बेंगलुरु की ऊँची ऊँची इमारतों और गोवा के रंगीन नाइट क्लबों से दूर भारत के समुद्र तट पर एक शहर है जो आज भी अपने शांत जीवन व नैसर्गिक सुंदरता के कारण जाना जाता है| कहने को तो शहर है मगर शहरीकरण की भीड़-भाड़ से इसने आज तक अपने आप को बचाए रखा है| यहाँ की हवा में साँस लेने से आज भी धुएँ की दुर्गंध नहीं बल्कि धरती की महक आती है| यहाँ घूमते हुए बहुत से नज़ारे देखने को मिल जाते हैं | कहीं सोता हुआ हाथी तो कहीं फुटबॉल खेलते बच्चे|
कासरगोड में आपका स्वागत है! केरल की सबसे उत्तरी जिले में स्थित यह तटीय शहर पूर्व में सहयाद्री पर्वतों और पश्चिम में अरब सागर से घिरा हुआ है | यदि आप हफ्ते के अंत में यहाँ छुट्टियाँ मनाने आते हैं तो आपको शहर की भागदौड़ से दूर एक सुकून भरी जिंदगी की झलक मिलेगी|
कैसे पहुँचे
कासरगोड नाम के छोटे से शहर में घूमने लायक सभी जगह पैदल चल कर देखी जा सकती है| अगर आपको ऑटो रिक्शा से घूमना पसंद है तो वह भी आपको बहुत आसानी से किराए पर मिल जाएगा| आप एक पूरे दिन के लिए भी टैक्सी किराए पर कर सकते हैं| किराए की दर या तो ₹8 प्रति कि.मी. या ₹2000 पूरे दिन के लिए है| लोकल बसों का टिकट ₹6 से शुरू होता है |
देखने और करने योग्य
केरल जैसा राज्य जो अपने रेतीले तटों , समुंदर और नदियों के लिए जाना जाता है, ऐसे राज्य में स्थित कासरगोड जिला अपने किलों के लिए प्रसिद्ध है|
बेकल का किला कासरगोड का सबसे मुख्य आकर्षण है| केरल के सबसे बड़े किलों में शुमार बेकल का किला शहर से केवल 10 कि.मी. की दूरी पर है | किले के शीर्ष पर आसानी से जाया जा सकता है और ऊँचाई से अरब सागर का इतना सुंदर दृश्य देखने को मिलता है कि आप वही बस जाना चाहेंगे| 300 साल पुराने चाबी के छेद के आकार में बने इस किले को युद्ध एवं रक्षा रणनीति को ध्यान में रखकर बनाया गया था जो आज स्थानीय लोगों व सैलानियों के लिए घूमने की पसंदीदा जगहों में से एक है| हिंदी फिल्म प्रेमियों के लिए बताना चाहेंगे कि बेकल का किला वही स्थान है जहाँ मनीषा कोइराला का प्रसिद्ध गाना 'तू ही रे' फिल्माया गया था |
प्रवेश शुल्क : ₹15 प्रति व्यक्ति
समय : सुबह 8.00 बजे से शाम 5.30 तक
चंद्रगिरी का किला
चंद्रगिरी का किला आज भी एक सुंदर ढाँचा है जो पुराने समय के केरल की सुंदर को बड़ी बखूबी से बयान करता है| समय की मार से ये किला अब लगभग खंडहर बनने की कगार पर है| लेकिन अब भी ये आस पास के इलाक़ों मे उतना ही मशहूर है जितना पहले था| ओर इसका प्रमुख कारण है यहाँ से दिखने वाला नज़ारा| चंद्रगिरी नदी अरब सागर से मिलते हुए देखी जा सकती है| कासरगोड से मात्र सात कि.मी. की दूरी पर स्थित ये इमारत मन मोहने वाले सूर्यास्त के लिए इन्स्टग्रामर लोगों मे जाना जाता है| पास में ही आप चंद्रगिरी पुल पर से शुरू होने वाली नाव यात्रा का आनंद ले सकते हैं जो आपको चंद्रगिरी नदी मे आधे घंटे तक उपलब्ध है|
प्रवेश शुल्क: देशी सैलानी का ₹5 प्रति व्यक्ति, ₹100 विदेशी नागरिकों के लिए प्रति व्यक्ति
