गोकर्ण एक तीर्थ स्थल है जो कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में स्थित है और यह स्थान पर्यटकों के बीच एक सुंदर तट है। यह स्थान, दो नदियों अग्निशिनि और गंगावली के संगम पर स्थित है। यह स्थान नदियों के ऐसे क्षेत्र में बसा हुआ है जो देखने में गाय के कान के रूप जैसा लगता है, और शायद इसीकारण इस स्थान का नाम गौकर्ण पड़ा है जिसका अर्थ होता है गाय का कान।
गोकर्ण में स्थित महाबलेश्वर शिव मंदिर सबसे प्रमुख तीर्थस्थान है जो यहां आने वाले सभी पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है। इस मंदिर में तमिल के प्रमुख कवियों अप्पार और सामबंदार की लिखी हुई कविताएं अंकित है जो भगवान तुलु नादु को समर्पित है। यह स्थान कदमबास के शासन के अंर्तगत आता था, इसके बाद वहां विजयनगर राजाओं का आधिपत्य रहा और फिर पुर्तगालियों ने यहां जीत हासिल कर ली। श्
गोकर्ण का इतिहास
गोकर्ण का महाबलेश्वर मंदिर और वहां की शिवलिंग, पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है। माना जाता है कि यह शिवलिंग, रावण के द्वारा यहां तक लाई गई थी। उन्होने यहां आत्मलिंग को स्थापित किया है, जो एक ऐसा लिंग है जिससे उन्हे कई शक्तिशाली शक्तियां प्राप्त हुई और वह इसकी पूजा करके अजेय होने की शक्ति प्राप्त करना चाहता था, इससे सभी देवता घबरा गए और उन्होने इसका उपाय ढूढंने का प्रयास किया।
बाद में भगवान गणेश ने चाल खेली और इस लिंग को यहीं छोड़ दिया। महाबलेश्वर मंदिर के अलावा, गोकर्ण में और भी कई मंदिर है जिनमें से महागणपति मंदिर, भद्रकाली मंदिर, वारादराजा मंदिर और वेंकटरमण मंदिर आदि प्रमुख है।
गोकर्ण के आसपास स्थित अन्य पर्यटन स्थल - तटों और रेत का शहर
गोकर्ण, आजकल तेजी से एक पर्यटन स्थल के रूप में उभर रहा है और यहां पर कई सुंदर तट है जो देखने में गोआ के तटों जैसे लगते है। यहां का कुडेल तट, गोकर्ण तट, हॉफ मून तट, पैराडाइज तट और ओम तट यहां के पांच प्रमुख तट है जो पर्यटकों का मन मोह लेते है।
गोकर्ण तट, शहर के प्रमुख तटों में से एक है और महाबलेश्वर मंदिर की यात्रा करना यहां सबसे जरूरी माना जाता है। कुडेल तट, यहां के सभी समुद्र तटों में सबसे बड़ा माना जाता है और नवंबर से फरवरी के दौरान यहां सबसे ज्यादा भीड़ होती है। इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि यह तट, तैराकी के लिए सुरक्षित नहीं है।
ओम तट पर खूबसूरत तटीय रेखा स्थित है जिसका आकार हिंदू धर्म के प्रतीक ओम की तरह दिखता है। यह प्रतीक एक पूल के रूप में बना हुआ है, यहां पर तैराकी करना बहुत आसानी है, जिन लोगों को तैराकी नहीं आती है, वह भी यहां आसानी से तैराकी कर सकते है।
यहां स्थित हॉफ मून तट, चंद्रमा के आधे आकार जैसा दिखता है जिसके कारण इसे हॉफ मून कहा जाता है। इस तट तक जाने के लिए एक पहाड़ी से होकर गुजरना पड़ता है। गोकर्ण का पैराडाइज तट एक चट्टानी तट है लेकिन यह बेहद खूबसूरत है और एकांत जगह पर स्थित है। यह चट्टानी समुद्र तट, तैराकी के लिए सुरक्षित नहीं है क्योंकि यहां समुद्री लहरें हमेशा तेजी से टकराती है।
गोकर्ण, यहां के सबसे दुलर्भ स्थानों में से एक है जहां सभी तीर्थयात्री मंदिरों में दर्शन करने और सैलानी तटों पर सैर करने आते है।