यह कुछ दो साल पहले की बात है जब मुझे ऑफिस के किसी काम से कोइम्बटोर भेजा गया। हमारी कंपनी सनबर्न में एक स्पांसर थी तो मुझे उस प्रोजेक्ट के सुपरवाइजर के तौर पे भेजा गया। एक दिन पूरा सनबर्न म्यूजिक फेस्टिवल में निकल गया जहाँ एक फोरेनर दी जे ने धामकेदार परफॉरमेंस दी और खूब शोर मचाया। वैसे तो मुझे पार्टी करने में कोई दिक्कत नहीं पर उम्र के साथ मज़े की परिभाषा बदलती जा रही है। इसका एहसास हुआ मुझे ईशा आश्रम पहुँच कर जो कोइम्बटोर की जानी मानी जगह है। मुझे पता नहीं मैं वहां जाकर क्या पाना चाहती थी, मैं तो इतनी धार्मिक भी नहीं हूँ। फिर भी कुछ था जो मुझे वहाँ पर खींचता चला ले गया। मैं अपना अनुभव बांटना चाहूंगी सध्गुरु जी के ईशा योग सेंटर पर रहने का और कुछ आम सवालों का उत्तर दूंगी। जैसे की वहाँ पर आपको सच में कोई दिव्य शक्ति का एहसास होगा? मैडिटेशन करना एक आम आदमी के लिए कितना मुष्किल है?
वैसे तो इस दुनिया में काफी गुरु हैं पर सध्गुरु की काफी बातें मुझको बहुत ही प्रैक्टिकल और महत्वपूर्ण लगती है। कोइम्बटोर जाना एक संयोग की बात थी पर शायद आप जिस चीज़ को मन से चाहते हो वो अपने आप भी पूरी हो ही जाती है। उनकी बातों का मुझ पर काफी पॉजिटिव असर पड़ता है। तो बस यही सब अपने ज़हन में लेकर मैं पहुँच गयी उनके आश्रम। एंट्री लेते ही ही मुझे काफी खुशहाल और शान्ति जैसा महसूस हुआ। उनकी हवा ही कुछ अलग थी। हेल्प डेस्क पर मुझे नमस्कारम के साथ प्यार से जगह के बारे में बताया गया और उस दिन हो रही साड़ी क्रियाओं के बारे में भी बताया।
अंदर पहुँचने के बाद मुझे मालुम पड़ा की आज पूर्णिमा की रात है और इसी को मनाने के लिए एक स्पेशल पूजा का आयोजन किया गया है। अब इस को मैं अपना सौभाग्य कहूँ या सिर्फ संयोग, इसका फैसला करके भी क्या फायदा। मुझे तो बस ख़ुशी थी कि मैं यहाँ आकर कुछ बढ़ा देखा पाऊँगी। थोड़ा सा दुःख इस बात का ज़रूर हुआ कि सध्गुरु जी खुद वहां उपस्थित नहीं होंगे।
ईशा आश्रम में दो ऐसी जगह है जिनका ज़िक्र हर बार होता है - लिंगा भैरवी मंदिर और ध्यानलिंगा
लिंगा भैरवी मंदिर
यहीं पर पूर्णिमा की पूजा का आयोजन किया गया था। वहाँ पर मेरा स्वागत सैकड़ों घी के दीयों के साथ हुआ। इतना प्यारा था वो नज़ायरा कि पला झपकाना भी मुश्किल था। हर एक मन्त्र जाप के साथ उस जगह की दिव्य शक्ति एक अलग ही ऊंचाई पर पहुँच गयी। शब्दों में बताना मुश्किल है पर ऐसा मैंने कभी पहले महसूस नहीं किया था। सध्गुरु के शब्दों में लिंगा भैरवी एक संज्ञा शक्ति है जो आपको ध्यान लगाने में मदद करती है। इसीलिए सभी को यह राय दी जाती है कि ध्यानलिंगा में जाने से पहले भैरवी मंदिर में थोड़ा समय बितायेँ।
ध्यानलिंगा
सध्गुरु की मानें तो ध्यानलिंगा दुनिया का सबसे बड़ा मरकरी से बना जीवित लिंगा है। ज़िन्दगी के सारे भाग इसमें कूट कूट के सात चक्र की तरह डाले गए है जिसके लिए सध्गुरु ने तीन साल के प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया पूरी करी।
इतना कुछ कहा सुना गया है इस विशाल गुंबद जैसी आकर वाली जगह के बारे में, पर यकीन मानिये अगर आपको ईशा आश्रम आने के लिए कोई वजह चाहिए तो ध्यानलिंगा में बैठकर मैडिटेशन करने से बड़ी कोई वजह नहीं।
आदियोगी की प्रतिमा
शिवजी के लिए तो पूरा संसार पागल है पर आश्रम आकर मुझे यह भी पता लगा की शिव जी सिर्फ भगवान् नहीं पर संसार के पहले योगी भी माने जाते हैं जिनको प्रबोधन का एहसास हुआ। 112 फ़ीट की विशाल प्रतिमा का स्वागत करने के लिए माननीय प्रधान मंत्री जी को बुलाया गया। जो भी प्रतिमा के पास आ रहा था, 5 से 10 मिनट तो बस उसकी विशाल और दिव्य शक्ति को महसूस करते हुए उसे देखा जा रहा था।
इसके आलावा दो तीर्थ कुंड - सूर्यकुंड लड़कों के लिए और चन्द्रकुण्ड लड़कियों के लिए बनाये गए हैं जहाँ ध्यानलिंगा और भैरवी मंदिर में घुसने पहले आपको नहाने की राय दी जाती है।
जैसा कि मैंने बताया कि मैं कोई योगी या धार्मिक नहीं हूँ पर ईशा आश्रम के अंदर जो मुझे अच्छी और पॉजिटिव शक्ति का एहसास हुआ, वो मुझे आज तक कभी नहीं हुआ। इसी कि वजह से मैं यहाँ आकर इनके मैडिटेशन और योग के कोर्स करना चाहूंगी और इसके बारे में और सीखना चाहूंगी। ध्यान लिंगा में इतनी देर तक शान्ति से बैठकर मुझे एहसास हुआ कि ज़िन्दगी की भागदौड़ के बीच दो पल शान्ति से गुजरने की अहमियत क्या है। मैं चाहती हूँ कि मैडिटेशन को ढंग से ज़िन्दगी में अपना पाऊँ। आप यहाँ फॅमिली के साथ भी जा सकते हैं और रहने खाने का यहाँ बहुत ही अच्छा बंदोबस्त है। मैं तो अपना अगला ट्रिप प्लान कर रही हूँ, आप कब ईशा आश्रम जाने का सोच रहे हैं। कमेंट में मुझे बताइये और त्रिपोटो पर अपने ट्रिप के बारे में ज़रूर लिखिए।