
*राजस्थान की एक प्रसिद्ध लोक कथा के अनुसार सिंध (आज के पाकिस्तान) के अमरकोट राज्य के राजा महेंद्र को एक बार शिकार के दौरान जैसलमेर की सबसे खूबसूरत राजकुमारी मूमल का दीदार हो गया।* दीदार क्या हुए आंखें चार हो गयीं और दोनों के बीच लव एट फर्स्ट साइट वाले प्यार का अंकुर फूट पड़ा। अब हर दिन महेंद्र, सौ मीलों से ज्यादा का सफर तय करके जैसलमेर आया करता था, हर शाम कुछ पल मूमल के साथ बिताने के लिए। महेंद्र को बड़ा सुकून मिलता होगा, मूमल की गोद में सर रख के सोने में। ठीक उसी तरह शायद, जैसे दिन भर की थकान, जैसलमेर के मरूस्थल की चिलचिलाती गर्मी और रेत के टीलों के बीच रहने के बाद किसी सैलानी को मिलता होगा जब वो शाम को *Hotel Marriott* 🏨 में वापिस आता होगा। ये बात मैं डंके की चोट पर इसलिए कह सकता हूं, क्यूंकि हाल ही में, मैं इसका अनुभव कर चुका हूं।
बहुत सारे होटल्स आपको घर का सुकून देने का वादा करते हैं पर शायद जैसलमेर का मैरियट ही है, जो इस आश्वासन को अक्षरशः निभाता भी है। अभी कुछ दिनों पहले ही मैं राजस्थान के जैसलमेर नाम के शहर में अपने दोस्तों के साथ भ्रमण के लिए आया। कुछ सर्वे के बाद मुझे यही सबसे उपयुक्त स्थान लगा जहां हम तसल्लीबख्श हो लगभग एक पखवाड़ा तो बिता ही सकते थे। और हम निराश हुए भी नहीं।
पहले क्षण से ही मैरियट खुद को एक पांच सितारा होटल के पैमानों पर बखूबी खरा उतार लेता है और आपका दिल जीत लेता है। प्रॉपर्टी भीतर से मॉडर्न और बाहर से जैसलमेर के प्रसिद्ध सुनहरी पत्थरों से सजी हुई एक पुरातन राजस्थानी हवेली सी लगती है।अंदर प्रवेश करते ही आपको मिलेंगे कुछ मुस्कुराते हुए चेहरे और बड़ी बड़ी मूछों के पहरे; केसरिया साफा बांधे हुए भैरों सिंह, एक लंबे तगड़े से दरबान और आपकी खातिरदारी करने को बेसब्र कई सारे कद्रदान।। बड़े से दरवाज़े के भीतर आते ही बसंती पोशाक में स्वागत करने को आतुर, हाथों में चंदन के तिलक की थाली लिए कश्मीर की मिस अंदलीब, जैसे बरसों पुरानी कोई राजस्थानी तहज़ीब। साथ ही मिले गंगानगर के गुरप्रीत, कानपुर की कृति अपनी कृतियों की बातों के साथ और समझदार से मिस्टर वेद। जैसा था नाम वैसा ही काम, वेद का ज्ञान, जैसे था हर समस्या का समाधान, और साथ में फ़्री, उसकी विनम्र सी मुस्कान। कमरे में पहुंचे तो बेसन के दो लड्डू जैसे अभी अभी मां ने ताज़ा ताज़ा बना कर रखे हों। नाप तौल कर भरी हुई मिठास और स्वाद बेहद ही खास। नज़र बिस्तर पर गई तो सफ़ेद चादर पर फूल पत्तियों का प्रिंट दिखा, बड़ा रोचक लगा, पर नज़दीक से देखा तो ये कोई डिज़ाईन नहीं वरन् बोगन बिलिया की पंखुड़ियों और कुछ हरी पत्तियों से बनायी हुई एक रंगोली सी निकली। जिसकी मासूम सी महक ने कमरे का वातावरण मनमोहक बना रखा था और किसी अर्टिफिशियल रूम फ्रेशनर की ज़रूरत को नदारद कर रखा था।ताज़ा से दो फल, खिड़की के पास वाली बैठक पर यूं सजे थे मानो आमन्त्रित कर रहे हों कि आओ मेहमान, हमारे पास बैठो और हमारे साथ खिड़की के उस पार दिख रहे बागीचे के नज़ारे का लुत्फ उठाओ। तन भी स्वस्थ हो जाएगा आपका और मन भी।
पर कब तक बस इस सुंदरता से पेट भरते, तो चल पड़े हम भोजन की तलाश में जैसलमेर किचन। एक मानी हुई पहचान है इसकी, पूरे जैसलमेर में अपने ज़ायके और यहां के स्टाफ के मीठे से रवैए, दोनों के कारण। तो हम भला कैसे अछूते रह जाते इस पकवान प्रेम से।।
इंद्राणी नाम की एक मिठाई होती है, वो तो इस फूड कोर्ट में नहीं मिली पर एंटर करते ही कलकत्ता की मिस इंद्राणी के द्वारा किए जाने वाले स्वागत में मिठास बिल्कुल उतनी ही थी। आगे बढ़े तो हरियाणा के आशीष की मेहमान नवाज़ी से मुलाकात हो गई। उधर दूसरी ओर, सुपरवाइज़र राजेन्द्र, उसकी पैनी आंखों और उसके बाकी एग्जिक्यूटिव्स को किए गए इशारों से प्रतीत हो रहा था कि मानो सबसे सीनियर होगा। वो अपना काम बखूबी पूरा कर रहा था। अभी हम राजेन्द्र का देख ही रहे थे निरीक्षण,