समय: 8 बजे से शाम 5.30 बजे
बीच
तटीय शहर होने की वजह से कासरगोड मे सुंदर समुद्रातटों की कोई कमी नहीं है |
कपिल बीच
तटीय शहर होने की वजह से कसरगोड में समुद्र तटों की कोई कमी नहीं है| अपने आप के साथ कुछ समय बिताने के शौकीन लोगों के लिए कपिल बीच बहुत अच्छी जगह है| इस तट पर आप आराम फरमा सकते हैं या कुड़ी क्लिप नाम की एक छोटी सी पहाड़ी पर चढ़ाई भी कर सकते हैं| पहाड़ी से आसपास का नज़ारा देखते ही बनता है| कपिल बीच उन लोगों के लिए बहुत बढ़िया जगह है जो सैलानियों की सैलानी और व्यापारियों की भीड़-भाड़ से दूर कुछ समय आराम से बिताना चाहते हैं यह केरल के सबसे साफ और प्रदूषण मुक्त समुद्र तटों में से एक भी है।
बेकल बीच
बेकल बीच किले के बिल्कुल पास मौजूद है| तट के एक छोर पर रंग बिरंगी मछली पकड़ने की नावे है| इसके अलावा पूरा तट तैरने या आराम फरमाने के लिए आपका ही है| आपको यहाँ घूमते घूमते कुछ फेरीवाले यहाँ मिठाईयाँ, चटपटा नाश्ता, घोड़ा गाड़ी की सवारी बेचते और जादू दिखाते मिल ही जाएँगे|
मुज़प्पिलँगद
मुज़प्पिलँगद कासरगोड से 100 कि.मी. दूर एक जबरदस्त जगह है| 4 कि.मी. लंबा यह समुद्र तट एशिया का सबसे लंबा ड्राइव ऑन समुद्र तट है| यहाँ की सुनहरी रेत पर गाड़ी चलाने का मजा ही कुछ और है। लॉन्ग ड्राइव के शौकीन लोगों को यह जगह एक बार ज़रूर देखनी चाहिए|
कौप
कासरगोड से एक दिन की यात्रा और करने पर कौप समुद्र तट आता है| यह समुद्र तट मुख्य शहर से 90 कि.मी. की दूरी पर स्थित है और यहाँ आप समुद्र को अपने प्रचंड स्वरूप में देख सकते हैं| ऊँची- ऊँची लहरों का सैलाब देखने पर आप समझते हैं कि प्रकृति की इतनी विशालकाय ताकतों के आगे मानव कितना छोटा प्राणी है| बीच पर एक लाइटहाउस अभी भी चालू हालत में है जिसे देखकर आप अचंभित रह जाएँगे| इस लाइट हाउस को देखने का समय हर रोज शाम 4:00 से 6:00 के बीच में है| यहाँ की जोखिम भरी खड़ी चढ़ाई को देखते हुए एक बार में सिर्फ चार या पाँच सैलानियों को इस लाइटहाउस तक पहुँचने की अनुमति है| मगर एक बार लाइट हाउस पर पहुँच गए तो आसपास की सुनहरी रेत और उछाल खाती लहरों को देखकर लगेगा कि पैसा वसूल हो गया|
मालपे बीच
कासरगोड से 110 कि.मी. की दूरी पर स्थित मालपे बीच एक दिन की आनंददायक यात्रा के लिए बहुत बढ़िया जगह है| भारत के ज्यादातर समुद्र तटों की तरह यहाँ भी सैलानियों के लिए खाने पीने की दुकानों स्पीड बोटिंग, पैरासेलिंग, बनाना बोटिंग और जेट स्कीइंग जैसे रोमांचक खेल मौजूद है| यहाँ आपको गोवा की तरह की नाइट क्लब और बीच पार्टियाँ देखने को मिलेगी | इसलिए यहाँ गोवा के जैसा अनुभव लेने भी जा सकते हैं | | लेकिन असलियत में मालपे को विशिष्ट बनाने वाला यहाँ का सेंट मैरी द्वीप है| यह द्वीप यहाँ की समुद्र से निकलती खंबे की भांति खड़ी चट्टान संरचनाओं के लिए जाना जाता है | ₹20 प्रति व्यक्ति की दर से फेरी आपको मालपे से सेंट मैरी तक ले जा सकती है
मंदिर
