पिंडुल गुफा
ज़मीन के अंदर बहते पानी की वजह से जब चूना पत्थर से बनी चट्टाने काट कट कट कर गुफ़ाओं का निर्माण कर देती है तो इसे भूगोलीय भाषा मे कार्स्ट कहा जाता है | कार्स्ट द्वारा निर्मित, पिंडुल गुफा इंडोनेशिया के गुनांग किडुल शहर के केंद्र वोनोसारी के लगभग 7 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। गोवा पिंडुल विशेष रूप से गुफा टयूबिंग के लिए प्रसिद्ध है | यहाँ सैलानियों को गुफा के अंदर भूमिगत नदी की सतह पर टायरों के सहारे तैरने का मौका मिलता है|
क्या ख़ासियत है यहाँ की?
गोवा पिंडुल गुफा मे सैलानी भूमिगत गुफा मे बहती नदी मे ट्यूबिंग करने का अद्वितीय अनुभव ले सकते हैं |
गुंगुंग किडुल के योग्याकार्टा में स्थित पिंडुल गुफा मे नदी पर ट्यूबिंग करके आप धरती के गर्भ में एक अलग तरह के रोमांच को महसूस कर सकते हैं | ये रोमांचक गतिविधि जिसे गुफा के अंदर किया जाता है, दो प्रकार के खेलों का मिला जुला मज़ा देती है | पहला राफ्टिंग और दूसरा केविंग | नदी की धारा गेदोंग तुजुह झरने से आती है जो कभी नहीं सूखता | नदी का वेग शांत होने की वजह से बच्चों को भी इस गतिविधि में शामिल कर सकते हैं |
नदी के प्रवाह मे मस्ती से बहते हुए आप अंत मे गुफा की छत पर बने छेद के पास पहुँचेंगे | यहाँ आते आते नदी एक तालाब का रूप ले लेती है और गुफा की छत पर बने छेद से आती धूप की हल्की हल्की रोशनी बेहद खूबसूरत लगती है | ये जगह थोड़ा आराम करने, तस्वीरें लेने के लिए बहुत अच्छी है | और अपनी रोमांचक गतिविधि ख़तम होने से पहले अगर आप गुफा के मुहाने तक तैर कर जाना चाहते हैं तो ज़रूर कीजिए |
गुफा को अच्छे से जानें:
पिंडुल गुफा को 10 अक्टूबर 2010 को खोला गया | ये गुफा तीन सौ पचास मीटर लंबी, पाँच मीटर लंबी और नदी की सतह से छत तक चार मीटर उँची है | गुफा मे पानी अलग अलग जगह पर लगभग पाँच से बारह मीटर गहरी है |
गुफा के तीन क्षेत्र हैं | एक क्षेत्र मे रौशनी आती है, एक भाग मे हल्का प्रकाश होने से कुछ कुछ क्षेत्र दिखता है, और एक क्षेत्र ऐसा है जहाँ अंधेरा होने की वजह से कुछ नहीं दिखता | जिस भाग मे रोशनी आती है वहाँ सैलानी टायर से उतरकर तैर सकते हैं और चाहे तो चट्टानों से पानी मे कूद भी सकते हैं | हल्के प्रकाश वेल भाग मे आने पर आप गुफा की छतों और दीवारों पर स्वाभाविक रूप से बनी सुंदर स्टेलेक्टसाइट्स की संरचनायें निहार सकते हैं | गुफा के अंधकार वाले क्षेत्र मे आते ही आप कुछ देर के लिए पूर्ण रूप से घुप अंधेरे और चुप्पी का अतुल्य अनुभव कर सकते हैं |
गुफा के भीतर आकर्षण
स्टेलेक्टसाइट्स की स्वाभाविक संरचनायें गुफा का एक मुख्य आकर्षण हैं | ये गठित संरचनायें गुफा की छत से लटक रही होती हैं | पिंडुल गुफा में मौजूद एक विशेष स्टैलेक्टाइट गुफा क़ी सबसे बड़ी और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी संरचना है। यह संरचना इतनी बड़ी है कि अगर इस पर चारों ओर से हाथ रखा जाए तो पाँच लोगों की ज़रूरत पड़ेगी |
पानी के बहाव और चूना पत्थर से निकलते दूध नुमा तरल पदार्थ से गुफा के भीतर स्फटिक की चट्टानों पर अद्भुत कलात्मक डिज़ाइन बनी हुई देखी जा सकती है | गुफा के केंद्र मे एक बड़ा सा स्तंभ है जो हज़ारों साल पहले स्टैलेक्टसाइट और स्टालाग्माइट के एकीकरण से बना है | गुफा की छत से पानी की मोती नुमा बूँदें नीचे से निकलते सैलानियों पर टपकती हुई काफ़ी अच्छी लगती है |
कहानियों के अनुसार
कहानियों के अनुसार गुफा का नाम पड़ने के पीछे एक आदमी की दास्तान है जो अपने पिता को खोजने इस गुफा के रास्ते निकल पड़ा था | जोको सिंगलुलंग नाम के एक आदमी ने अपने पिता की खोज मे जंगल, गुफाएं, नदियाँ और पर्वत सबकुछ छान डाले | जब सिंगलुलंग ने बेजहारजो गांव की गुफाओं में से एक में प्रवेश किया, तो उसके गाल चट्टान से टकराया और सूज गया | पिंडुल नाम 'पाइपी गेबेन्डुल' शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है सूजा हुआ गाल।
ज़रूरी जानकारी
कहाँ है?
देसा विसाता बेजहारजो, गुंगुंग किदुल 558 9 1, इंडोनेशिया
गुफा मे घूमने की अवधि
पेंतालीस मिनट
कब शुरू होता है?
गुफा में ट्यूबिंग सुबह आठ बजे शुरू हो जाती है | लेकिन गुफा मे ट्यूबिंग करने का सही समय सुबह नौ या दस बजे का है जब पानी की धार सहनशील होती है | इस समय ट्यूबिंग करने का एक और फायदा यह है कि गुफा की छत के छेद से आती रोशनी बहुत सुहाती है |
अपना आरक्षण कम से कम एक दिन पहले करा लें।
खर्चा
अंतरराष्ट्रीय सैलानियों के लिए 425 भारतीय रुपये यानी 90,000 इंडोनेशियाई रुपये और स्थानीय सैलानियों के लिए 236 भारतीय रुपये यानी 50000 इंडोनेशियाई रुपये | खर्चे में में हेल्मेट, लाइफ वेस्ट, रबड़ ट्यूब, रबड़ के जूते और एक अनुभवी गाइड शामिल है।