![Photo of लेह - इन पहाड़ों में कुछ बात है by Rajat Chakraborty](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/gen/67966/TripDocument/1556268803_img20190117164035.jpg)
मेरा जीवन पहाड़ों से काफी अधिक प्रभावित हुआ है, चाहे वह पूर्वोत्तर भारत के हिमालय पर्वत की श्रृंखलाएं हो, या फिर उत्तराखंड की असीमित चोटियाँ. चाहे वह गारो या ख़ासी की हरी भरी पहाड़ियां हों या फिर गंगटोक में धुंध की चादर ओढ़े हुए कंचनजंगा के अद्भुत दृश्य. इन पहाड़ों से मैंने हमेशा एक असीमित ऊर्जा का आभास किया है. इनमे वाकई कुछ बात है, जो ना जाने कितनी बार मुझे अपनी ओर खींचती हैं. लेह की पहाड़ियों में भी कुछ बात है.
लेह से पहली मुलाक़ात
![Photo of लेह - इन पहाड़ों में कुछ बात है 1/14 by Rajat Chakraborty](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/gen/67966/TripDocument/1556268799_img20170709090503.jpg)
लेह की पहाड़ियों से मेरी पहली मुलाक़ात हुए अधिक समय नहीं हुआ है. केवल एक साल पहले की ही बात है.
" पहाड़ी रेगिस्तान" के नाम से मशहूर लेह अपने आप में कई अनोखी और विचित्र गाथाएं छिपाए बैठा है. मैं कितना भी इनकी चोटियों को जीत लूँ, इनकी विशाल काया के आगे हमेशा नतमस्तक हो जाता हूँ.
एक ओर ज़न्स्कार तो दूसरी ओर काराकोरम की श्रृंखला. दोनों पहाड़ियों से बहकर आते हुए पानी के अलग अलग रंग. आसमान को मैंने इतना नीला पहले कभी नहीं देखा. और बादल इतने पास कि जैसे अभी हाथ में आ जायेंगे.
![Photo of लेह - इन पहाड़ों में कुछ बात है 2/14 by Rajat Chakraborty](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/gen/67966/TripDocument/1556268801_img20170709083703.jpg)
मुझे ऐसा लगता था कि मैंने हिमालय पर्वतों के बारे में बहुत कुछ जान लिया है पर लेह की श्रृंखलाओं ने मेरा घमंड तोड़ दिया. शायद कोई चाहे भी तो प्रकृति के इन अद्भुत रहस्यों को पूरा नहीं जान सकता. पर इस अधूरेपन में भी एक अलग मज़ा है. क्यूंकि यही अनसुलझे रहस्य बार बार मुझे यहाँ पर खींचते हैं.
लेह से एक और मुलाक़ात
![Photo of लेह - इन पहाड़ों में कुछ बात है 3/14 by Rajat Chakraborty](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/gen/67966/TripDocument/1556268801_img20190115071109.jpg)
अब तो लगता है कि यह बात यहीं नहीं रुकेगी. और रुक जाए वह सफ़र ही क्या? तो मैं निकल पडा हूँ एक और बार इन्ही पहाड़ों के बीच, इनकी सुन्दरता को दोबारा जीने के लिए.
शायद जनवरी की ठण्ड में जहाँ लेह का तापमान -२१° C हो रखा हो, ऐसे समय में कोई पागल ही यहाँ जाएगा. पर सच कहूँ तो ऐसी सुबह देखने के लिए यदि थोड़े देर के लिए पागल भी होना पड़े, तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है.
कुदरत ने अपने सबसे अद्भुत नजारों को सबसे चुनौतीपूर्ण स्थान पर संजो के रखा है. इस चुनौती की दूसरी ओर कुदरत ने एक अलग दुनिया बना रखी है, जो केवल उनके लिए है, जो वहां तक पहुँचने की कोशिश करते हैं.
सवाल यह है, कि क्या मैं इस चुनौती में खरा उतरूंगा?
एक नई आत्मशक्ति का अनुभव
![Photo of लेह - इन पहाड़ों में कुछ बात है 4/14 by Rajat Chakraborty](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/gen/67966/TripDocument/1556268801_img20190118161619.jpg)
मैं जब लेह पहुंचा तो अपने शरीर के साथ कई चुनौतियां थी. इतनी ठण्ड में पानी जमकर बर्फ बन जाता है. पिछली बार जिस तालाब में भरपूर पानी देखा था, इस बार वह जमकर आइस-स्केटिंग रिंक में तब्दील हो चुकी थी.
