शायद कुछ लोगों को इस जगह का पता हो, अधिकतर को नहीं। अभी कुछ दिन पहले मैं दूसरी बार गया वहाँ। इससे पहले मैं आज से लगभग डेढ़ साल पहले इस ओर आया था, वो भी इत्तेफ़ाक से। यूँ समझिए कि जिस तरह कोलम्बस भारत की तलाश में निकलकर अमेरिका पहुँच गया, कुछ मेरे साथ भी हुआ। अहिंसा स्थल महरौली में है और महरौली ही वो जगह है जहाँ विश्वप्रसिद्ध कुतुबमीनार भी है। मैं गया तो था कुतुब मीनार ही, लेकिन बदकिस्मती से उस दिन रविवार था और भीड़ मानो नोटबन्दी की लाईन से भी लम्बी। तो मैंने समझदारी दिखाकर उस जगह से निकलना ही बेहतर समझा।
खाली हाथ नहीं लौट सकते थे, इसलिए किसी और जगह की तलाश ज़रूरी थी और किस्मत देखिए मुझे ज्यादा दूर भी नहीं जाना पड़ा। कुतुब मीनार के रास्ते से बाहर अनुव्रत मार्ग की तरफ आकर दायें चलते-चलते मुझे पास में ही एक बड़ा-सा मकबरा दिखा जोकि किसका था, पता नहीं। हालाँकि बाद में उस ओर जाने पर पता चला कि वो अज़ीम खान का मकबरा था। मैं वहीं जाने के लिए आगे बढ़ा कि अहिंसा स्थल नामक ये जगह दिखी और मुझे लगा शायद यहीं से रास्ता अज़ीम खान के मकबरे की ओर जाता होगा, इसलिए मैं अंदर घुस गया। अंदर गया तो गेट पर काम करने वालों के अलावा और कोई नहीं। एक नज़र दौड़ाई आसपास तो वह जगह बेहद खूबसूरत नज़र आई। इसलिए मैंने सोचा कि पहले अहिंसा स्थल ही घूमें, फिर उस मकबरे में। चूँकि ये एक जैन मंदिर है इसलिए वहाँ हिंसा को एकदम ही ना कहा गया है। अगर आप कभी वहाँ जाएँ तो कृपया लैदर का सामान साथ न ही ले जाएँ तो बेहतर, और अगर ले गए हैं, तो उसे मुख्य द्वार के पास ही जमा करवा दें।
मैं इन शुरुआती औपचारिकताओं को पूरा कर ऊपर सीढ़ी चढ़ मंदिर में गया तो लगा मानो अलग ही दुनिया में आ गया हूँ। पूरी दिल्ली पॉल्यूशन और शोर से भरी हुई है और ये जगह एकदम स्वच्छ और शांत। इतना सुकून मिला यहाँ कि मैं बयां नहीं कर सकता। सामने थी भगवान महावीर की एक लगभग चौदह फीट ऊँची मूर्ति, ऊपर खुला नीला आसमान और चारों ओर हरी-भरी सी लगती दिल्ली। मंदिर से एक ओर कुतुबमीनार दिख रहा था, तो एक ओर वो अजीम खान का मकबरा। डेढ़ साल पहले मैं शाम में जब मौसम हल्का ठंडा हो जाता है, तब गया था तो एक अच्छा-खासा वक्त बिता पाया। मैं सलाह दूँगा कि भरी दोपहर में तो कतई ना जाएँ वहाँ, क्योंकि मंदिर में मार्बल लगा हुआ है और खुले आसमान से नीचे होने की वजह से सूरज की सीधी धूप पड़ती है वहाँ। इसलिए आपका एक जगह खड़ा होना या खड़े होकर तस्वीर खिंचाना दूभर हो जाएगा। स्थिति नाचते-फिरने वालों से ही जाएगी इसलिए कोशिश करियेगा कि ज़रा ठंडे वक्त में जाएँ। जगह शांत है काफी और सुंदर भी, आप निश्चित ही अच्छा वक्त बिताएँगे। अभी कुछ दिन पहले डेढ़ साल बाद वापस मैं अपने दोस्तों को वहाँ घुमाने ले गया था और उन्हें भी वो जगह बेहद पसंद आई। महरौली में ही है, कुतुब मीनार के पास। कभी हो आईये।
बाकी पीछे जो वो अजीम खान का मकबरा है, मैं वहाँ भी गया हूँ। वो दूर से ही देखने में अच्छा लगता है, बड़ा और विशालकाय। उसके भीतरी भाग में जाने से मनाही है इसलिए ताला लगा हुआ है, तो शायद आप बस वहाँ तस्वीर खिंचाकर ही लौट आएँगे। पर कुतुबमीनार जा रहे तो अहिंसा स्थल भी जाईये। अहिंसा स्थल जा रहे तो पीछे के रास्ते से अजीम खान का मकबरा भी देख आईये। हर्ज ही क्या है...❤️
समय:- सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक
प्रवेश शुल्क:- शून्य
कैसे जाएँ?- कुतुब मीनार मेट्रो स्टेशन पर उतरकर ई-रिक्शा ले लें। 5 मिनट में आप अहिंसा स्थल में होंगे