कासरगोड में कई मंदिर भी स्थित है |
अनंतपुरा झील का मंदिर
अनंतपुर झील मंदिर केरल का एकमात्र झील में स्थित मंदिर है| अनंत पदमनाभा स्वामी का मुख्य स्थान मान्य माना जाने वाले इस मंदिर में हर दिन केरल और कर्नाटक से आने वाले हजारों तीर्थयात्रियों का ताँता लगा रहता है| इस मंदिर की कहानी का सबसे दिलचस्प हिस्सा इसके बाहर की झील में रहने वाले एक शाकाहारी मगरमच्छ है| यह मगरमच्छ मंदिर के चारों ओर झील के पानी में रहता है और मांसाहारी जानवर होने के बावजूद सिर्फ चावल व गुड खाता है| स्थानीय कहानियों के अनुसार जब एक मगरमच्छ मर जाता है तो चमत्कारी रूप से वहाँ दूसरा मगरमच्छ अपने आप आ जाता है|
मल्लिकार्जुन मंदिर
मल्लिकार्जुन भगवान शिव का ही एक नाम है और यह मंदिर इस जिले के सबसे पुराने और मशहूर मंदिरों में से एक है| अपनी कला और संगीत के लिए मशहूर भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में हर साल मार्च-अप्रैल के महीने में त्योहार मनाया जाता है| त्योहार के समय एक पारंपरिक नृत्य यक्षगना का प्रदर्शन होता है|
भगवती मंदिर
भगवती देवी को समर्पित पलाक्कून्नू श्री भगवती मंदिर कासरगोड के मुख्य मंदिरों में से एक है| भगवती देवी दुर्गा का ही एक रूप है| ऐसी मान्यता है कि देवी भगवती जिले में रहने वाले सभी निवासियों की देखभाल करती है और जिले की रक्षा करती है| हर साल मार्च में मनाया जाने वाला बारानी महोत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है|
श्री गोपाल कृष्ण मंदिर
कासरगोड शहर के नजदीक स्थित श्री गोपाल कृष्ण मंदिर भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई भगवान बाला गोपाल कृष्ण को समर्पित है| पौराणिक कहानियों के मुताबिक भगवान बाला की मूर्ति भगवान कृष्ण ने स्वयं महर्षि कनक को दी थी जिन्होंने इस मंदिर की स्थापना की है| बताते हैं कि इस मंदिर को त्रेता द्वापर और कलयुग तीनों युगों में स्वयं भगवान का आशीर्वाद प्राप्त है|
थेय्याम
कासरगोड के साथ-साथ पूरे उत्तर केरल में मशहूर थेय्याम एक स्थानीय अनुष्ठान है| कलियर टर्म के नाम से भी जाने वाले इस अनुष्ठान में नाच-गाने, नाटक और संगीत के द्वारा पुरानी पुराने लोगों और जातियों की सभ्यता और संस्कृति को दर्शाया जाता है| इन स्थानीय जनजातियों की संस्कृति में स्थानीय देवी-देवताओं और पुरखों की की आत्माओं की पूजा करने को काफी महत्व दिया जाता है| उत्तर भारत में 400 से अधिक थेय्याम प्रचलित हैं लेकिन सबसे ज्यादा मशहूर है रक्था चामुंदी, करी चामुंदी, मुचीलोततू भगवती, वायनाडु कुलवें, गुलीकान आंड पोत्तन है| यह अनुष्ठान और प्रदर्शनी वान्नान, मलेयन और अन्य जातियों के लोगों द्वारा मंदिरों में मंच पर दर्शकों के सामने किया जाता है|
