ब्रेकअप के बाद किया अंडमान का सफर, ज़िंदगी को मिला एक नया नज़रिया!

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Photo of ब्रेकअप के बाद किया अंडमान का सफर, ज़िंदगी को मिला एक नया नज़रिया! by Shivani Rawat

चाहे कितनी बार भी हुआ हो, दिल टूटने के रूबरू होना थोड़ा मुश्किल है। हर रिश्ता एक उम्मीद लेकर आता है। दिल को हर बार लगता है यही वो इंसान है जो मेरे लिए बना है और "हैप्पिली एवर आफ्टर" नज़र आता है। पर दिल के टुकड़े में देर नहीं लगती।

मैंने काफी सारे लोगों को ब्रेकअप से अलग अलग तरीकों से निपटते हुए देखा है। कुछ शराब में डूब जाते हैं, कुछ खुद को बंद कर लेते हैं। लेकिन मेरे लिए टूटे दिल को जोड़ने का राम बाण है ट्रैवल। जब मेरा अपने बॉयफ्रेंड के साथ ब्रेकअप हुआ तो मैंने बैग उठाया और निकल पड़ी एक नए सफर पर, अकेले!

मेरा ब्रेकअप

2015 के अंत में मेरा तीन साल का रिश्ता खत्म हुआ । मेरी दुनिया उलट पलट होगयी, मुझे पता ही नहीं चला कि मेरे साथ क्या हुआ है। बस में इसके लिए तैयार नहीं थी ।

हम कॉलेज से साथ थे। पहली जॉब भी एक साथ स्टार्ट करी। देखा जाए तो उसके आलावा मैंने दुनिया देखी ही नहीं पिछले कुछ सालों में। इस ब्रेकअप ने मुझे काफी दुखी और अकेला बना दिया। रात को रोती थी क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि घरवालों को पता लगे और दुःख पहुँचे। एक्स से भी बात करने की कोशिश करी। ना काम में मन लगता था, ऑफिस वालों के साथ रोज़ झगड़ा। मेरा बॉस भी तंग आकर मुझे नौकरी से निकालना चाहता था। कुछ भी सही नहीं लग रहा था।

जादुई सफर जिसने बदल दी ज़िंदगी

ब्रेकअप से पहले हम दोनों अंडमान जाने का सोच रहे थे। काफी सारे ट्रैवल एजेंट्स के साथ बात चीत भी चल रही थी। ब्रेकअप के बाद मैं तो भूल ही गयी थी कि ट्रिप प्लान हो रहा था। फिर कुछ गज़ब हुआ। मुझे अचानक एक होमस्टे से मेल आयी जहाँ हम जाने का सोच रहे थे। मैं काफी परेशान थी पर इस मेल ने मुझे जगा दिया। मैंने फैसला किया कि मैं अकेले ही जाउँगी इस ट्रिप पर, जाने के लिए नोट्स बनाए, टिकट खरीदी और बुकिंग करी। जो भी बजट में आ रही थी, वो पहली फ्लाइट बुक करी। मेरे बॉस ने भी बना चिक चिक के छुट्टी अप्रूव कर दी। शायद उसे भी पता था कि मुझे यह चाहिए। तीन दिन बाद मैं निकलने के लिए तैयार थी।

वैसे तो यह फैसला जल्दबाज़ी का था पर मुझे और कोई रास्ता नहीं दिख रहा था। अगर ज़्यादा दिमाग लगाती तो शायद नहीं जा पाती। और यही ट्रिप मेरी ज़िन्दगी का सबसे यादगार ट्रिप बन गया।

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दुनिया से दूर, खुद के करीब

मुझे यह डर था कि बाकी जोड़ियों को देखकर कहीं मैं ठीक होने की जगह और मायूस ना होजाऊँ। पर उसके विपरीत ही हुआ। पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डे पर मैं काफी घबराई हुई थी। पहली बार शायद ऐसा हुआ था कि मैं ब्रेकअप के बारे में नहीं सोच रही थी। और तभी मुझे एहसास हुआ कि मैं उसके बिना भी मस्ती कर सकती हूँ और मेरी भी एक ज़िन्दगी है। मेरा आत्मविश्वास वापिस आ रहा था। दिल्ली से बाहर जाकर ऐसा लगा कि मैं साँस ले सकती हूँ। लोग कहते है कि समय घाव भर देता है। इधर दूरी ने भी मेरा साथ दिया।

