चौंकने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि यहां हमले या किसी वारदात पर हम बात नहीं करने जा रहे। समझ सकता हूं कि पिछले कुछ समय से पुलवामा दूसरे कारणों से चर्चा के केंद्र में बना हुआ है। लेकिन यहां हम आपका ध्यान उसकी प्राकृतिक खूबसूरती की ओर ले जाना चाहते हैं। ये वही पुलवामा है जिसे 'राइस बाउल ऑफ कश्मीर' भी कहा जाता है। इतिहास में जाएं तो इस कृषि प्रधान जिले को 'पनवंगम' या 'पुलगाम' भी कहा जाता रहा है।
यूं तो जम्मू-कश्मीर धरती पर स्वर्ग है ही, पुलवामा उसी स्वर्ग का एक सुनहरा बगीचा है। मन मोहने वाले पहाड़ों, झरनों और घाटियों से घिरे पुलवामा में जाकर आप खो से जाएंगे। यहां जाने से जुड़े बहानों पर बात करें तो कई दर्शनीय जगह हैं जो आपको यहां देखने को मिलेंगे।
पहले चर्चा करते हैं कि पुलवामा पहुंचेंगे कैसे?
पुलवामा जाने के लिए श्रीनगर हवाई अड्डा पर लैंड कर सकते हैं जो कि पुलवामा से लगभग 37 किमी दूर है। यहां से कैब द्वारा पुलवामा पहुंचा जा सकता है। वहीं अगर ट्रेन से जाने का विचार हो तो जम्मू तवी रेलवे स्टेशन उतर सकते हैं। बता दें कि पुलवामा सड़कों के द्वारा भी कनेक्टेड है और वहां बसों से या अन्य गाड़ी लेकर भी पहुंचा जा सकता है।
सालभर जब भी चाहें यहां आ सकते हैं क्योंकि मौसम लगभग एक-सा बना रहता है। यहां का औसत तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से 20 डिग्री सेल्सियस ही रहता है इसलिए ज्यादा लोड ना लें, जब मौक़ा और दस्तूर हो, यहां के टूर पर निकल सकते हैं।
पुलवामा के प्राकृतिक छटा के अलावे जो नामचीन जगह हैं उनके बारे में भी आपको बता दे रहे हैं ताकि अगर पहुंचें तो इन जगहों पर जाना मिस न करें -
अहरबल झरना
वैसे पुलवामा में कई शानदार झरने मौजूद हैं लेकिन अहरबल उन सबमें बेहद ख़ास है। इस झरने को देखते ही जैसे आपको इससे लगाव हो जाता है क्योंकि ये है ही इतना खूबसूरत। पीर पंजाल पर्वत शृंखलाओं के इस घाटी में ये झरना बड़ा अद्भुत लगता है। आसपास फैले घने पाइन और देवदार के पेड़ इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। बता दें कि जलप्रपात 25 मीटर की ऊंचाई से नीचे गिरता है जो कि सैलानियों के लिए बेहद आकर्षण का केंद्र होता है।
पयेर मंदिर
पयेर या पयेक मंदिर जगलों के बीच मौजूद है जो कि श्रद्धालुओं के अलावे सैलानियों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है। 10वीं शताब्दी में बनवाया गया ये मंदिर एकल पत्थर और वास्तुकला की विशिष्टता के लिए मशहूर है। अगर पुलवामा पहुंचते हैं तो इस मंदिर को देखकर इतिहास के गौरव को याद कर सकते हैं।
अवंतीश्वर मंदिर
भगवान शिव तथा विष्णु को समर्पित अवंतीश्वर मंदिर पुलवामा का फेमस तीर्थ स्थल है। जानकारी हो कि इसे 9वीं शताब्दी में राजा अवंति वर्मा द्वारा बनवाया गया था। झेलम नदी के तट पर बसा अवंतीश्वर मंदिर फिलहाल पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के देखरेख में है। मंदिर की दीवार पर लोककथाओं से जुड़ी कलाकृति उकेड़ी गई है जो कि बेहद आकर्षक जान पड़ती है। इसे देखने के लिए दुनियाभर से पर्यटक आते हैं।
शिकारगढ़
ये एक बेहद लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट है जो कि समुद्रतल से 2130 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। कहा जाता है कि पुराने जमाने में रईसजादे यहां शिकार करने आया करते थे। घने जंगलों वाला ये क्षेत्र वन्यजीवों से भरा हुआ है और यहां कई प्रकार की वनस्पतियां भी पाई जाती हैं। कहा जाता है कि जम्मू-कश्मीर के अंतिम राजा द्वारा शिकारगढ़ क्षेत्र का विस्तार किया गया था। पुलवामा आकर इस जगह पर जाना कतई ना भूलें।
खूबसूरत जम्मू-कश्मीर में अमन-चैन रहे और इस स्वर्ग का आनंद लेने दुनियाभर से सैलानी आएं। आशा है, पुलवामा अपने ताजातरीन हिंसा की ख़बरों से अलग खूबसूरती को लेकर चर्चित हो!