तुदांगल (शुरुआत) और तोत्तम (आमंत्रण) थेय्याम या तिरा कहे जाने वाले के प्रारंभिक अनुष्ठान के अंग हैं | यह दक्षिण मालाबार का काफी लोकप्रिय प्रारंभिक अनुष्ठान है| इस अनुष्ठान में सिर और चेहरे की शानदार सजावट की जाती है| विविध प्रकार के आभूषणों और रंग-रोगन से सुसज्जित होकर यह अनुष्ठान कासरगोड में दिसंबर से अप्रैल के महीनों के बीच सालाना किया जाता है| फिर भी कन्नूर में स्थित श्री मुथप्पन मंदिर में थेय्याम साल में सभी दिन मनाया जाता है|
कैसे पहुँचे
कासरगोड जाने का सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी तक का है जब तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं होता और औसत तापमान 20 डिग्री सेल्सियस पर एकदम सुहाना होता है| दोपहर में फिर भी गर्मी हो जाती है लेकिन पूरे दिन ठंडी हवाएँ चलती ही रहती है| मार्च से जून तक के मौसम में कासरगोड ना जाए क्योंकि उस वक्त तापमान 40 डिग्री से ऊपर पहुँच जाता है| जून से अगस्त तक जाना भी ठीक नहीं क्योंकि इस समय यहाँ भारी वर्षा होती है| लेकिन बारिश के समय में यहाँ चारों ओर बहुत सुंदर हरियाली हो जाती है| तो अगर आप को पानी से कोई डर नहीं है तो आप इस समय भी कासरगोड जा सकते हैं|
कैसे पहुँचे
बेंगलुरु से करीब 55 कि.मी. दूर कासरगोड स्थित है और यहां सड़क से पहुँचने में लगभग 1 घंटा 15 मिनट लग जाते हैं|
हवाई जहाज द्वारा: कासरगोड से सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा यहाँ से 60 कि.मी. दूर बेंगलुरु में स्थित है| यहां से बेंगलुरु, मुंबई और चेन्नई के लिए रोज हवाई जहाज उड़ान भरते हैं| ₹6800 में दिल्ली से बेंगलुरु तक का जाना और आना हवाई जहाज़ द्वारा किया जा सकता है किया जा सकता है| बेंगलुरु हवाई अड्डे पर उतरकर आप कासरगोड तक की एक टैक्सी भी किराए पर कर सकते हैं|
रेल द्वारा : कासरगोड एक प्रमुख हवाई अड्डा है जो यहाँ से जाने वाली लगभग सभी रेल के रास्तों में आता है| दिल्ली मुंबई और चेन्नई से यहाँ तक की सीधी रेल भी उपलब्ध है|
बस द्वारा : बेंगलुरु और कासरगोड के बीच में के आरकेएसआरटीसी की कई बसें चलती है| इस रूट पर चलने वाली प्राइवेट बसों में भी यात्रा किया जा सकता है |सड़क से मुंबई और कोच्चि को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 17 कासरगोड से होकर निकलता है| हां के आसपास की सड़के काफी अच्छी स्थिति में है|
ठहरने की जगह
गीतांजलि हेरिटेज
गीतांजलि हेरिटेज एक बहुत ही मिलनसार परिवार द्वारा चलाया जाने वाला होमस्टे है| यह जिंदादिल परिवार आपकी शहर घूमने में सहायता तो करता ही है साथ ही किलों, समुद्र तटों और तैय्याम शो की भी व्यवस्था करता है|
दो लोगों के कमरे का एक रात का भाड़ा करीब मात्र ₹5000 है|
ताज बेकल रिजॉर्ट एंड स्पा
सफेद झक दीवारों व नावनुमा छत और व्यक्तिगत समुद्र तट वाला ताज बेकल रिजॉर्ट एंड स्पा भी ठहरने की एक बहुत बढ़िया जगह है| एक कमरे में 2 लोगों के रुकने का भाड़ा करीब ₹9500 है| ठहरने के और विकल्प देखने के लिए यहाँ क्लिक करें|
क्या आप कभी कासरगोड जैसी असाधारण जगह गए हैं? क्या आपने कभी अनंतपुरा झील मंदिर का शाकाहारी मगरमच्छ देखा है? हमें कॉमेंट्स में लिखकर बताएँ।