अपने आप में चमत्कार हैं यूपी के यह किले

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Photo of अपने आप में चमत्कार हैं यूपी के यह किले by saurabh tiwari

किसी ने कहा है कि खंडहर बता देते हैं कि इमारते कितनी बुलंद थी। चूंकि मैं यूपी का रहने वाला हूँ , ऐसे में आपको उत्तर प्रदेश के पाँच ऐसे कारीगरी के नायाब नमूने या यूँ कहें कि चमत्कारी किलों से अवगत कराता हूँ। वैसे तो देश में किलों का नाम आए तो जुबां पर सबसे पहले राजस्थान का नाम आता है। लेकिन उत्तर प्रदेश के गाँव-गाँव में भी किलों की चारदिवारी के अंदर कहानियाँ सुनाई पड़ती हैं। आप इन किलों को नज़दीक से देखेंगे तो आपको खुद बखुद शदियों पुराने अतीत में पहुँचने की अनुभूति होगी। यहीं पर अयोध्या व मथुरा में भगवान के अवतरण स्थलों में अध्यात्म की सुंगध है, यहीं वीरगाथाओं के तमाम किस्सों से सजे अजेय दुर्ग की कहानियाँ हैं। इतिहास पसंद मुसाफिरों के लिए कारीगरी के नायाब नमूने देखने को मिलते हैं। यात्रा वृत्तांत में मैं आपको किले के लगभग हर पहलू से अवगत कराऊँगा

कालिंजर किला

बुंदेलखंड के बांदा जनपद में मध्यप्रदेश सीमा पर सटा कालिंजर किला है। एक पहाड़ नुमा चढ़ाई के बाद बड़े भू-भाग में किले की अलौलिकता देखते ही बनती है। यहाँ पर बना नीलकंठ मंदिर चमत्कारों से भरा हुआ है। पारा 52 डिग्री तक पहुँच जाए, भगवान भोले नाथ के शिवलिंग का गला पानी से हमेशा गीला रहता है। प्राचीन काल में यह दुर्ग जेजाकभुक्ति (जयशक्ति चन्देल) साम्राज्य के अधीन था। यह किला १०वीं शताब्दी तक चन्देल राजपूतों के अधीन और फिर रीवा के सोलंकियों के अधीन रहा। इन राजाओं के शासनकाल में कालिंजर पर महमूद गजनवी, कुतुबुद्दीन ऐबक, शेरशाह सूरी और हुमांयू आदि ने आक्रमण किए लेकिन इस पर विजय पाने में असफल रहे। कहते हैं कि कालिंजर विजय अभियान में ही तोप के गोला लगने से शेरशाह की मृत्यु हो गई थी। मुगल शासनकाल में बादशाह अकबर ने इस पर अधिकार किया। इसके बाद इसपर राजा छत्रसाल ने अधिकार कर लिया। बाद में यह अंग्रेज़ों के नियंत्रण में आ गया।

कब जाएँ और कैसे पहुँचे कालिंजर

वैसे तो कालिंजर किले में मौसम हमेशा खुशगवार रहता है, लेकिन अगस्त से मार्च के बीच में जाना बेहतर रहेगा। यहाँ पहुँचने के लिए नज़दीक रेलवे स्टेशन बांदा या पन्ना है। यहाँ से सीधे बस से कालिंजर पहुँचा जा सकता है। यहाँ पर सरकारी गेस्ट हाउस के अलावा रात गुज़ारने का कोई साधन नहीं है। आपको दिन में ही यात्रा खत्म कर वापस बांदा, चित्रकूट या पन्ना लौटना होगा। नज़दीकी एयरपोर्ट लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद और खजुराहो हैं।

Photo of कलिंजर फोर्ट, Kalinjar, Madhya Pradesh, India by saurabh tiwari

आगरा का किला

वैसे तो आगरा शहर की पहचान ताजमहल से है। लेकिन यहाँ का किला खुद बखुद पर्यटकों से अपनी ओर आकर्षित करता है। ताज महल का दीदार किया और दुर्ग नहीं पहुँचे तो पर्यटक खुद को अधूरा महसूस करते हैं। आगरा किला को यूनेस्को विश्व धरोहर की मान्यता मिली है। इस किले में मुगल बादशाह बाबर, हुमांयू, अकबर,जहांगीर, शाहजहां, और औरगंजेब ने राज किया है। इस किले का इतिहास बड़ा ही रोमाचंक है। इसे सबसे मजबूत किलों में एक माना जाता है। यदि आप आगरा पहुँचे तो निश्चित इसका दीदार करें।