कि आ धमकी राजस्थान की मिस इतिका लेकर अपना परीक्षण।। मुस्कुराते हुए हक से कहने लगीं, "सर, आप लोगों को ये दाल पकवान खाना ही पड़ेगा, ये यहां की खास डिश है और आज मैंने पहली बार बनाई है।" मना कैसे करते हम भी, पूरा का पूरा हमारा दोस्तों का दल टूट पड़ा, दाल पकवान पर। स्वादिष्ट और चटपटा।। लगा नहीं कि ये पहली बार का कमाल है, हमारे एक दोस्त ने जब उनकी तारीफ की तो मानो आत्मविश्वास में इजाफे से इतिका के होठों की मुस्कान चार गुना हो गई। एक ट्रेनी शेफ़ के लिए प्रशंशा से बढ़कर प्रेरणा और क्या हो सकती है। अभी दाल पकवान के चटपटे ज़ायके से ज़ुबान उबरी ही थी कि सामने से सलीम ऑर्डर लेने पहुंच गए । ना ना, ये अकबर के सलीम नहीं थे, पर प्रसन्नचित लहज़ा और कॉन्फिडेंस ज़रूर ऐसा कि मानो अभी अभी किसी अनारकली को आज़ाद कराके आए हों बरखुरदार।
सबका फैसला पक्का था कि सादा ही खाना खायेंगे और थोड़ा वज़न कम करेंगे तो सभी फ्रूट्स और सलाद लेकर बैठ गए। लेकिन यही अगर खाने देते मैरियट वाले, तो बात ही क्या थी। सामने से सत श्री अकाल कहते हुए अगला आक्रमण हुआ पंजाब की मिस मनदीप कौर का। सर आपके लिए कौन से परौंठे बनवाएं। सरदारों को देख कर लोगों को परांठे ही क्यूं याद आ जाते हैं। सरदार और परौंठे तो जैसे दो पर्यायवाची शब्द हो गए हैं आजकल। खैर, हम सभी ने भी एक दूसरे की ओर देखा और आंखों ही आंखों में कॉम्प्रोमाइज़ हो गया कि आज पहला दिन है, आज खा लेते हैं, कुछ नहीं होता, कल से डायटिंग कर लेंगे। और कर दिए हमने ऑर्डर गोभी पनीर के सात परांठे।। अगले कुछ ही पलों में वेस्ट बंगाल के शेफ सबुज स्वयं अपने हाथों से हमें सर्व करने आए, गरमागरम परौंठे। परांठे खाते ही मेरी बड़ी पुरानी एक गलतफहमी गई कि पंजाबियों जैसे परांठे तो कोई बना ही नहीं सकता। जादू था मां के हाथों वाला सबुज के हाथों में भी। शायद घर से निकलते समय अपनी मां का आशीर्वाद लेकर निकला होगा।। जी भर के ताबड़तोड़ खाने के बाद हमने सोचा कि अब बहुत हुआ, चलते हैं। आगे बढ़े ही थे कि चलते चलते मुस्तफा ने रोक लिया, "सर कुछ मीठा नहीं लेंगे।" हम ना नहीं कर पाए, "थोड़ा सा ले लेते हैं" कह कर प्लेट्स उठा तो लीं। पर थोड़े में रुक नहीं पाए । *एक बेसन की बर्फी, दो मलाई गुलाबजामुन, तीन घेवर रबड़ी के टुकड़े और चार चम्मच देसी घी का मूंग दाल हलवा* लेने के बाद ही कुछ अंतरात्मा से आवाज़ अाई - भाई लोगों डायटिंग पर हो आप सब ।। चलते हैं फूड कोर्ट से वरना अभी हरियाणा की मीनू, जयपुर के चेतन और चंडीगढ़ के मनीष कुछ और पकवान लेकर आते ही होंगे।। चल के ज़रा उस सुखद से कमरे का आनंद भी तो ले लें जिसे सजाने में मकराने के मनोज का पूरा दिन निकल जाता है। मैरियट वैसे तो राजस्थान में है, पर लगता ऐसा है मानो भारत के कोने कोने से लोग आपकी मेहमान नवाजी करने इकठ्ठा हो गए हैं।। जैसे अभी ही लीजिए विजयवाड़ा के जनरल मैनेजर हमारी कहानी को बड़े इत्मीनान से सुन रहे हैं ।।।
ये दिनचर्या और तारतम्य प्रतिदिन चलता रहा। दिन भर डट के काम, शाम को थोड़ा आराम, स्विमिंग पूल में जाना, लिज्जतदर खाना और उसके बाद बड़े से आंगन में, चांदनी रात की ठंडी हवा और सरोवर के पानी के बीच की मोहब्बत को देखते हुए कुछ चहलकदमियां। फोन पर दूर बैठे अपनों से बातें और थक जाने पर पुश्तैनी झूलों पर बैठ कर सामने रखी लकड़ी की शाही पालकी को देखते हुए कुछ शांत,सुकून के पल और कुछ आत्ममंथन। यादगार रहा ये जैसलमेर का सफ़र अबकी बार।।
ख़ैर, कल से हम सभी अब कीटो डायट पक्का शुरू कर रहे हैं ।। क्यूंकि आज मैरियट में रुकने का आखिरी दिन जो है। मगर सिर्फ इस दौरे का ।। अगले दौरे में सभी ने ठान लिया कि सपरिवार पधारेंगे।। *आप भी आइएगा सुनने और अनुभव करने। *पधारो म्हारे देश*।।।
*खम्मागनी* 🙏🏻🙏🏻
*इक़बाल सिंह*
*03 अक्टूबर 2019*



