य के वक्त ही दिल्ली में निवास करते थे। ऐसा भी माना जाता है कि बिजरी खान लोदी दरबार के एक प्रतिष्ठित सदस्य थे, पर चूँकि इसके भी कोई पुख्ता सबूत नहीं, ASI ने इस जानकारी को अपने रिकॉर्ड में जगह नहीं दी।
खैर, मैं आरके पुरम सेक्टर-3 बस स्टैंड पर उतर चुका था, और वहाँ से बस 300 मीटर की ही दूरी पर स्थित बिजरी खान के इस मकबरे की ओर पैदल ही चल दिया। यदि आप मेट्रो से सफर कर इस स्थान पर आना चाहते हैं तो पीली लाइन पर स्थित एम्स मेट्रो स्टेशन इसके सबसे करीब है। वहाँ से आप ऑटो लेकर यहाँ पहुँच सकते हैं।
पैदल चलते-चलते मैं मकबरे के बाहर पहुँचा। आसपास छोटी-छोटी गरीब झोपड़-पट्टियाँ हैं, तो मकबरा दूर से ही दिख जाता है। हाँ, आसपास के घने पेड़ जरूर कुछ बाधा उतपन्न करें। बिजरी खान का ये मकबरा एक ऊँचे चबूतरे पर बना है, जिसपर चढ़ने के लिए एक छोटी-सी सीढ़ी बनी हुई है। पहले मुझे लग रहा था कि कई अन्य जगहों की तरह लोग यहाँ भी नहीं आते होंगे, मगर मेरी ये आशंका तब टूट गई जब मैंने मकबरे की बाहरी दीवार पर आसपास के लोगों के कपड़े सूखते देखे। किसी का मकबरा, किसी के कपड़े सुखाने के काम आ रहा। कमाल है!
मैं मकबरे की ओर बढ़ा तो वहाँ का मुख्य दरवाजा अंदर से बन्द दिखा। मैंने उसे खटखटाया तो उनींदा-सा गार्ड मुझे ऐसे घूरा मानो मैंने उससे उसकी जायदाद माँग ली हो। खैर, ऐसी गुमनामी इमारतों के गार्डों द्वारा ऐसे घूरे जाने की आदत हो गयी है मुझे। मैंने गार्ड को गेट खोलने कहा तो उसने सवाल किया-"अकेले ही हो?" मैंने हाँ में जवाब दिया तो उसने गेट खोला। हालाँकि मुझे इस प्रश्न का कोई तुक समझ नहीं आया मगर इतना जरूर समझ गया कि बिजरी खान के इस मकबरे में आने-जाने की इजाजत ASI से ज्यादा यहाँ के गार्ड के मूड पर निर्भर करती है।
मैं अंदर गया तो पेड़ों की झुरमुटों और छोटी झाड़ियों के सामने दिखा अपनी शान के लिए बिजरी खान का मकबरा। हालाँकि, दिल्ली के कई अन्य मकबरों की तुलना में ये मध्यम आकार का है, परन्तु आसपास का क्षेत्र काफी छोटा होने की वजह से आप इसके काफी करीब होते हैं, जिस कारण ये विशालकाय प्रतीत होता है। मुझे तो बाउंड्री के अंदर से इस मकबरे की पूरी तस्वीर लेने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी थी।
मकबरे का गुम्बद लाल बलुए पत्थर का बना है, जोकि वाकई काफी आकर्षक लगता है। दीवारें कहीं-कहीं हल्की क्षतिग्रस्त जरूर हैं, मगर फिर भी उससे इसके तेज पर कोई खास असर नहीं पड़ता। मकबरे के दूसरी तरफ काले रंग का एक और तुगलक कालीन मकबरा देखने को मिलेगा, और उसी के बगल में दिखता है बिजरी खान के मकबरे का गेट जिसपर फिलहाल कुंडी लगी हुई है, मगर अंदर झाँकने में कोई परेशानी नहीं। अंदर 5 कब्र है, और ऊपर गुम्बद पर जाने पर जाने के लिए सीढ़ीनुमा रास्ते (जोकि आपको शायद न दिखे)। इसके अलावा वहाँ आपको शायद ज्यादा कुछ खास न दिखे।
बिजरी खान का मकबरा भले ही आमजन और आसपास के लोगों में कौतहूलता न जगा पाया हो, मगर पुरातात्विक विभाग इसे लेकर गम्भीर दिख रहा है। कुछ समय पहले इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) ने बिजरी खान के इस मकबरे को 'A' ग्रेड श्रेणी में जगह दी, जिसके बाद इसका महत्व एक ऐतिहासिक धरोहर से बढ़कर एक पुरातात्विक धरोहर जितना हो गया। पुरातात्विक विभाग तो जल्द-से-जल्द इसकी मरम्मत का काम शुरू करना चाहती है परंतु आसपास की बस्तियों की वजह से काम शुरू नहीं हो पा रहा। हालाँकि इसके संरक्षित इमारत की श्रेणी में आने के बाद INTACH और ASI के पास अवैध बस्तियों को वहाँ से हटाकर इसे अपने मूलस्वरूप में लाने की पूरी आजादी हो। खैर, ये तो बाद की बात है। फिलहाल ये कि अगर फिर कभी इस ओर से जाएँ, तो इस मकबरे से होते हुए जाएँ। ज्यादा वक़्त नहीं लगेगा, और अब इसकी थोड़ी-बहुत जानकारी तो आपके पास है ही...
कैसे जाएँ?:- निकटतम मेट्रो स्टेशन पीली लाइन का एम्स है। आरके पुरम सेक्टर 3 और सेक्टर 4 इसके निकटतम बस स्टैंड।
प्रवेश शुल्क:- निःशुल्क
समय:- सूर्योदय से सूर्यास्त