में एक वैज्ञानिक सोच का व्यक्ति हु. मेरी बचपन से ही जिज्ञासा रही है की में एवोलुशन थ्योरी के जनक चार्ल्स डार्विन के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी इकठ्ठी करू. मुझे अपनी मास्टर डिग्री करने के दौरान 3 साल इंग्लेंड रहने का मौका मिला.
एक दिन मौका देखकर में बर्मिंघम से रेल से 1 घंटा की दुरी ( 100 किलोमीटर ) तय करके इंग्लेंड के श्रुसबरी कसबे में आ गया.
यहाँ मेने देखा की सिटी काउन्सिल ( नगर पालिका ) के मेन गेट पर महान वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन की मूर्ति लगी हुई है. मुझे बहुत अच्छा लगा एवं मेने इस महान वैज्ञानिक को नमन किया.
इसके बाद में श्रुसबरी का किला घुमने चला गया, जिसका प्रवेश शुल्क 1 पौंड था. जो की स्टूडेंट का चार्ज था, जिसके लिए मुझे अपना स्टूडेंट आई. डी. दिखाना पडा था. इसका किले का निर्माण 1070 में हुआ था.
इसके बाद मेने श्रुसबरी का चर्च देखा. ब्रिटेन में अधिकतर लोग नास्तिक है इस वजह से यहाँ के चर्च सुने हो गए है.
इसके बाद में नदी किनारे पैदल चलते चलते डार्विन के जन्म स्थान की और बढता गया. मुझे करीब 20 मिनट चलना था.
वहा की नदी के किनारे चलना अनुपम अनुभव था
इसके बाद में अपने डेस्टिनेशन पर पहुँच गया, डार्विन का जन्म स्थान मेरी आँखों के सामने था.
मेन गेट पर स्पष्ट लिखा था की डार्विन यहाँ 12 फरवरी 1809 को पैदा हुए थे .
ऊपर कमरे ( जन्म स्थान ) में जाने के पहले डार्विन का परिचय एक पोस्टर पर लगा था.
में ऊपर उस कमरे में पहुँच गया जहा ये महान वैज्ञानिक पैदा हुआ था.
डार्विन का परिचय-
चार्ल्स डार्विन का जन्म 12 फ़रवरी, 1809 को इंग्लैंड में हुआ था. इनका पूरा नाम चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन था. ये अपने माता-पिता की पांचवी संतान थे. डार्विन एक बहुत ही पढ़े लिखे और अमीर परिवार में पैदा हुए थे। उनके पिता राबर्ट डार्विन एक जाने माने डॉक्टर थे. डार्विन जब महज 8 साल के थे तो उनकी माता की मृत्यु हो गई थी.
चार्ल्स डार्विन क्राइस्ट कॉलेज में थे तभी प्रोफेसर जॉन स्टीवन से उनकी अच्छी दोस्ती हो गई थी. जॉन स्टीवन भी डार्विन की ही तरह प्रकृति विज्ञान में रूचि रखते थे. 1831 में जॉन स्टीवन ने डार्विन को बताया कि एच. एम. एस. बीगल नाम का जहाज प्रकृति विज्ञान पर शोध के लिए लंबी समुंद्री यात्रा पर जा रहा है और डार्विन भी में इसमें जा सकते है क्योंकि उनके पास प्रकृति विज्ञान की डिग्री है. डार्विन जाने के लिए तुरंत तैयार हो गए. एच. एम. एस. बीगल की यात्रा दिसंबर, 1831 में शुरू हुई होकर 1836 में खत्म हुई.
निधन-
चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन की मृत्यु 19 अप्रैल, 1882 को डाउन हाउस, डाउन, केंट, इंग्लैंड में हुई थी.एनजाइना पेक्टोरिस की बीमारी की वजह से दिल में संक्रमण फैलने के बाद उनकी मृत्यु हो गयी थी. सूत्रों के अनुसार एनजाइना अटैक और हृदय का बंद पड़ना ही उनकी मृत्यु का कारण बना.
अपने परिवार के लिये उनके अंतिम शब्द थे
“मुझे मृत्यु से जरा भी डर नही है– तुम्हारे रूप में मेरे पास एक सुंदर पत्नी है– और मेरे बच्चो को भी बताओ की वे मेरे लिये कितने अच्छे है.”
उन्होंने अपनी इच्छा व्यतीत की थी उनकी मृत्यु के बाद उन्हें मैरी चर्चयार्ड में दफनाया जाये लेकिन डार्विन बंधुओ की प्रार्थना के बाद प्रेसिडेंट ऑफ़ रॉयल सोसाइटी ने उन्हें वेस्टमिनिस्टर ऐबी से सम्मानित भी किया. इसके बाद उन्होंने अपनी सेवा कर रही नर्सो का भी शुक्रियादा किया. और अपने अतिम समय में साथ रहने के लिये परिवारजनों का भी शुक्रियादा किया. उनकी अंतिम यात्रा 26 अप्रैल को हुई थी जिसमे लाखो लोग, उनके सहकर्मी और उनके सह वैज्ञानिक, दर्शनशास्त्री और शिक्षक भी मौजूद थे.
शत शत नमन