गर्मियों में तरोताजा मौसम देखनी हो तो करें दून घाटी की ओर रुख
मार्च से लेकर मई तक जॉब के सिलसिले में मेरा देहरादून रहना हुआ। उत्तराखंड की राजधानी यह शहर अपने में इतिहास, साहित्य और संस्कृति की खुशबू समेटी हुई है।
अप्रैल से जून तक का समय देश में अमूमन गर्मियों का होता है। मैदानी इलाकों से लेकर पहाड़ी और पठारी, सभी जगहों पर गर्मी अपनी पांव पसार रही होती है। स्कूलों में छुट्टी हो चुकी होती है। इस बीच आप गर्मी से राहत पाना चाहते हैं, तो देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का ट्रिप प्लान कर सकते हैं।
देहरादून में और उसके आसपास कई खूबसूरत हिल स्टेशन हैं जहां आप आसानी से मौज-मस्ती कर के वापस अपने होटल पहुंच सकते हैं। प्रायः देहरादून को शिवालिक पहाड़ियों के दून श्रेणी से घिरे होने के कारण 'दून' नाम से भी संबोधित किया जाता है।
दिल्ली से करीब 255 किमी दूर यह पहाड़ी शहर हिमालय के हिमाद्रि श्रृंखला में स्थित है। शिवालिक श्रेणी की हिमालय के तलहटी में बसा देहरादून उत्तर भारत के खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है। जिसे दून के नाम से भी जाना जाता है। हेल्दी वातावरण, प्राकृतिक और मनोरम दृश्य, पहाड़ियों के बीच स्थित पिकनिक स्थल होने के कारण दून घाटी बहुत प्रसिद्ध है।
देहरादून समुद्रतल से करीब 640 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। उत्तराखण्ड की राजधानी यह शहर अपने आस पास भी कई तीर्थ स्थलों और पर्यटन स्थलों जैसे मसूरी, हरिद्वार, जोशीमठ आदि अपने मे समेटे हुए हैं।
देहरादून आप साल में कभी भी जा सकते हैं। गर्मियों के मौसम में भी यहां सुहाना मौसम रहता है। बारिश में भी आप जा सकते है। थोड़ी परेशानी होगी, लेकिन आपको बरसात पसन्द है तो फिर देहरादून किसी मौसम का मोहताज नहीं रहता। वैसे सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मध्य मई तक माना जाता है। हां, आप मौसम के अनुसार गर्मियों में सुत्ति और जाड़ों में गर्म कपड़े साथ जरूर रखें।
देहरादून में क्या देखें ?
सहस्रधारा - चारों तरफ से पहाड़ और उसके बीच बना यह स्थान देहरादून के सबसे आकर्षक और व्यस्ततम पर्यटन स्थानों में से एक है। सहस्रधारा ठंडे पानी के झरनों के लिए प्रसिद्ध है। इस झरने का पानी प्राकृतिक स्रोतों से निकलता है और प्रचंड गर्मी में भी यहां का पानी ठंडा ही होता है। घंटाघर से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस जगह पर गन्धक के पानी का भी एक झरना है। इसके बारे में कहा जाता है कि यहां स्नान करने से चर्म रोग (स्किन डिजीज) खत्म हो जाता है।
वन अनुसंधान संस्थान (Forest Research Institute)
आपको जानकर हैरानी होगी कि वन अनुसंधान संस्थान प्राकृतिक वन्य जीवन की खुनसूरती को समेटे दुनिया की सबसे बड़ी रिसर्च इंस्टीट्यूट है। FRI देहरादून के घंटाघर से लगभग 5 किमी दूर चकराता रोड पर स्थित है। यहां की सबसे अच्छी खासियत कैंपस में बने म्यूजियम में रोमन, यूनानी, अंग्रेजी आर्किटेक्चर का अनूठा मिश्रण। स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 में जिस कॉलेज को आपने देखा होगा, वह यहीं इसी संस्थान की बिल्डिंग है।
मालसी डियर पार्क :
देहरादून-मसूरी रोड पर बने इस पार्क में हिरन, बंदर और चिड़ियों के अलावे कई पशुपक्षी विहार करते हैं। पार्क में बच्चों के मनोरंजन के लिए भी कई तरह के झूले हैं। देहरादून शहर से 4 किमी दूर इस पार्क का वातावरण लोगों का मन लुभा लेता है।
रोबर्स केव :
इसे गुच्चू पानी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक पिकनिक स्थल है। बहुत ही खूबसूरत दृश्य वाला यह स्थान देहरादून मेन शहर से 8 किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है। हालांकि यहां एक परेशानी हो सकती है कि अगर आप स्थानीय वाहन से जाने पर आपको कुछ देर पैदल चलना पैड सकता है।
टपकेश्वर मंदिर :
यह गढ़ी कैंट एरिया में बना प्राचीन समय का शिव मंदिर है। यह मंदिर एक मौसमी झरने के नजदीक बना हुआ है। शहर से लगभग 5 किमी दूर स्थित इस जगह पर आप निजी वाहन के जरिए भी जा सकते हैं। हर साल महाशिवरात्रि के मौके पर एक बड़ा मेले का आयोजन किया जाता है।
लक्ष्मण सिद्ध :
देहरादून से ऋषिकेश के रास्ते मे बना यह मंदिर दून से 12 किमी दूर है। इसके आसपास के मनमोहक प्राकृतिक खूबसूरती को देखने के लिए छुट्टी के दिनों में यहां अच्छीखासी भीड़ रहती है।
देहरादून कैसे जाएं ?
