कहानी शुरू करते हैं नवम्बर 2018 की। दिल्ली में भी ठीकठाक ठण्डी पड़ती है यार नवम्बर में, तो हुआ कुछ यूँ कि मेरे एक दोस्त ने अचानक बोला की यार शिमला चलते हैं, वहाँ स्नोफ़ॉल हो रहा होगा आजकल। मैंने भी बिना कुछ सोचे समझे हाँ बोल दिया। और सबसे अच्छी बात बताऊँ ये ट्रिप बहुत ही सस्ते वाला था। हमने दिल्ली से टिकट किया कालका मेल में, कालका मेल ने हमें सुबह 4:30 बजे कालका छोड़ दिया। एक ग़लती हमने की थी जो आप बिलकुल मत करना, कालका से शिमला के लिए ट्वाय ट्रेन का टिकट एडवांस में बूक करा लें, क्यूँकि शिमला गये और ट्वाय ट्रेन में ना बैठे तो आपका शिमला जाना बेकार है। ख़ैर, हमने तो टिकट किया नहीं था इस वजह से हम बस से शिमला गये। कालका से शिमला बस से ३ घण्टे और ट्रेन से 5:30 घण्टे लगते हैं। 4:30 बजे कालका पहुँचने पर बाहर रोड तक हम पहुँच के बस 5 बजे तक पकड़ लिए।
सुबह 8 बजे हम शिमला पहुँच गये। एक चीज़ और सुबह कालका से शिमला जाने में जो सूर्योदय देखने को मिला वो वाक़ई लाजवाब था। अगर आपने कभी पहाड़ों में वक़्त नहीं बिताया है तो ये लम्हा आपको रोमांचित कर देगा।
शिमला पहुँच कर हमने बस अड्डे से संजौली ( शिमला में ही एक जगह) गये जहाँ हमने होटल बूक किया था। वहाँ नहा धोकर कुछ देर आराम किया।
दोपहर बाद हम वहाँ से निकले और संजौली चौक से कुफ़री के लिए बस पकड़ा, यूँ तो कुफ़री स्नोफ़ॉल के लिए जाना जाता है लेकिन हमारी क़िस्मत ख़राब थी जो उस दिन स्नोफ़ॉल नहीं हो रहा था। एक चीज़ और कुफ़री में बस से उतरने के बाद आपको ऊपर पहाड़ पे चढ़ना होता है, हर कोई पैदल नहीं चढ़ पाता अधिकतर लोग खच्चर से जाते हैं, लेकिन हमने सोचा की हम पैदल ही चढ़ेंगे और चढ़े भी, लेकिन सच कहूँ तो आधे रास्ते के बाद तो मेरी हालत ख़राब हो रही थी चढ़ने में फिर भी रुक रुक कर आख़िरकार चढ़ ही गये।
ऊपर का तो नज़ारा बेहद ख़ूबसूरत था, सामने बर्फ़ से लदे पहाड़ दिख रहे थे।नज़ारा कुछ ऐसा था।
वहाँ पे कुछ दुकान हैं जहाँ आपको हिमाचली कपड़े किराए पे देते हैं फ़ोटो खिंचाने के लिए। और कुछ चाय पकोड़े की दुकान है। वहाँ हमने काफ़ी पिया और पकोड़े खाए। उसके बाद वहाँ से वापिस आकर बस पकड़ा। शिमला में बस बहुत देर से मिलती है, तक़रीबन आधे घण्टे इन्तेज़ार करने के बाद आख़िरकार बस मिली। वहाँ से हम वापिस संजौली आ गये। जैसा की हम दोपहर में होटल से निकले इस वजह से जैकेट नहीं लिया क्यूँकि उस वक़्त धूप थी लेकिन शाम को तो ठण्डी ऐसी थी की पूछो मत यार। फिर भी हम वहाँ से माल रोड आए, उस वक़्त तक शाम के 7:30 बज चुके थे। तापमान लगभग 5 डिग्री हो गया था। जहाँ तक नज़र जाता हर कोई स्वेटर या जैकेट पहने हुआ था , उस शाम माल रोड पे शिर्फ हम दोनों दोस्त ही थे जो शर्ट में थे।
वहीं पे हमने डिनर किया और फिर वापिस होटल आ गये।
अगले दिन सुबह 9 बजे उठकर हम तैयार हुए और चेक आउट किया होटल से। बस स्टॉप पहुँच कर हमने वहाँ से चण्डीगढ़ के लिए बस लिया। (अगर आपके पास अधिक समय है तो आप राष्ट्रपति भवन घूम सकते हैं जो की शिमला में है क्यूँकि भारत की राजधानी शिमला भी रह चुका है पहले। इसके अलावा आप जाख़ू मन्दिर घूम सकते हैं)
हमारे पास समय की कमी थी इसलिए हम ज़्यादा घूम नहीं सके लेकिन अगली ये सब जगह घूम के आया तो अगले ट्रिप में बताऊँगा।
ख़ैर हमने बस पकड़ लिया वहाँ से सुबह दस बजे और डेढ़ बजे तक चण्डीगढ़ पहुँच गया।वहाँ हम सबसे पहले राक़ गार्डन गये। ये चण्डीगढ़ की अच्छी जगह है घूमने लायक़।
राक़ गार्डन पत्थरों की अद्भुत कलाकारी प्रस्तुत करता है। मन प्रसन्न हो जाता है देख कर।
कम समय होने के कारण हम वहाँ ज़्यादा देर तो नहीं रुक सके लेकिन पूरा घूम लिया। राक़ गार्डन से हम पास के ही सुखना लेक गये। वहाँ आप लेक में बोटिंग भी कर सकते हैं।
सुकना लेक से हम चण्डीगढ़ बस स्टैंड पहुँचे तब तक शाम के 5 बज चुके थे। वहाँ से हमने दिल्ली के लिए बस लिया और रात 9:30 बजे दिल्ली पहुँच गये।
शुक्रवार की शाम से रविवार की शाम तक हम शिमला और चण्डीगढ़ घूम के आ गये।
ऐसे ही शॉर्ट टर्म ट्रिप्स के लिए मुझसे जुड़े रहिये।
आपलोगों के लिए समय निकाल कर बीच बीच में और ट्रिप्स के बारे में लिखता रहूँगा।
कैसा लगा आपको मेरा ये ट्रिप ज़रूर बताना।
Bye.