मेघालय भारत का नीदरलैंड या स्विट्ज़रलैंड ????
मैं कोई प्रोफ़ेशनल लेखिका नहीं हूँ बस लिखनें का मन किया और लिख दिया अगर कोई त्रुटि हो तो क्षमा करें|
19 December 2017
ये वो दिन है जिस दिन मैं अपने सपनों की नगरी मेघालय जा पहुँची मैंने इस यात्रा के लिए बहुत जोखिम उठाया क्योंकि इससे पहले मैंने कभी अकेले यात्रा नहीं किया।
मैं अपने किसी काम से असम गई हुई थी यह बात December की है |और मेरी आदत है कि मैं जब भी कहीं जाती है तो गूगल पे उसके आस पास की फ़ेमस जगह को ढूँढकर वहाँ जाती हूँ।
17 December 2017 को मैंने मेघालय की सबसे ख़ूबसूरत नदी जिसका 80% हिस्सा बांग्लादेश में बहता है 20% हिन्दुस्तान में Dawaki river को googleपे देखा |
अगर आप पहले प्यार में यक़ीन रखते हैं तो बस समझ लीजिए मुझे भी उस जगह से पहली नज़र में प्यार हो गया बस उठा ली जोखिम और मिलने चले अपने पहले प्यार से।
मैं अपने एक मित्र और एक सहयोगी के साथ उस वक़्त असम में बरपेटा गाँव में रुकी थी ।उन्हें कुछ आवश्यक कार्य था इसलिए उन दोनों को छोड़कर मैं शिलांग के लिए निकल गई ।
18 December 2017 रात आठ बजे मैं शिलांग पहुँची मैं पहली बार वहाँ पे गई थी इसलिए मुझे डर लग रहा था क्योंकि मैं गई भी अकेली थी ।ये मेरा पहला अनुभव था अकेले यात्रा का शुक्र हो ऑनलाइन होटल बुकिंग जिसका जिसके कारण बहुत आसान हो गया है कहीं के बारे में जानकारी प्राप्त करना तो बस ऑनलाइन tripoto के द्वारा मैंने एक होटल चुना और उसमें रात बिताने का फ़ैसला किया मैं बहुत थक गयी थी ।इस कारण एक बाथ लिया और सो गई ।वैसे मैं सुबह उठने वाली लड़की बिलकुल नहीं हूँ पर उस दिन पता नहीं क्यों मेरी नींद 5 बजे खुल गई और रूम में इतनी ठंड थी कि उस समय ऐसा लग रहा था जैसे फ्रीजर रूम के अंदर घुस आया हों ।
मैंने इलेक्ट्रॉनिक केतली से एक कप चाय बनायी और चेयर लेके खिड़की के पास बैठ गई और इंतज़ार किया सुबह होने का । मैंने इतना पारदर्शी ख़ूबसूरत और मनोहारी दृश्य वाले पहाड़ी सुबह मैंने कभी नहीं देखें ।
और जब सूरज धीरे धीरे पहाड़ों के बीच से निकला तो ऐसा लगा जैसे मैं किसी और दुनिया में आ गई है यक़ीन मानिए मैंने इतना ख़ूबसूरत इतना आकर्षण कहीं भी कभी भी नहीं देखा बहूत ही ख़ूबसूरत और मोह लेने वाला दृश्य था।
फ़ोटो ज़रूर देखियेंगा साथ में डाल रही हूँ।
दो घंटे तक सूरज निकलने के बाद मैं तक मैं खिड़की के पास बैठी रहीं।उसके बाद मैं उठी और तैयार होकर होटल से शानदार नाश्ता करके अपने सफ़र के लिए निकली ।
मुझे बिलकुल पता नहीं था कि मैं कहाँ जाऊंगी कैसे जाऊँगी ।
