यह बड़ी अजीब सी बात है कि इस बार को मिला कर शायद कोई तीसरी दफा मैं ऋषिकेश चली गई ,फिर भी हर बार यह शहर नया लगता है । भारत अगर योग का देश है तो बस यूं समझिए ऋषिकेश ही वह जगह है जहां आपको आँख मूंदे चले आना है ,यकीन मानिए इस शहर के पास आपको देने के लिए बहुत कुछ है।
September 14 की शाम को मैं और दो और सनक के घोड़ों पर सवार साथी बैठ कर plan कर रहे थे कि कल के दिन को कैसे खास बनाया जाए क्योंकि अगले दिन मेरा Birthday था और कुछ बड़ा करने के लिए हमारे पास ज्यादा पैसा नहीं था ,हम सब के कुल मिलाकर कुछ 4000रू हुए होंगे ,और इन पैसों में हमारा ऋषिकेश जाने का blueprint तैयार हो गया।
अगली सुबह हमने बैग पैक किये और बस अड्डे की तरफ निकल गये , क्योंकि हम देहरादून में पढ़ते हैं तो ऋषिकेश के लिए हमें सिर्फ 60रू /head पड़ा =180रु , करीब 1घंटा 20मिनट में हम ऋषिकेश पहुंच गए। पिछली रात को हमने mmt app से Trihari Hotel में booking की हुई थी जो कि हमें discount के चलते 680रू में पड़ा
होटल पहुंच कर हम फटाफट घूमने के लिए तैयार हो गए , सबसे पहले हमने स्कूटी किराए पर ली जो कि करीब ₹400 (+50रू) helmet हर दिन के हिसाब से पड़ी, सिक्योरिटी के लिए वह आपसे हजार रुपए जमा करा लेते हैं पर जब आप स्कूटी वापस करते हैं तो यह सिक्योरिटी फीस आपको वापस कर दी जाती है।
स्कूटी लेते ही हम पेट पूजा करने के लिए राजस्थानी होटल गए,यदि आप वेजिटेरियन है और कम पैसे में शुद्ध शाकाहारी भोजन खाना पसंद करते हैं तो राजस्थानी होटल आपके लिए है यहां हर वक्त देसी घी की महक आती रहती है जो यह एहसास दिलाने में कमी नहीं छोड़ती की हर एक चीज में शुद्धता एवं स्वाद है सफाई को लेकर इतनी एहतियात बरतते मैंने पहले किसी होटल को नहीं देखा।
नाश्ता करके हम राम झूला की तरफ निकल दिए
राम झूला :द सस्पेंशन ब्रिज-
राम झूला हमेशा से ऋषिकेश में मेरी पसंदीदा जगह में से एक रहा है इसका सस्पेंशन ब्रिज देखते ही बनता है यदि आप ऋषिकेश की कोई भी तस्वीर देखते हैं तो आप इस राम झूला को उसमें अवश्य पाएंगे । क्योंकि राम झूला की तरफ काफी भीड़ रहती है यहां स्कूटी या अन्य किसी वाहन से जाना कष्ट दाई हो सकता है इसलिए हमने स्कूटी पार्किंग में ही लगा दी और पैदल ही इस खूबसूरत जगह का आनंद लेने के लिए निकल पड़े राम झूला ब्रिज क्रॉस करते ही आपको दाहिनी तरफ मंदिर ,बाजार, पंडित और विदेशी सैलानी भारी मात्रा में दिख जाएंगे और अगर आप शांति प्रिय स्वभाव के है तो यकीनन बाई तरफ जाना ही बेहतर डिसीजन होगा यहां गंगा के किनारे लोग शांति से घंटों बैठे रहते हैं, रेत एवं गंगा नदी में धंसे भारी भरकम पत्थरों पर कई विदेशी सैलानी एवं देसी सैलानी योग करते आसानी से दिखाई दे जाएंगे चारों ओर फैला पानी ऊंचे ऊंचे पहाड़ ठंडी हवा एवं शांत वातावरण आपका दिल जीत लेगा। मैं जब भी ऋषिकेश आती हूं यहां आए बिना रहा नहीं जाता।
इस जगह पर करीब 3 से 4 घंटे बिताने के बाद हम यहां की बाजार घूमने के लिए चल दिए ऋषिकेश की बहुत सारी खास बातों में से एक बात यह भी है की यहां के बाजार आपको परंपरागत वेशभूषा एवं आभूषण के काफी करीब खींच लाएंगे विदेशी सैलानियों के लिए यहां के बाजार आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं यह आप इससे पता लगा सकते हैं कि यहां हर तीसरा विदेशी सैलानी कुर्ते धोती सलवार जैसे वस्त्रों में नजर आ जाएगा जब हम इस ओर से गुजर रहे थे एक विदेशी महिला पर हमारी नजर तब पड़ी जब वह किसी दुकान से एक बिंदी खरीद कर उसे पहनने लगी, वाकई कुछ तो बात है हमारे देश में के इसके रंग से यहां आने वाला अछूता नहीं रहता। अगर आप ऋषिकेश आते हैं तो यहां की सबसे famous franchise चोटीवाला restaurant में खाना खाए बगैर ना जाए , यहां का खाना बड़ा स्वादिष्ट