क्या आपको फिल्मी हीरो हीरोइन की तरह बारिश में लम्बी ड्राइव पर जाने का मन करता है? क्या आपका भी मन बादलों में खो जाने का करता है? क्या आप भी चाहते हैं कि कोई आपको पहाड़ों के बीच लॉन्ग ड्राइव पर लेकर जाए? क्या आप आपको भी यह लगता है कि पहाड़ का मज़ा सिर्फ उत्तर भारत में हैं? इन सब सवालों का एक ही जवाब है - मलशेज घाट। मुंबई के लोगों को तो यह रहस्य पता होगा पर बाकी सब के लिए यह जान ना बहुत ज़रूरी है कि मलशेज घाट बारिशों में जन्नत के समान है। मेरे जैसे लोग जो दिल्ली से आये हैं, उनके लिए तो यह नशा सर चढ़ कर बोलता है। और रोमान्स के मामले में तो मलशेज घाट का कोई मुक़ाबला नहीं, बस ख्याल रखियेगा कि यह रोमान्स आप अपने पार्टनर के साथ ही करें केवल, किसी और के पार्टनर के साथ नहीं।
गंदे से चुटकुले के लिए माफ़ी, मलशेज घाट मुंबई और पुणे के रास्ते में वेस्टर्न घाट का हिस्सा है। वैसे तो यह रास्ता मुंबई पुणे हाइवे से अलग है पर मॉनसून आते ही इस रास्ते का नज़ारा कुछ और ही हो जाता है। लोगों को इतना ज़्यादा पसंद है कि इस साल तो भीड़ भाड़ से बचने के लिए इस रास्ते को टूरिस्ट के लिए बंद करना पड़ा। लोग कुछ ज़्यादा ही मज़े में आजाते हैं। और आएँगे क्यों नहीं, हर किलोमीटर पर अगर आपको एक झरना नज़र आएगा तो झूमने का मन तो करेगा ही।
तो जुलाई के महीने में हमने ज़ूमकार बुक करी और निकल पड़े अपनी ज़िन्दगी की सबसे यादगार ड्राइव पर। मलशेज घाट तकरीबन 120 कि.मी. दूर है मुंबई से। हमने एक गलती करी, मलशेज घाट के बीचों बीच महाराष्ट्र टूरिज्म का गेस्ट हाउस है जिसे हमने पहले से बुक नहीं करवाया और इसी वजह से हमें एक छोटे से होटल में रात गुज़ारनी पड़ी। पर क्या फर्क पड़ता है क्योंकि दिन इतना खूबसूरत जो बीता था। शहर छोड़ते ही लगता है मानो ज़मीन ने एक हरी चादर ले रखी हो। धीरे धीरे पहाड़ आना शुरू होते हैं और शुरू होता है बारिश और झरनो का सिलसिला। बादल आपको चारों और से घेर लेते हैं और आप कोहरे के समुन्द्र में किसी तरह गाड़ी की पार्किंग लाइट के सहारे ड्राइव करते रहते हैं। बीच में लोग आपको हर झरने के साथ मस्ती करते हुए दिखते हैं। मैग्गी और चाय की छोटी छोटी दुकानों ने सड़क पर जैसे रौनक लगा रखी है। जहाँ आपका मन चाहे आप गाड़ी रोक कर फोटो खिचवा सकते हैं और थोड़ा वक़्त अपनी पार्टनर की बाहों में बिता सकते हैं। बस करीब आते आते ज़्यादा करीब भी ना आजाना क्योंकि फैमिली वाले लोगों की तादाद वहाँ ज़्यादा घूमती है। बच्चे आपको टिकटोक बनाते हुए नज़र आजाएँगे। माहौल में एक अलग ही तरीके की रुमानियत छाई होती है। मोहब्बत बादलों के बीच और भी सूफी लगती है। आप देख ही रहे हैं, इस कम्भख्त को उस जगह के बारे में सोचकर ही शायरी निकली जा रही है।
मुझे हमेशा से ही लगता था कि मसूरी, शिमला, मनाली के आगे यह वेस्टर्न घाट क्या ही कर पाएँगे। पर शायद मैं गलत थी। शायद नहीं, मैं पक्का गलत थी क्योंकि मलशेज घाट में आपको वो सारे मज़े मिल जाएँगे जो आपको उत्तर के पहाड़ों में मिलते है और आपको कड़कती ठण्ड का सामना भी नहीं करना पड़ेगा। अब यह ख्याल ही इतना बढ़िया है तो नज़ारा तो आपके होश उड़ा देगा। इसीलिए ज़्यादा सोचिए नहीं, बस गाड़ी उठाइए या कैब लेकर जाइये, पर अपने पार्टनर के साथ मलशेज घाट के बादलों में ज़रूर खो जाइये। फिर आप शिवानी रावत का शुक्रियादा कर सकते हो। और मेरा शुक्रियादा करने के बाद Tripoto पर लिखना मत भूलना।