क्योंकि मैं पहली बार अकेले गई थी ।पर निकल गई बिना किसी की परवाह किए 1 सोलो ट्रिप पे तैयार होकर।
मैं पैदल निकली थी और थोड़ी देर चलने फिरने के बाद एक टैक्सी वाला दिखा वहाँ पे पीले और काले रंग की टैक्सियां चलती है जिस तरह मुंबई में चलती है मैंने उसे बातचीत की वो इंसान मुझे थोड़ा सही लगा उसने ढाई हज़ार रुपया में मुझे मेघालय ले जाने और वापस लाने के लिए तैयार हो गया मैं शुक्र अदा कर रही थी इतने कम पैसे में मुझे मिल गया क्योंकि मैंने बहुत सारी ऑनलाइन अनुभव पड़े थे जिसमें 4 हज़ार के नीचे कोई भी टैक्सी जानें कें लिए तैयार नहीं होती है।
यात्रा शुरू हो चुकी थी मेरी ।बहुत ही ख़ूबसूरत पहाड़ी रास्तों से होते हुए टैक्सी चली जा रही थी मैं बता नहीं सकती मैं कितना रोमांचित कितनी डरी और कितनी ख़ुश थी लगभग चार घंटे तक बहुत ही कम स्पीड पर टैक्सी चल रही थी क्योंकि रास्ते पहाड़ों को काट कर बनाए गए थे और बहुत ही पतली पतली रास्ते थें।अगर सावधानी के साथ ना चलाया जाए तो गाड़ी डायरेक्ट खाई में भी गिर सकती है ।जिस कारण टैक्सी ड्राइवर बहुत ही अनुभव और अच्छे से गाड़ी चला रहा था।
मैं सुबह 9 बजे निकली थी और 12:30 बजे मैं पहुँच गई |मैं तब सोच में पड़ गई जब टैक्सी ड्राइवर ने बोला मैडम आपका मंज़िल आ गया मैंने देखा एक पहाड़ी रास्ते के किनारे गाड़ी रुकी हैं और टैक्सी ड्राइवर बोल रहा है कि आपका मंज़िल आ गया ।मैं सोच में पड़ गई ये गड़बड़ तो नहीं है पर मैंने सोचाकि जोखिम लिया हैं तो संभालना भी पड़ेगा।यही सोचकर मैं टैक्सी सें बहार निकलीं और लगभग 10 क़दम ही चली होगी कि मैंने देखा सड़क से नीचे की तरफ़ एक रास्ता गया हुआ है जब मैं उस रास्ते पे दो या तीन क़दम चली ।
और नीचे की तरफ़ देखते ही इतना रोमांच मेरे अंदर भर गया इतना रोमांच मैं बता नहीं सकती ।नीचे फैला हुआ था एक हरें रंग का लंबा पानी और उसके ऊपर प्यारी सफ़ेद भूरे कलर की नाव थीं।और ढेर सारी पब्लिक मानो ऐसा लग रहा था जैसे कांच पे नाव रखी हैं । इतना ख़ूबसूरत इतना प्यारा और इतना साफ़ पानी क्या हो सकता है इस बात पे यक़ीन नहीं हो रहा था।
मैं नीचे उतरी और अपनी कल्पनाओं को साकार होते हुए देखने लगी।
मानो ज़िंदगी कह रही थी कि ठहर जाओ यही रूक जाओ यही मैंने इतना मनोहारी दृश्य इतना ख़ूबसूरत नदी इतना साफ़ कांच की जैसी पानी कभी नहीं देखा था ।
यह एहसास केवल मुंबई जैसे महानगर में रहने वाला व्यक्ति ही समझ सकता है कि प्रकृति के इतना क़रीब जाना कितना सुखद अनुभव है मानो ज़िंदगी कह रही थी कि ठहर जाओ यही रूक जाओ यही मैंने इतना मनोहारी दृश्य इतना ख़ूबसूरत नदी इतना साफ़ कांच की जैसी पानी कभी नहीं देखा था।
