यात्रा का अपना ही एक महत्व है और यात्रा भक्ति के साथ की जा रही हो वह भी पूरे प्रकृति के नजारो के साथ तो इसका अलग ही सुखद अनुभव होता है ऐसी एक यात्रा हमने की केदारनाथ धाम की जो कि दिल्ली से करीबन 500 किलोमीटर के आसपास है सबसे पहले हम दिल्ली से हरिद्वार पहुंचे और वहां से हमने कैब बुक की जो कि हमें केदारनाथ के दर्शन के लिए ले जाने वाली थी , को बुलाकर वहां पर हमने गंगा नदी में स्नान किया उसके बाद कैब में बैठकर हम हरिद्वार और ऋषिकेश के जंगलों से होते हुए आगे बढ़ने लगे कुछ दूर तक तो हमें कुछ मौसम गर्म सा लगा लेकिन जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते रहे उत्तराखंड की वादियों ने हमारे दिल को तरोताजा हवा दी और ठंड का एहसास दिलाना शुरू कर दिया ऐसा एहसास जो हम एक गर्मी में बहुत ही सुकून देने के लिए जरूरी होता है इसी तरह हम यात्रा करते करते और वादियों का लुत्फ उठाते हुए आगे बढ़ते रहे । रास्ते में हमने रुककर धारी देवी मंदिर और कासी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन किए।
हमें रुद्रप्रयाग तक पहुंचने में रात हो गई वहां से सफर आगे था जो कि गौरीकुंड पर खत्म होना था हमने वहां पर सरकारी कॉटेज बुक कर रखा था जहां पर हमें स्टे करना था गौरी कुंड रुद्रप्रयाग से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर है रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड के लिए बोलेरो मिल जाते हैं । हम वहां पहुंच वहां के मार्केट घूमे फिर आराम किया । रात के नज़ारे तो देखते ही बनते है वहां के ।
अगले दिन सुबह हम उठे और ट्रेकिंग पर निकल पड़े, वहां पर जाने के लिए आपको बहुत सी चीजो की जरूरत पड़ सकती है क्यो की मौसम वहां बहुत तेजी से बदलता है । जैसे जैसे हम आगे बढ़ते गए नज़ारे उतने ही मनमोहक होते चले गए । हमें ऐसी वादियां देखने को मिली जिनमें खो जाने को मन किया और कई जगह हम लोग रुककर प्रकृति को महसूस किया । रास्ते में कई झरने मिले ।हम सुंदरता का मजा लेते रहे और आगे बढ़ते रहे ऐसे नजारे जो आपका मन मोह ले । चढ़ाई भी बहुत कठिन थी एकदम खड़ी चढ़ाई थी जिसके लिए हमें बहुत थी ज्यादा बल लगाना पड रहा था ।
जैसे तैसे रुक रुक कर वादियों का मजा लेते लेते केदारनाथ धाम पहुंच गए । ऊपर भी हमने कॉटेज बुक कर रखा था। ऊपर बहुत ठंड थी । हमने वहां पर आराम करने का प्लान बनाया और सोचा कि अब दर्शन कल करेंगे !
फिर हम खाना खाकर सो गए और अगले दिन सुबह 4:00 बजे उठकर बाबा के दर्शन के लिए चल पड़े वहां से मंदिर प्रांगण डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर है । काफी टाइम हो गया था करीबन 4 घंटे बाद हमें बाबा के दर्शन करने को मिले हम सब बहुत थक चुके थे ट्रेकिंग के बाद । फिर हमने घोड़े से नीचे जाना है का निर्णय लिया वहां से हम घोड़े बुक कर के नीचे की तरफ आने लगे और फिर वहां से हम रुद्रप्रयाग पहुंच कर अपनी कैब को बुलाएगा वहां से अपने घर के लिए रवाना हो गए । यात्रा बहुत ही सुखदमय और भक्तिमय थी साथ में जो प्रकृति का स्पर्श था वह हमारे मन को मोह गया वादियों को देखकर हमारा मन प्रफुल्लित हो गया । वहां जाकर हम ट्रेकिंग, ज्योर्तिलिंग दर्शन और प्रकृति, बर्फ सबका अनुभव लिया।