कैसे पहुँचे आगरा किला

गर्मियों के मौसम में आगरा का भी तापमान 45 डिग्री तक पहुँच जाता है। ऐसे में यदि परिवार समेत या फिर किले का दीदार करने का अकेले या दोस्तों के साथ मन बनाएँ हैं तो सितंबर से अप्रैल के बीच जाना ज्यादा बेहतर रहेगा। यहाँ पहुँचने के लिए आगरा रेलवे स्टेशन से टैक्सी आदि का सहारा ले सकते हैं।

Photo of आगरा का किला, Agra Fort, Rakabganj, Agra, Uttar Pradesh, India by saurabh tiwari

प्रयागराज (इलाहाबाद) का किला

प्रयागराज किले का निर्माण 1583 में मुगल बादशाह अकबर ने कराया था। कहा जाता है कि अकबर ने अपने जीवनकाल में इससे बड़े किले का निर्माण नहीं कराया है। अपनी विशिष्ट बनावट, निर्माण, शिल्पकारिता के लिए यह किला जाना जाता है। यह किला गंगा और यमुना संगम तट के किनारे बना है। अब तक यह किला लंबे समय से पर्यटकों के लिए बंद रहता था। खासतौर से किले में लगा अक्षय वट के लोग दर्शन नहीं कर पाते थे। पिछले दिनों कुंभ मेले के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्य़टकों के लिए अक्षय वट खोल दिया था। इसके बाद से यहाँ मुसाफिरों और आध्यात्म से जुड़े लोगों की भारी भीड़ पहुँचती है।

कब और कैसे जाएँ किला

पूरे सालभर यहाँ कभी भी किसी मौसम में जाया जा सकता है। चूंकि संगम तट होने के कारण शाम सुबह बेहद आनंद की अनुभूति होती है। शर्दियों में संगम जल में विदेशी पक्षियों के कलरव सुनाई पड़ते हैं। यहाँ पहुँचने के लिए प्रयागराज रेलवे स्टेशन से महज आठ किलोमीटर की दूरी पर हैं। स्टेशन से सीधे टैक्सी संगम किले के लिए हमेशा उपलब्ध रहती हैं। प्रयागराज में ठहरने के लिए ₹500-₹5000 तक के कमरे उपलब्ध हैं।

Photo of प्रयागराज किला, Allahabad fort, Prayagraj, Uttar Pradesh, India by saurabh tiwari

झांसी का किला

यूपी में किलों की बात हो और झांसी का किला ना आए, ऐसा कैसे हो सकता है। हम आपको फिर वीर बुंदेलियों की जमीं पर ले चलते हैं। रानी लक्ष्मीबाई की वीरगाथा से सनी झांसी की धरती और वहाँ के किलों की दीवारे देखते ही बनती है। निश्चित तौर पर यदि विश्व पटल पर किसी सजीव किले का चित्रण है तो वह मेरी जानकारी में झांसी ही है। यहाँ जाने पर उस वीरांगना की कहानी आँखों से सामने तैरने लगती है। झांसी के किले का निर्माण ओरछा के राजा बीर सिंह देव ने 1613 में कराया था। यह किला 16 से 20 फुट मोटी दीवार से घिरा हुआ है। इस किले ने स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी।

कब और कैसे पहुँचे झांसी किला

यह किला सालभर मुसाफिरों के लिए खुला रहता है। बावजूद खुशगवार मौसम में आना ज्यादा बेहतर है। झांसी रेलवे स्टेशन से किले को सीधे टैक्सी मिलती हैं। यहां रुकने के लिए सस्ते और बेहतर होटल उपलब्ध हैं।

Photo of झांसी का किला, Jhokan Bagh, Jhansi, Uttar Pradesh, India by saurabh tiwari

चुनार का किला

मिर्जापुर के चुनार में स्थितर किला कैमूर पर्वत की उत्तरीदिशा में स्थित है।यह गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर बसा है। इस किले का निर्माण सोलहवीं शताब्दी में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई राजा भरथरी के लिए करवाया था। कहते हैं कि राजा भरथरी ने इस किले में समाधि ले ली थी। गहरी ढलान के कारण इस किले की यात्रा बेहद दुर्गम है। यही वजह है कि यह किला विदेशी हमलो से बचा रहा। इस किले का अद्भुत रहस्य आज भी दबा हुआ है। इस किले का उल्लेख चंद्रकांता में भी है।

कब और कैसे पहुँचे किला

यहाँ पर सर्दियों में जाना बेहतर है। क्योंकि मिट्टी और चढ़ाई की वजह से बारिश में जाना ठीक नहीं। यहाँ का नज़दीकी रेलवे स्टेशन चुनार जंग्शन है। जबकि इलाहबााद और वाराणसी महानगरों से सीधे सड़क मार्ग से भी पहुँचा जा सकता है।

Photo of चुनार का किला, Tammanpatti, Uttar Pradesh, India by saurabh tiwari

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