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आज़ादी की हवा

वहाँ पहुँच कर मुझे सिर्फ आज के ऊपर ध्यान देने में मज़ा आने लगा। खुद को सुरक्षित रखना भी एक अकेली लड़की का फुल टाइम काम है। मैं दौड़ भाग में सब भूल चुकी थी। जब बीच पर एक शैक पर बैठी आराम से तो मन हल्का हुआ। अपनी ज़िन्दगी के बारे में सोचा और थोड़ा मुस्कुराई। बहुत दिनों बाद मुस्कान हाथ लगी थी।

फिर मेरा मन किया कि छुट्टियाँ सिर्फ बैठ कर नहीं बितानी। मैंने स्कूटी किराए पर ली और निकल पड़ी। स्कूबा डाइविंग से लेकर अनजान लोगों के साथ नाचने तक, सब कुछ ख़ुशी ख़ुशी किया।

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खुद से मिलना

जितना समय मैंने अकेले जंगलों और बीच पर गुज़ारा, उतना ही मैं अपने और अपने पुराने रिश्ते के बारे में सोच पायी। बिना इंटरनेट के सिर्फ अपने ख्याल और अनजान लोगों के साथ बातचीत करने का मौका मिला। मेरा एक्स इंटरनेट पर क्या कर रहा है, यह देखने का ना टाइम था और ना ही कनेक्शन। मैं सिर्फ आज के लिए जीने लगी। धीरे धीरे एक्स के ख्यालों से भी थक चुकी थी। ज़िन्दगी को एक दूसरे नज़रिये से देखकर अच्छा लगा। दिल टूटने का ग़म थोड़ा काम हो गया था यहाँ आकर। सब कुछ वैसे भी तुच्छ लगने लगा। नज़रिये नज़रिये की बात है।

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नए दोस्त मिलना

काफी लोग मिले, कुछ दोस्त भी बन गए। हेवलॉक में एक छोटी लड़की मिली जिससे मैं काफी जल्दी कनेक्ट कर पायी। होमस्टे के मालिक की बेटी थी। उसने मुझे ज़िन्दगी की छोटी छोटी चीज़ों में ख़ुशी ढूँढ़ना सिखाया। उसकी ज़िंदगी हमारी शहर की ज़िंदगी की तरह तेज़ नहीं थी, पर वो फिर भी संतुष्ट थी। उसके साथ दो दिन बिताए जो इस ट्रिप के सबसे यादगार दिन थे।

ख़ुशी ख़ुशी वापिस जाना

वापिस जाते हुए, चीज़ें मेरे दिमाग में कुछ हद तक सुलझ गयी थी। मैं यह नहीं कह रही कि एक्स को भूल चुकी थी पर हाँ दिल थोड़ा हल्का हो चुका था। मुझे डर था कि दिल्ली पहुँच कर फिर मेरा वही हाल होगा, पर ऐसा नहीं हुआ। जिस हफ्ते मैं पहुँची, उसी हफ्ते मैं हमारे कॉमन दोस्तों से जाकर मिली। और अब मेरे एक्स बॉयफ्रेंड का ख्याल नहीं सता रहा था। चीज़ें वापिस अपनी जगह पर आने लगी थी और अब थोड़ा अच्छा लग रहा था। जैसे मैंने अपनी आत्मा पर काबू पा लिया हो।

अब मैं मुड़कर देखती हूँ मैं सिर्फ इस ट्रिप के बारे में सोचती हूँ, ब्रेकअप के बारे में नहीं। सोलो ट्रिप पर जाना उस समय ब्रेकअप करने से बड़ा निश्चय था और आज मैं बहुत खुश हूँ अपने इस निश्चय से। ट्रिप ने मेरी दुनिया बदल दी, और मुझे एहसास हुआ ट्रैवल कितने तरीकों से आपकी दुनिया बदलता है।

अगर आप मुझे पढ़ते है Tripoto पर तो इसके बारे में मैंने पहले इसलिए नहीं लिखा क्योंकि मुझे डर था कि लोग मुझे जज करेंगे। शब्द भी नहीं मिलते जब भी लिखने बैठती थी। लेकिन जब मैंने इसके बारे में एक दोस्त को बताया जिसका ब्रेकअप हुआ था, वो इंस्पायर होकर ट्रिप पर निकल गयी। तो मैंने सोचा कि अगर एक भी आदमी इस को पढ़कर मदद मिल सके, तो इसको लिखना बहुत ज़ररी है।

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अगर आप के पास भी ऐसी कोई ट्रैवल स्टोरी है तो Tripoto पर ज़रूर लिखिए। आपका मन भी हल्का होगा और लोगों को प्रोत्साहन मिलेगा।

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