और मैं मेरे इस फ़ैसले को सराह रही थी।
मैं लगभग दो घंटे तक बिना कुछ बोले बिना कुछ खाए केवल वहाँ भी पानी में पैर डाल के बैठी रह गयी और यक़ीन दिला रही थी ख़ुद की हाँ ये स्वप्न नहीं सत्य हैं।
मैंने वहाँ का पानी पिया।वह पानी नहीं अमृत घूँट लग रहा था ।इतना मीठा इतना साफ़ दिल कर रहा था की बस पीती जाओ मेरी भूख नींद थकान सब छू मंतर हो गई थी।
मैंने
नौका विहार भी किया और नदी की तरफ़ देखती रही वैसे नाविक बड़ा चालाक था परंतु वो मुझे 3 सौ रुपया में पूरी नदी का चक्कर लगाने के लिए तैयार हो गया।
नदी में रंग बिरंगी मछलियाँ जेली कीड़े मकोड़े सब बड़ी आसानी से दिख जा रहे थे ।मैंने अपने जीवन में ऐसा दृश्य कभी नहीं देखा था ख़ैर उसके बाद वापस जाने का मन तो नहीं था पर आना पड़ा मैंने उस नदी पे लगभग 3 घंटे बिताए होगे पर वों दृश्य मैं आज तक नहीं भूली।
मैं वहाँ से वापस आयी रास्ते में हमने चिकन मोमोस खाए यक़ीन मानिए उतना स्वादिष्ट चिकन मैंने अपने पूरे जीवन में नहीं खायाहै मैंने टैक्सी ड्राइवर को भी साथ में खाने का न्यौता दिया काफ़ी मना करने के बाद वह मेरे साथ खाना खाने बैठा ।
मैं मेघालय जाने से पहले ही होटल छोड़ चुकी थी।
मेघालय से वापस आते आते मुझे 7 बज गया था। टैक्सी ड्राइवर पूरे रास्ते मेरे से अच्छे से बात करता रहा मेरे पास आज भी उस टैक्सी ड्राइवर का नंबर है।
मेघालय में जाने के बाद मुझे एहसास हुआ कि पहाड़ी लोग हम शहरी लोगों से बहुत अच्छे हैं उनके अंदर छल कपट नाम मात्र भी नहीं है।
उसने (ड्राइवर) शिलांग घुमाने की बात कही परंतु मैंने मना कर दिया ।क्योंकि ना तो मेरी जेब इस बात की इजाज़त दे रहा था और न ही वक़्त शिलांग न घूम पाने का मलाल हमेशा मेरे मन में रहेगा परंतु मेघालय घूमने का रोमांच इसे हमेशा कम कर देता है ।जीवन में अगर कभी मौक़ा मिला तो मैं वापस उसी प्रकृति की गोद में जाना चाहूंगी जो मेरे जीवन की सबसे अच्छी और यादगार अनुभव हैं।
यह यात्रा मेरे जीवन की सबसे रोमांचक और सुखद यात्रा थी ।
टैक्सी ड्राइवर ने फिर मुझे शिलांग बस स्टैंड छोड़ा और मैंने वहाँ से असम जाने के लिए एक सीट ली वैसे रात में वहाँ पे अधिकतर बोलेरो ही चलती है ।
और वापस अपने सहयोगी के पास आ गई ।
मैं इसे भारत का नीदरलैंड कहूँ या भारत का स्विट्ज़रलैंड पता नहीं पर इसे मन मोह लेने वाला मोहन ज़रूर कहूंगी।
वैसे ये मेरा पहला प्रयास है और बहुत मेहनत से लिखा हैं मैंनें अगर आपको अच्छा लगे तो ज़रूर लाइक कीजियेगा आपकी सराहना से मुझे प्रोत्साहन मिलेगा और मैं अपने बाक़ी अनुभव और घटनाक्रम आपके साथ साँझा करूँगी धन्यवाद।