मुंबई पुणे के सफर मे बहुत सारे फोर्ट दिखाई देते है। उसमें से माहुली गढ़ मुझे बहुत सालों से आकर्षित कर रहा था। लेकिन ट्रेक का मुहूर्त नहीं निकल राहा था । वो मुहूर्त 23 जून 2019 को निकला। जनवरी 2019 से भाई के साथ खुद की कंपनी से ट्रेक चालू किया। imperial all rounder services इस नाम से हम ने अब तक 5 इवेंट किए थे और ये छटा इवेंट था। जून की बारीश हो गयी थी। लेकीन कुछ दिनों से बारीश का नामो निशान नहीं था । लेकिन तारीख तय थी।
सुबह 6 बजे दादर स्टेशन पर 20 नए दोस्त मिल गए थे। 6.34 की आसनगाव ट्रेन पकड़ कर हम निकल गए। 8 बजे हम आसनगाव स्टेशन पर पहुँच गए थे। वहाँ पहले से हम ने रिक्शा बुलवाई थी । 1 हफ्ते पहले भाई और हमारी टीम रेकी के लिए यहाँ आए थे, इस वजह से वहाँ पूरा इंतजाम था। रिक्शा से हम 25 मिनट मे माहुली गाँव पहुँच गए । वहाँ पहुँचने के बाद एक घर मे मस्त पोहे और चाय का स्वाद लेके माहुली फोर्ट चढ़ना चालू किया। 9 बजे थे लेकिन बारीश का मौसम होते हुए भी बहुत तेज़ धूप थी। जाने के रास्ते में एक ब्रिज है, वहीं माहुली का एक सुंदर झरना है।
20% फोर्ट चढ़ने के बाद मुझे बुखार आने लगा। दो दिनों से तबीयत थोड़ी ठीक ही नहीं थी । लेकिन मुझे ये ट्रेक करना ही था। धूप के कारण तबियत ज्यादा ही खराब हो गयी। फिर राम और केतन, ये हमारे दो ट्रेक लीडर को मैंने बाकी 20 लोगो के साथ आगे जाने के लिए कहा। और फिर मैं दवाई लेकर वहीं सो गई। आधे घंटे के बाद बुखार उतर गया था। थोड़ा ठीक लगने लगा था। माहुली फोर्ट के वो 3 शिखर मझे बुला रहे थे, तो मैंने उठी और फिरसे चलना चालू किया। रास्ते में बहुत सारे नए ग्रुप मिले । उन्होंने मुझे बहुत प्रेरित किया। उनसे बात करते करते मैं ऊपर आ गयी। शिवाजी महाराज और ये सह्याद्रि के फोर्ट मुझे हमेशा प्रेरित करते है। ऊपर आने के बाद वाला एहसास मैं कभी नहीं भूल सकती। फिर मैंने मेरे ग्रुप को ढूँढने की कोशिश की । मुझे देखकर सब बहुत खुश हो गए थे। हमने वहाँ शिवाजी महाराज की मूर्ति का दर्शन किया और फिर केतन सर ने हमें इस फोर्ट का इतिहास बताया। कुछ नई बातें मालूम हुई। वहाँ के एक कुँए का ठंडा पानी पीकर मन शांत हो गया। फिर निकलते वक्त शिवाजी महाराज के नाम का जयघोष करते हुए नीचे उतरना चालू किया। माहुली फोर्ट के आगे कल्याण दरवाजा है। लेकिन वक्त की कमी के कारण हम वहाँ नहीं जा पाए। शायद कुछ जगह हमेशा छोड़ देनी चाहिए, अगली बार आने के लिए। उतरना चालू किया । फ़ोटो निकालते निकालते हमे 2 घंटे में नीचे आ गए। अभी बहुत भूख लगी थी । वहाँ के गाँव के घर मे मस्त खाने का स्वाद लेके हमे घर के लिए निकल गए।
8 सालो से ट्रेक कर रही हुँ। ये मेरा 18वाँ ट्रेक था। हर ट्रेक ने मुझे कुछ न कुछ सिखाया है। लेकिन ये ट्रेक मैं कभी नहीं भूल सकती। बुखार वाला माहुली गड का ट्रेक। अभी बहुत ट्रेक करने बाकी है। सह्याद्रि मैं आ रही हुँ।
जय शिवाजी जय सह्याद्रि ????
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