यह देश के लगभग सभी मुख्य शहरों से रेलवे से जुड़ा हुआ है। अगर आप बस से जाना चाहते हैं तो दिल्ली, चंडीगढ़, शिमला आदि नजदीकी बस सेवा वाले शहर हैं। जहां से 8-10 घँटे में आप दून पहुंच सकते हैं।
वहीं वायु मार्ग से भी मुंबई, चेन्नई, आदि जगहों से दिल्ली आ कर फिर बस या रेलवे से जा सकते हैं।
रविवार का दिन। कहीं घूमना हो, स्मृति पटल पर कैनवास को उतारना हो। लेकिन कहां, क्या .. पता नहीं। तब आप मसूरी-बाइपास से आगे तीन पहाड़ियों से घिरे सहस्रधारा की मस्ती का आनंद लेने निकल पड़िये।
सहस्रधारा चारों तरफ से पहाड़ और उसके बीच बना यह स्थान देहरादून के सबसे आकर्षक और व्यस्ततम पर्यटन स्थानों में से एक है। सहस्रधारा ठंडे पानी के झरनों के लिए प्रसिद्ध है। इस झरने का पानी प्राकृतिक स्रोतों से निकलता है और प्रचंड गर्मी में भी यहां का पानी ठंडा ही होता है। घंटाघर से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस जगह पर गन्धक के पानी का भी एक झरना है। इसके बारे में कहा जाता है कि यहां स्नान करने से चर्म रोग (स्किन डिजीज) खत्म हो जाता है।
मालसी डियर पार्क - देहरादून-मसूरी रोड पर बने इस पार्क में हिरन, बंदर और चिड़ियों के अलावे कई पशुपक्षी विहार करते हैं। पार्क में बच्चों के मनोरंजन के लिए भी कई तरह के झूले हैं। देहरादून शहर से 4 किमी दूर इस पार्क का वातावरण लोगों का मन लुभा लेता है।
वन अनुसंधान संस्थान (Forest Research Institute) - आपको जानकर हैरानी होगी कि वन अनुसंधान संस्थान प्राकृतिक वन्य जीवन की खुनसूरती को समेटे दुनिया की सबसे बड़ी रिसर्च इंस्टीट्यूट है। FRI देहरादून के घंटाघर से लगभग 5 किमी दूर चकराता रोड पर स्थित है। यहां की सबसे अच्छी खासियत कैंपस में बने म्यूजियम में रोमन, यूनानी, अंग्रेजी आर्किटेक्चर का अनूठा मिश्रण। स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 में जिस कॉलेज को आपने देखा होगा, वह यहीं इसी संस्थान की बिल्डिंग है। एक ओर शहर, एक ओर बर्फ से ढकी पर्वत चोटियां तो कहीं जंगल से बीचो-बीच इस संस्थान के कैंपस में जाते हैं, एक अलग ही शेड्स देते हैं। ब्रिटिश आर्किटेक्चर का अनोखा नमूना, जंगलों के छोड़ पर साइंटिस्ट के रहने का क्वार्टर ऐसा सब कुछ है जो आपको मोह लेता है।यहां सुबह और शाम में लोगों को जॉगिंग करने का प्रावधान किया गया है।
मेरा देहरादून से तीसरा और यादगार सफर: मसूरी
मसूरी - भारत के इस पर्वतों की रानी को भला कौन नहीं जानता है। बचपन से ही मुझे पहाड़ों का संस्मरण और यात्रा वृतांत पढ़ने का शौक रहा है। अगर आप लिटरेचर के शौकीन हैं तो आप जानते हैं कि हिंदी साहित्य में अनेकों बड़े लेखकों ने पहाड़ों पर कई रचनाएं लिखी है। उन्हीं के माध्यम से कुछ पहाड़ों को जाना था। धरमवीर भारती, निर्मल वर्मा, मोहन राकेश, राहुल सांकृत्यायन आदि को कई बार पढ़ा था इस 'क्वीन ऑफ माउंटेन्स' मसूरी के बारे में।
आपको जानकर खुशी होगी कि आप देहरादून से मसूरी एक दिन में घूमकर वापस आ सकते हैं। मसूरी देहरादून से 34 किमी दूर है। शाम के वक्त (हर मौसम में) मसूरी पहाड़ी की खूबसूरती देहरादून से निहारना एक अलग मजा देता है।
मसूरी के उत्तर पूर्व में हिमालय की बर्फ से लदी ऊंची पहाड़ियां और दक्षिण में दून घाटी का मनोरम दृश्य बिखरा पड़ा है। मसूरी समुद्रतल से 2005 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। सालों भर ठंडी का एहसास कराती यह जगह ब्रिटिश इंडियन राइटर रस्किन बांड का घर भी है।
मसूरी के प्रमुख दर्शनीय स्थल
माल रोड, गन हिल, कैम्पटी फॉल, चाइल्डर्स लॉज, केमल्स बैक रोड, झड़ीपानी झड़ना, धनौल्टी, मसूरी झील आदि।
मसूरी में शॉपिंग
मसूरी में हैंडीक्राफ्ट, वुडेन क्राफ्ट्स, सजावट के सामान और ऊनी कपड़े खरीद सकते हैं। जो आपको कहीं और नहीं मिलेंगे। वहीं माल रोड से आगे ऊपर की ओर 'मैगी पॉइंट' पर खड़ा हो कर चाइनीज फूड्स का आनंद लेते हुए दूर तक धुंध में लिपटी पहाड़ों को देखने मे एक अलग ही
मसूरी कैसे पहुंचे?
मसूरी पहुंचने के लिए आप देहरादून से टैक्सी ले सकते हैं। जो रेलवे स्टेशन के बाहर ही मिल जाएगा। इसके अलावे गांधी रोड और राजपुर रोड से भी आसानी से टैक्सी वगैरह मिल जाती है।