मानसून के दिनों में दुगनी हो जाती है नेपाल की खूबसूरती ...!
प्रिय मित्रों..
मानसून का जिक्र आते ही मन में खूबसूरत प्राकृतिक नजारें आकार लेने लगते है।हरियाली की चादर ओढे खेत और पानी से भरे ताल, तलैयों के साथ नदियों की बेकाबू धारायें और बारिस की फुहारों में भिगते तन बदन ही तो हमे मानसून का एहसास कराते है।लेकिन मानसून को महसूस करने और उससे सुखद अनुभूति लेने की सोंच रहे है तो आपके लिए नेपाल से अच्ही सायद ही कोई जगह होगी।
मानसून के महीनें में नेपाल की सफर का अपना ही मजा है। अगर आप लांगड्राईव पर जाना चाहते है तो नेपाल के पर्यटक राजधानी कहे जाने वाले पोखरा का प्लान बनाये और फिर निकल जाये। ऊंची पहाडियों पर चलने का मजा लेना हो या फिर टेढे-मेढे सर्पीले रास्तों पर सफर का आनन्द एक यात्रा में आपको ये सब मिलेगा। पहाड़, झील, झरने, नदियां और तनबदन को सराबोर करने वाली मानसूनी बारिस की बेसकिमती बूंदों के साथ नेपाल की सभ्यता और संस्कृति को देखने समझे और जीने का बेहद खूबसूरत अवसर आपको मानसून में ही मिलेगा।
सोनौली से बाया मुग्लिंग होते पोखरा की बनाये यात्रा
भारत के अन्तर्राष्ट्रीय कस्बा सोनौली से सुबह के नौ बजे नेपाल सीमा में प्रवेश करने के बाद हमारा पहला पडाव था, माता दाउने देवी मन्दिर यहां पहाडों पर स्थित प्राचीन माता दाउने का दर्शन किये और मन्दिर से नीचे खुले मैदान में तीज की तैयारियों में जुटी नेपाली महिलाएं व युवतियों का नृत्य देखने का अवसर मिला।इसके बाद पहाड से नीचे उतरते ही हम सभी ने थकाली होटल में लजीज नेपाली भोजन किया।इसके बाद
पहाडी रास्तों और नेपाल के अन्तर्राष्ट्रीय चितवन नेशनल पार्क की जंगल से होते नारायणघाट पहुंचे। जहां गंडकी और त्रिसुली नदी आपस में आकर मिलती है।यहा नदी की छोर पर सजी दुकाने और लोगों की भींड एकांत में समय बिताने के लिए घण्टों बैठी रहती है।लेकिन यह जगह बस कहने के लिए एकांत है यहां भींड शहर से ज्यादा रहती है।यहां थोडी देर मस्ती के बाद हम सभी मुग्लिंग के लिए निकले।ऊंची पहाडी और नीचे बहती नदी के बीच बनी नई सडक पर फर्राटा भरते हम सभी अपनी गाडी से शाम साढे चार बजे मनोकामना रोपवे स्टेशन पहुंचे और जल्दी जल्दी गाडी पार्क कर अपना सामान सहेज तत्काल रोपवे पर पहुंचें। (आपको बता दें कि रोपवे सुबह के 6 बजे से शाम 5 बजे तक ही चलता है) और विश्वप्रसिद्ध केबल कार पर सवार होकर हजारों फिट की ऊंचाई पर स्थित बादलों को छुते माता मनोकामना के मन्दिर पहुंचे और यही हम सभी ने रात्रि विश्राम किया।अगली सुबह सवेरे दर्शन पूजन कर रोपवे से पुन: अपनी गाडी तक पहुंचे और पोखरा निकल गये। पुरे रास्ते महिलाओं का झुण्ड नेपाली गानों में थिरकते हुये दिखती रही गांव हो या शहर हर जगह महिलाओं का उत्सव को लेकर उत्साह देखते ही बन रहा था। दोपहर के तीन बजे हम सभी पोखरा पहुंचे और फेवा ताल के निकट एक चीफ एवं बेस्ट बिलबांग होटल में कमरा लेकर थोडी देर आराम किया।इस बीच अचानक बारिस शुरु होगी, हमारी नीद खुली तो जोर की बारिस हो रही थी। मेरे मित्र समीम और अनुपम ने हम सभी को चाय आफर करते हुये चाय की आर्डर दी। और हम सभी होटल के बालकनी में बैठ चाय की चुस्कियों के साथ बारिस का भरपुर आनन्द उठाया।देर शाम बारिस खुलने पर हम सभी लेख साइड की ओर निकले जहां शाम के समय डिस्कों और बार से निकलते बालीबुड के जबरदस्त हिट गानों पर थिरकते लोगों की मस्ती बेजोड थी। हमने भी इसका लुफ्त उठाये और कुछ दोस्तों ने अपने कमर भी हिलाये।फिर देर रात हम होटल पहुंचे और खाना खा कर सोने चले गये।अगली सुबह जल्दी ही हम सभी की नींद खुद गयी ऐसा हो भी क्यों ने पोखरा में सूरज तो तडके चले आते है, सुबह सूरज की लाल रंगो के बीच सोने से चमकते माउंट एवरेस्ट की पहाडियों को देखने का जो सुख था उसे शब्दों में बया कर पाना कठिन है।इसके बाद हम सभी जल्दी जल्दी फ्रेश होकर कर सीधे फेवा ताल पहुंचे और हल्का नाश्ता कर बोटिंग शुरु की दो घण्टे तक पोखरा के बेहद खूबसूरत फेवा ताल में बोटिंग की मस्ती के दौरान अचानक शुरु हुई तेज बारिस में भीगते हुये हम बोट को किनारे लगाये और इसके बाद हम सभी महेन्द्र गुफा पहुंचे और उसके बाद एक एक कर पोखरा शहर के सभी पर्यटक स्थलों का भ्रमण किया। हमारे मित्र समीम सिद्दकी, मंसूर आलम, अम्बिकेश चौरसिया व अनुपम सिंह के साथ मेरा यह सफर बेहद रोमांचक व सुखद अनुभूति वाला रहा।अगली सुबह वापसी में त्रिशुली नदी के तेज बहाव के बीच करीब 350 मीटर लम्बे झूला पुल पर बाइक की सवारी करते हुये हम सभी नेपाल के बेहद खूबसूरत ग्रामीणांचल को भी देखा।