मुझे अपनी उच्च शिक्षा की वजह से इंग्लेंड के बर्मिंघम शहर में लगभग 2.5 वर्ष रहने का मौका मिला. यहाँ रहने के दौरान मुझे अंग्रेजो ने बताया की अंग्रेजी साहित्य के महान साहित्यकार विलियम शेक्सपियर का जन्म स्थान स्ट्रैटफ़ोर्ड अपॉन एवन सिटी बर्मिंघम से मात्र 35 किलोमीटर की दुरी पर है.
मेने स्ट्रेटफोर्ड घुमने का प्लान बनाया एवं में अपने मित्रो के साथ वीकेंड पर यहाँ चला आया. इसके लिए हमने बर्मिंघम सिटी सेंटर के बस अड्डे से बस पकड़ी एवं 1 घंटे की दुरी तय करके बस स्ट्रेटफोर्ड पहुंची.
26 अप्रैल 1564 इंग्लैंड के स्ट्रेटफोर्ड – अपॉन – एवन शहर में महान साहित्यकार विलियम शेक्सपियर का जन्म हुआ था.
विलियम शेक्सपियर, जॉन शेक्सपियर तथा मेरी आर्डेन के बड़े पुत्र एवं तीसरी संतान थे. इनका जन्म स्ट्रैटफोर्ड आपन एवन में हुआ. बाल्यकाल में शिक्षा स्थानीय फ्री ग्रामर स्कूल में हुई. परिवार की बढ़ती हुई आर्थिक कठिनाइयों के कारण उन्हें पाठशाला छोड़कर छोटे मोटे धंधों में लग जाना पड़ा. जीविका चलने के लिए उन्होंने लंदन जाने का निश्चय किया. इस निश्चय का एक दूसरा कारण भी था, कदाचित् चार्ल कोट के जमींदार सर टामस लूसी के उद्यान से हिरण की चोरी की ओर कानूनी कार्यवाही के भय से उन्हें अपना जन्मस्थान छोड़ना पड़ा. जिसका उन्हें मलाल था.
शेक्सपियर में अत्यंत उच्च कोटि की सर्जनात्मक प्रतिभा थी और साथ ही उन्हें कला के नियमों का सहज ज्ञान भी था, प्रकृति से उन्हें मानो वरदान मिला था अत: उन्होंने जो कुछ छू दिया वह सोना हो गया. उनकी रचनाएँ न केवल अंग्रेज जाति के लिए गौरव की वस्तु हैं वरन् विश्ववांमय की भी अमर विभूति हैं. महान शेक्सपियर की कल्पना जितनी प्रखर थी उतना ही गंभीर उनके जीवन का अनुभव भी था, अत: जहाँ एक ओर उनके नाटकों तथा उनकी कविताओं से आनंद की उपलब्धि होती है वहीं दूसरी ओर उनकी रचनाओं से हमको गंभीर जीवनदर्शन भी प्राप्त होता है. विश्वसाहित्य के इतिहास में शेक्सपियर के समकक्ष रखे जानेवाले विरले ही कवि मिलते हैं.
में भाग्यशाली हु जो मुझे इतने महान साहित्यकार के बर्थ प्लेस देखने का मौका मिला. मेने 15 पौंड खर्च करके शेक्सपियर ट्रस्ट की 1 वर्ष की मेम्बरशिप ली, जिसमे मुझे 1 वर्ष तक बार बार वहा आने एवं उनके नाटक जैसे रोमिओ-जूलियट देखने की सुविधा मिली .
स्ट्रैटफ़ोर्ड अपॉन एवन क़स्बा इतना छोटा है की पैदल ही पूरा शहर 2 घंटे में घूम सकते है. मुझे स्थानीय लोगो ने बताया की स्ट्रैटफ़र्ड अपॉन एवन में शेक्सपीयर की क़ब्र आज भी है जिसे आज तक खोदा नहीं गया है. स्कैन की मदद से क़ब्र को बिना नुक़सान पहुंचाए नई जानकारियां मिलने की उम्मीद है. होली ट्रिनिटी चर्च में, जहां शेक्सपीयर की क़ब्र मौजूद है, उनके परिवार के पांच लोग दफ़न हैं.
मुझे कुछ स्थानीय लोगो ने बताया कि क़ब्र के नीचे शायद कोई बड़ा सन्दूक़ दबा हुआ है. ये भी एक राज है कि क्या शेक्सपीयर को दफ़नाते वक़्त उनके साथ दूसरी चीज़ें भी रखी गई होगीं. शेक्सपीयर का निधन 23 अप्रेल 1616 में हुआ था. उनकी क़ब्र पर चार पंक्तियां खुदी हैं.जिसमें कुछ शब्द ऐसे हैं जिससे समझा जाता है कि क़ब्र खोदने पर मनाही है.
मुझे वहा से वापिस लौटते हुए शेक्सपियर के ये महान वाक्य स्मृति में आने लगे - "
"बीती बात को बार-बार याद कर शोक मनाना, नई मुसीबत बुलाने जैसा है, जो हमारी किस्मत में नहीं है, उसके लिए शिकायत करना बेकार है"
शेक्सपियर के नाटक ‘ओथेलो’ में यह संवाद है, यहां यह सीख दी जा रही है कि कुछ चीजों को छोड़ना ही जीवन में आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका है. यदि आप बीती बातों पर शोक मनाते रहेंगे, तो आप उससे आगे कभी नहीं बढ़ पाएंगे. आप भाग्य नहीं बदल सकते हैं, तो आप इसके बारे में शिकायत करके इसे और भी बदतर बनाते हैं. बजाय इसके, अगर आप चीजों का मुस्कुरा कर सामना करते हैं, तो परेशानी जल्द दूर होती है.