बेलफ़ास्ट उत्तरी आयरलैंड की राजधानी और वहा का सबसे बड़ा शहर है, और आयरलैंड के द्वीप पर दूसरा सबसे बड़ा शहर है। इससे बड़ा शहर वहा पर डबलिन है, लागान नदी पर बसे इस शहर की आबादी 2011 में 313,871 थी.
ये शहर लम्बे समय से हिंसा, आगजनी एवं तनाव झेल रहा है.
इंग्लेंड के लिवरपूल शहर से 1 घंटा 30 मिनट की फ्लाइट लेकर में बेलफ़ास्ट पहुंचा. एअरपोर्ट से लोकल बस पकड़कर सीधे बेलफ़ास्ट सिटी सेंटर पहुंचा जिसमे 40 मिनट लग गए. बस वाले ने मेरे से 1.4 पौंड ले लिए. सिटी सेंटर पर मुझे मेरे मित्र संदीप राठौर ने अटेंड किया. वो मेरा लोकल host था .
सामान्य परिचय :-
उत्तरी आयरलैंड, स्कॉटलैंड के बाद यूनाइटेड किंगडम का सबसे अधिक आबादी वाला इलाका है. वहां हर वर्ग मील में 317 लोग रहते हैं.
जनसँख्या :- उत्तरी आयरलैंड एवं बेलफ़ास्ट की जनसंख्या में युवा लोगों की संख्या राष्ट्रीय औसत के मुकाबले कहीं अधिक है.
जातीय अल्पसंख्यकों जैसे अश्वेत, एशियाई या चीनी मूल के लोगों की संख्या अधिक नहीं है.
शिक्षा:-
उच्च शिक्षा में युवा पीढ़ी की भागीदारी अधिक है. 79 प्रतिशत युवा स्कूल के बाद भी पढ़ाई जारी रखते हैं. साथ ही परीक्षाओं में अच्छे लेवल लेते हैं.
हाल ही में उपलब्ध आंकड़ों से पता लगता है कि उत्तरी आयरलैंड के 49 फीसदी बच्चों पांच या उससे अधिक ग्रेड प्राप्त कीं. यह यूनाइटेड किंगडम में दक्षिण पूर्व और दक्षिण पश्चिम इंग्लैंड के बराबर है.
जिन 30 प्रतिशत छात्रों ने 16 वर्ष की उम्र के बाद भी स्कूलों में पढ़ाई जारी रखी, उन्होंने दो से भी अधिक ए लेवल प्राप्त किए. ये यूनाइटेड किंगडम में सबसे अधिक है.
ऐतिहासिक रुप से यह प्रवृत्ति रही है कि शिक्षा को समुदायों के आधार पर बांटा जाए. लेकिन अब इस बात की कोशिशें हो रही हैं कि स्कूलों को एक किया जाए. शिक्षाविद् और राजनेता दलील देते हैं कि ऐसा करने से वैमनस्य कम होगा और शांति स्थापित करने में मदद मिलेगी. बेलफ़ास्ट की अशांति की पुरे विश्व में चर्चा हो चुकी है.
बेलफ़ास्ट के लोगो की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है :-
उत्तरी आयरलैंड की ऐतिहासिक समस्याओं की वजह से वहां निवेश का स्तर बहुत कम है. इसकी वजह से वहां यूनाइटेड किंगडम में सबसे अधिक बेरोज़गारी है. साथ ही घरेलू सकल उत्पाद के आंकड़े भी सबसे कम हैं. ( 81.6 जबकि यूनाइटेड किंगडम का औसत 100 है)
उत्तरी आयरलैंड में आर्थिक स्थिति के हिसाब से लोगों का जीवन स्तर अलग-अलग है. ख़ासतौर से इसलिए क्योंकि लोग कुशल और अकुशल काम-धंधों में लगे हैं.
बेलफ़ास्ट में पारंपरिक रुप से जहाज़ बनाने का काम होता था. लेकिन अब यह भी धीरे-धीरे कम होता जा रहा है.
लेकिन उच्च तकनीक, पारंपरिक इंजीनियरिंग, बुशमिल्स व्हिस्की डिस्टलरी में बढ़ते निवेश से अब उम्मीदें बंधने लगी हैं.
1997 से ही लाखों पाउंड उत्तरी आयरलैंड की अर्थ व्यवस्था में निवेश किए गए हैं. यह उन कंपनियों ने किए हैं जो मानती हैं कि शांति प्रक्रिया कामयाब होगी.