शरीर की हरकत धीमी होने लगती है. पैरों के नीचे की ज़मीन से धीरे धीरे उठती हुई ठण्ड महसूस की जा सकती है. एक पल के लिए लगता है जैसे सूरज ज़रुरत से कुछ ज्यादा ही नीचे आ गया हो.
चाय मैंने अपने टेबल पर ही छोड़ी थी, सोचा कि धुआं उठ रहा है तो बहुत गर्म होगी, पर जैसे ही प्याली हाथ में ली, और पहली चुस्की लगायी, पता लगा कि चाय की गर्मी तो कब की धुंए के साथ उड़ गयी है.
जब भी कम्बल से बाहर आता हूँ और किसी भी वस्तु को छूता हूँ, तो "स्थिर-विद्युत्" (Static Current) का झटके से तिलमिला उठता हूँ.
![Photo of लेह - इन पहाड़ों में कुछ बात है 5/14 by Rajat Chakraborty](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/gen/67966/TripDocument/1556268802_img20190117074234.jpg)
जब बाहर कदम रखता हूँ तो एक सर्द सी धुंध को बर्फ की सफ़ेद चादर के ऊपर तैरते हुए देखता हूँ. इस धुंध के बीच से सूरज की सुनहरी रौशनी छन कर आती हुई दिखाई देती है.
इस रौशनी में एक अजीब सी शक्ति है, जो मेरे रास्ते में आने वाली हर दुविधा को जैसे ढक लेती है. यह कुछ भी नहीं बोलती, पर इसकी रौशनी में ही इतनी ऊर्जा है, कि मैं स्वयं ही हर शारीरिक परेशानियों को भूल जाता हूँ.
बर्फ की इस चादर पर अपने पैरों के निशान छोड़ता हूँ. पैरों के नीचे हो रही हलकी हलकी बर्फ की चरमराहट को महसूस करता हूँ. सूरज की तेज़ रौशनी से सफ़ेद बर्फ की झिलमिलाहट को महसूस करता हूँ. सांसों के गर्म धुएँ को महसूस कर सकता हूँ.
![Photo of लेह - इन पहाड़ों में कुछ बात है 6/14 by Rajat Chakraborty](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/gen/67966/TripDocument/1556268802_img20190117080210.jpg)
![Photo of लेह - इन पहाड़ों में कुछ बात है 7/14 by Rajat Chakraborty](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/gen/67966/TripDocument/1556268803_img20190117164035.jpg)
भरी दोपहरी में नीले आसमान पर चमकते हुए सफ़ेद चाँद को साफ़ देख सकता हूँ. पहाड़ियों की ना खत्म होने वाली श्रृंखला को अपने कैमरा में पकड़ने की भरपूर कोशिश करता हूँ, पर कुछ ना कुछ तो छूट ही जाता है.
पर मुझे इसमें भी ख़ुशी है, क्यूंकि मैं फिर यहाँ आ सकता हूँ. फिर कुछ नया देख सकता हूँ, और फिर उस सुकून को महसूस कर सकता हूँ. मैं इन तस्वीरों को अपनी एक और यात्रा का प्रेरणा स्रोत बनाकर अपने पास रखता हूँ.
कुछ तस्वीरें जो बहुत कुछ कहेगी!!
![Photo of लेह - इन पहाड़ों में कुछ बात है 8/14 by Rajat Chakraborty](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/gen/67966/TripDocument/1556268803_img20190115071708.jpg)
![Photo of लेह - इन पहाड़ों में कुछ बात है 9/14 by Rajat Chakraborty](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/gen/67966/TripDocument/1556268803_img20190115071531.jpg)
![Photo of लेह - इन पहाड़ों में कुछ बात है 10/14 by Rajat Chakraborty](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/gen/67966/TripDocument/1556268807_img20190117153243.jpg)
![Photo of लेह - इन पहाड़ों में कुछ बात है 11/14 by Rajat Chakraborty](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/67966/TripDocument/1556271311_img20190115080735.jpg)
![Photo of लेह - इन पहाड़ों में कुछ बात है 12/14 by Rajat Chakraborty](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/67966/TripDocument/1556271313_img20190117074225.jpg)
![Photo of लेह - इन पहाड़ों में कुछ बात है 13/14 by Rajat Chakraborty](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/67966/TripDocument/1556271314_img20190117074229.jpg)
![Photo of लेह - इन पहाड़ों में कुछ बात है 14/14 by Rajat Chakraborty](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/67966/TripDocument/1556271315_img20190117122429.jpg)
Published On Pack-Ur-Bags