होता है, हमने भी यह गलती नहीं होने दी और चोटीवाला मैं जाकर लंच किया । अगर आप कम पैसों में ज्यादा और अच्छा खाना खाना चाहते हैं तो मेरी यह सलाह है की अलग अलग तरह का खाना ऑर्डर ना करके थाली मंगा लीजिए ऋषिकेश में लगभग हर रेस्टोरेंट में थालियां (नॉर्मल/ स्टैंडर्ड /डीलक्स) अलग-अलग तरह की अलग अलग रेट पर मिल जाएंगी इनमें खाना तो ज्यादा होता ही है साथी ही हर तरह की वैरायटी आपको मिल जाती है, हमने ₹350 की 1 थाली मंगाई जिसमें हम तीनों ने मतलब भर खा लिया हालांकि हमें कुछ रोटियां अलग से मंगानी पड़ी जो ₹8 के हिसाब से थी, चलिए बर्थडे पर इतना खर्चा तो कोई बड़ी बात नहीं। अब तक शाम हो चुकी थी और हम कुछ देर आराम करने के लिए स्कूटी उठा कर वापस hotel चले गए।
त्रिवेणी घाट-
कुछ देर आराम करने के बाद शाम को करीब 6 बजे हम त्रिवेणी घाट की तरफ चल दिए त्रिवेणी घाट की शाम की आरती को महाआरती कहा जाता है यह शाम को 7:00 बजे होती है जिसमें कई पंडित मिलकर महा आरती प्रज्वलित करते हैं घाट पर आए सभी लोग गंगा तट के किनारे पहुंच जाते हैं और पूरा घाट घंटियों और जय गंगा मैया के स्वर से गूंज जाता है धर्म और आस्था का यह संगम देखते ही बनता है आप आस्तिक हों या ना हो यह त्रिवेणी घाट की आरती आपको अपनी तरफ खींची लेगी और एहसास दिलाएगी संपूर्णता शून्यता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं! आत्ममंथन करने के लिए इससे बेहतर और कोई जगह नहीं है।
यहां हम गंगा के किनारे काफी देर बैठे रहे आरती हो जाने के बाद हम त्रिवेणी घाट से वापस आ गए अब birthday treat के नाम पर सबने पिज़्ज़ा खाया और केक काटकर बर्थडे सेलिब्रेट किया।
अगले दिन सुबह उठकर हम नीर वाटरफॉल जाने के लिए निकल गए नीर वाटरफॉल ऋषिकेश से थोड़ा आगे शिवपुरी की तरफ जाते हुए बीच में कहीं पड़ता है इसके लिए आप को बाहर से एक टिकट करीब ₹40 का लेना पड़ता है उसके बाद आप सीधा वाटरफॉल की तरह ऊपर को जाने वाली सड़क पर जाते हैं आप जैसे-जैसे वॉटरफॉल के करीब पहुंचते जाएंगे पानी के बहने की आवाज और तेज सुनाई देने लगेगी वाटरफॉल पहुंचने पर हमने स्कूटी नीचे ही पार्क कर दी, क्योंकि इसके बाद आपको कुछ देर ट्रैकिंग करके ऊपर की तरफ जाना पड़ेगा ऊपर पहुंचते ही आपको एक छोटा सा पुल दिखाई देगा यहां से वाटरफॉल बहुत खूबसूरत दिखाई देता है लेकिन यह बस इतना ही नहीं है अगर आप थोड़ी और हिम्मत कर सकते हैं तो थोड़ी और ऊंचाई पर यह वॉटरफॉल और ज्यादा साफ और सुंदर लगता है। ऋषिकेश में और भी दूसरे वॉटर फॉल है जैसे Patna waterfall
यहां आपको कई पर्यटक देसी/ विदेशी मिल जाएंगे जिनके साथ आप अपनी ट्रेवल स्टोरी साझा कर सकते हैं । घुमक्कड़ों का एक कानून यह भी है कि ना सिर्फ वह नई जगह देखें महसूस करें बल्कि नई कहानियों को एकत्रित भी करें वो कहते हैं ना
"मैं अकेला ही चला था जानिब-ए मंजिल मगर
लोग जुड़ते गए कारवां बनता गया"
फॉल में नहाने के बाद आप की जोरों की भूख को शांत करने के लिए पहाड़ों की मैगी आपका हमेशा साथ देगी तो फॉल से निकलते ही हमने मैगी खाई और कुछ और देर वहीं बैठने के बाद हम नीचे को उतर गए, हमारा अगला स्टॉप था परमार्थ निकेतन आश्रम ऋषिकेश में हजारों की संख्याओं में बेहतरीन आश्रम है यदि आप चाहें इनमें से किसी भी आश्रम में ना के बराबर रुपयों में रुक सकते हैं और यहां के रहन सहन से परिचित हो सकते हैं परमार्थ निकेतन आश्रम जाने-माने आश्रमों में से एक है इस आश्रम के सामने बनी शिव जी की प्रतिमा एवं रथ पर बैठे कृष्ण अर्जुन इस आश्रम की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं यहां आकर हमने पूरा आश्रम घूमा कुछ और देर गंगा के किनारे बैठे और फिर निकल पड़े उसी रोजमर्रा कि जिंदगी में वापस अच्छी यादें नए दोस्त और नई कहानियां लेकर।।