सेंट ब्रेंडन की आइरिश लिक्योर कंपनी ने 64 लाख पाउंड का निवेश किया है और इससे 53 लोगों को नौकरी मिली. इसी तरह ई एंड आई इंजीनियरिंग ने डेरी में करीब 15 लाख पाउंड के निवेश से 43 लोगों को नौकरियां दी हैं.
अमेरीकन कंप्यूटर कंपनी सीगेट ने 13 करोड़ 80 लाख पाउंड के निवेश से 1100 से भी अधिक लोगों के लिए रोज़गार मुहैया कराया है.
बेलफ़ास्ट और लंडनडेरी के बाहर उत्तरी आयरलैंड मुख्यत ग्रामीण इलाका है जिसकी मज़बूत कृषि अर्थव्यवस्था है. दुग्ध उत्पाद और गौ मांस अर्थव्यवस्था के प्रमुख आधार स्तंभ हैं.
बेलफ़ास्ट और डब्लिन मालगाड़ियों और सवारी गाड़ियों से जुड़े हैं. साथ ही लार्न में बंदरगाह है जो स्कॉटलैंड में स्ट्रैनरर से जुड़ा है.
मुख्य राजमार्ग एम 1 बेलफ़ास्ट से डंगनान तक जाता है. साथ ही लंडनडेरी और आइरिश सीमा तक दोहरा राजमार्ग भी है.
दो प्रमुख समुदाय है यहाँ पर
उत्तरी आयरलैंड में प्रोटेस्टेंट की संख्या कैथोलिक से अधिक है. हालांकि अब दोनों समुदायों के बीच शादियां अधिक होने लगी हैं. कई लोग या तो नास्तिक हैं या फिर बिना किसी समुदाय वाले ईसाई हैं.
1991 की जनगणना में 38.4 प्रतिशत कैथोलिक और 50.6 प्रतिशत लोग कैथोलिक थे. जबकि 3.8 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वह किसी धर्म को नहीं मानते जबकि 7.3 प्रतिशत ने धर्म के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देने से इंकार कर दिया.
1993 में किए गए ब्रिटेन के सामाजिक व्यवहार सर्वेक्षण में मालूम चला कि प्रोटेस्टेंट समुदाय के 90 फीसदी लोग यूनाइटेड किंगडम का हिस्सा बनना चाहते थे जबकि कैथोलिक समुदाय के सिर्फ़ 49 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वो एकीकृत आयरलैंड में रहना चाहेंगे.
लेकिन 1995 में किए गए एक और सर्वेक्षण में एकीकृत आयरलैंड को पसंद करने वाले कैथोलिक समुदाय के लोगों की संख्या 56 प्रतिशत तक पहुंच गई.
कैथोलिक उत्तरी आयरलैंड के कुछ हिस्सों जैसे डेरी शहर, काउंटी फ़रमानग, काउंटी अरमाग और बेलफ़ास्ट के कुछ हिस्सों में बहुसंख्यक है. जबकि दूसरे हिस्सों जैसे लार्ने, काउंटी एंटरिम कोस्ट, बंगोर और पूर्व बेलफ़ास्ट में उनकी संख्या 10 प्रतिशत से कम है.
ज़्यादातर प्रोटेस्टेंट धर्म गुरु हैं और उनके स्कॉटलैंड से धार्मिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक संबंध हैं.
राष्ट्रवादी समुदाय के लोगों की संस्कृति का ऑरेंज लॉज एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. आम प्रोटेस्टेंट लोगों के लिए आपस में मिलने के लिए यह एक अच्छी जगह है.
राष्ट्रवादी समुदाय में अधिकतर रोमन कैथोलिक हैं और धर्म गुरु एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं.
हिंसा
हाल के कुछ वर्षों में एक दूसरे के चर्च और लॉज जलाने की घटनाओं में वृद्धि हुई है.
राष्ट्रवादी समुदाय गैलिक फ़ुटबॉल खेल कर अपने सांस्कृतिक पहचान साबित करते हैं.
कैथोलिक समुदाय बहुल वाली डेरी सिटी फुटबॉल टीम आयरलैंड के दक्षिणी लीग में खेलती है क्योंकि उत्तरी आयरलैंड की दूसरी टीमों ख़ासतौर से लिनफ़ील्ड के प्रोटेस्टेंट समर्थकों से झगड़े का पुराना इतिहास रहा है.
फ़र्राटेदार गेलिक बोलने वाले जेरी एडम्स जैसे रिपब्लिकन नेता कैथोलिक समुदाय के भीतर लिखने और बोलचाल में गेलिक भाषा के प्रयोग के प्रचार-प्रसार के पक्ष में है.
घुमने वाले स्थान में बेलफ़ास्ट केसल ( किला प्रमुख है )
ये किला एंट्रिम रोड पर है एवं एंट्रेंस फीस 2 पौंड है ( स्टूडेंट के लिए ). इसकी समुद्र ताल से ऊंचाई 400 फूट है. इसको 12 वी शताब्दी में बनाया गया था.
किले के बाजू में पहाड़ है जो की ट्रेकिंग वालो के लिए स्वर्ग है.
इस पहाड़ी से पूरा बेलफ़ास्ट शहर का विहंगम दृश्य दिखता है.
यहाँ की रहस्मयी नदी "फारसेट"
उत्तरी आयरलैंड की राजधानी बेलफ़ास्ट की सड़कों से हर रोज़ाना जाने कितने लोग गुज़रते हैं, लेकिन इनमें से शायद कुछ ही ये बात जानते हों कि उनके पैरों तले 170 साल पुराना एक राज़ छिपा है। इस जगमगाते शहर के ठीक नीचे बहती है, फ़ारसेट नदी। इस नदी के नाम पर ही इस शहर का नाम बेलफ़ास्ट रखा गया है। बेलफ़ास्ट की तरक़्क़ी और समृद्धि में भी इस नदी का अहम रोल है। लेकिन आज ये नदी दुनिया की नज़रों से ओझल होकर ख़ामोशी से ज़मीन के नीचे बहती है।
आयरलैंड के प्राचीन इतिहास के प्रोफ़ेसर और 'रिवर ऑफ़ बेलफ़ास्ट: ए हिस्ट्री' के लेखक डेस ओ राइली कहते हैं कि शहर के व्यापारिक केंद्र हाई स्ट्रीट में अगर आज किसी से इस नदी के बारे में पूछा जाए, तो हो सकता है कोई भी इसका जवाब ना दे पाए। आज लोग ये भूल चुके हैं कि बेलफ़ास्ट को शहर की शक्ल में पनपने का मौक़ा फ़ारसेट नदी ने ही दिया था।
आज जहां शहर के बड़े दौलतमंद इलाक़े हाई स्ट्रीट और विक्टोरिया स्ट्रीट आबाद हैं, वहां कभी रिवर लगान और फ़ारसेट नदी का मुहाना होता था। आज यहां मशहूर सेंट जॉर्ज चर्च है। लेकिन ये चर्च भी एक प्राचीन गिरजाघर की जगह पर बनाया गया है। बताया जाता है कि आठ सौ साल पहले श्रद्धालु यहां प्रार्थना करने आते थे। उनकी ख़्वाहिश होती थी कि वो फ़ारसेट नदी सुरक्षित तौर पर पार कर लें।
चूंकि इस नदी के मुहाने पर अक्सर दलदली मिट्टी जमा रहती थी और पानी का उफान तेज़ रहता था। जब पानी की लहरें कमज़ोर पड़ती थीं, तभी इसमें नावें दौड़ाई जाती थीं।
1600 में स्कॉटलैंड और इंग्लैंड से ईसाई धर्म के प्रोटेस्टेंट फ़िरक़े को मानने वाले लोगों ने यहां आना शुरू कर दिया। देखते ही देखते उन्होंने फ़ारसेट नदी पर घाट बनाने शुरू कर दिए। हाई स्ट्रीट में आज बड़ी-बड़ी दुकाने हैं, लेकिन एक दौर था जब यहां जहाज़ चलते थे। बड़े-बड़े जहाज़ इन घाटों पर आकर रूकते थे। जिनमें शराब, मसाले और तंबाकू लदा होता था।
आबाद करने वाले को किया बर्बाद
बड़े जहाज़ों से सामान उतारने के बाद छोटी-छोटी नौकाओं से पूरे आयरलैंड में पहुंचाया जाता था। स्कॉटलैंड और इंग्लैंड से जितने लोग यहां आए वो सभी व्यापारी वर्ग से थे। लिहाज़ा उनके यहां आने से बेलफास्ट में व्यापारिक गतिविधियां बड़े पैमाने पर होने लगीं। शराब की फ़ैक्ट्रियां, कपड़ा मिलें और अन्य फ़ैक्ट्रियां खुलने लगीं। इन फ़ैक्ट्रियों ने ही आगे चलकर यहां औद्यौगिक क्रांति को जन्म दिया।
अठारहवीं सदी के अंत तक फ़ारसेट नदी ने ही बेलफ़ास्ट को दुनिया का सबसे ज़्यादा कपड़ा तैयार करने वाला शहर बना दिया। उस दौर में यहां की कपड़ा फैक्ट्रियों में क़रीब 50 हज़ार लोग काम करते थे जो फ़ारसेट नदी के ज़रिए ही बेलफ़ास्ट तक पहुंचते थे। इस नदी ने शहर की तस्वीर ही बदल कर रख दी थी लेकिन आज ये नदी एक गटर से ज़्यादा कुछ नहीं।
'हिडेन हिस्ट्री बिलो अवर फ़ीट: द आर्कियोलॉजिकल स्टोरी ऑफ़ बेलफ़ास्ट' के लेखक रुआइरी ओ बोइल का कहना है जिन फ़ैक्ट्रियों को फ़ारसेट नदी ने आबाद किया था, उन्हीं फ़ैक्ट्रियों के कचरे ने इसे तबाह कर दिया। उन्नीसवीं सदी की शुरुआत होते होते, नदी से इतनी ख़तरनाक बदबू आने लगी कि शहर की कमिश्नरी ने इसे पूरी तरह बंद करने का आदेश दे दिया और 1848 में दस लाख ईंटो से नदी को दफ़न कर दिया गया।
'अहमियत' के लिए अभियान
शहरी पुरातत्त्वविद ओ-बोइल का कहना है कि भले ही ये नदी आज किसी को नज़र ना आती हो, लेकिन इसका ये मतलब हरगिज़ नहीं है कि ये ख़त्म हो चुकी है। ज़मीन के नीचे ये आज भी बहती है, लेकिन एक गटर की शक्ल में।
आयरलैंड के इतिहास में छोटी-छोटी नदियों का बड़ा योगदान रहा है। लोगों को इन नदियों की अहमियत से वाक़िफ़ कराना बोइल का मिशन बन चुका है। इस काम में वो अकेले नहीं हैं। पिछले कुछ वर्षों में नज़रअंदाज़ कर दी गई नदियों को फिर से ज़िंदगी देने की कोशिश शुरू कर दी गई है। हाल ही में बेलफ़ास्ट सिटी काउंसिल ने फ़ारसेट नदी की अहमियत का जश्न मनाने के लिए पूरे शहर में कार्यक्रम का आयोजन किया था।
प्रोफ़ेसर ओ-बोइल का कहना है कि एक दौर था जब फ़ारसेट नदी के किनारे लोगों की चहल पहल रहती थी। चूंकि सारी व्यापारिक गतिविधियां यहीं से शुरू होती थीं, लिहाज़ा यहां बड़े-बड़े गोदाम, रेस्टोरेंट और सराय आबाद होने लगे। हाई स्ट्रीट की तंग गलियों में बड़े-बड़े व्यापारी रहते थे। लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए नदी को पार करना पड़ता था। इसीलिए यहां एक छोटा सा फुट ब्रिज बनाया गया। ब्रिज स्ट्रीट का नाम इसी फुटब्रिज के नाम पर है।
हाई स्ट्रीट की पतली गलियां मल्लाहों के लिए बांध का काम करती थीं। यहां भारी संख्या में मल्लाह रहते थे। इसीलिए हाई स्ट्रीट में जितने पुराने पब हैं उनमें ज़्यादातर के समुद्री नाम हैं- जैसे मरमेड इन।
उत्तरी आयरलैंड के डिपार्टमेंट ऑफ़ इन्फ्रास्टक्चर रिवर के इंजीनियर फ़्रैंकी मेलन के मुताबिक़ जबसे इस नदी को पाटा गया है तब से अब तक डिपार्टमेंट के सिर्फ़ दो ही मेम्बर्स को इसके अंदर जाकर इसे देखने की इजाज़त मिली है। मेलन बताते हैं कि नदी पर जिस तरह की पतली ईंटो से मेहराबें बनाई गई हैं वो महज़ आधा मीटर मोटी हैं। इनके ऊपर लकड़ी के खूंटे लगा दिए गए हैं। 1800 में इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल काफ़ी मुश्किल था। लेकिन अच्छी बात ये है कि इतना वक़्त गुज़र जाने के बाद भी ये सही सलामत है। सिर्फ़ एक हिस्से में थोड़ी सी दरार पड़ी है जहां से पानी रिस रहा है।
मेलन बताते हैं कि वर्षों पहले उनके पूर्वज इसी नदी के सहारे आयरलैंड की लिनेन फ़ैक्ट्री में काम करने आए थे। और फिर यहीं बस गए। इस नदी से जुड़ी बहुत सी कहानियां हैं। मेलन ख़ुद को ख़ुशक़िस्मत मानते हैं कि उन्हें आयरलैंड में बसाने वाली नदी को वो देख सकते हैं। लेकिन आने वाली नस्लें तो शायद इसका नाम भी ना सुन पाएं।