मुसाफिरों की भीड़ में, मैं एक पर्यटक हूँ और और मुझे इस पर गर्व है!

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मैं हमेशा यात्रा करने की शौक़ीन रही हूँ, और इस बात के लिए मैं अपने माता-पिता को धन्यवाद करती हूँ जो यात्रा करना पसंद करते थे। हालांकि, जैसे-जैसे मैं बड़ी होती गई, मुझे एहसास हुआ कि यात्रा एक शौक या जुनून नहीं है। यात्रा, मेरे लिए, एक चिकित्सा है। यह मुझे शांत, खुश बनाता है और मुझे जीवन पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।

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मैंने हमेशा अपने माता-पिता के साथ लोकप्रिय स्थानों की यात्रा की थी। अमृतसर से उदयपुर तक, मसूरी से वाराणसी तक, उनके साथ मेरी यात्रा हमेशा पारिवारिक थी और उन यात्राओं के दौरान हम उन चीजों को ही देखते जिन्हें हम जानते थे या जहाँ हर कोई जाता था। ऑफबीट रास्ते का पता लगाने या खाने के लिए एक नई जगह खोजने के लिए बाहर निकलना इस सफर में नहीं था। और ईमानदारी से, इसी ने जीवन में यात्रा के मेरे दृष्टिकोण को आकार दिया।

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जब मैंने पहली बार विदेश यात्रा की, तो मेरी यात्रा उन यूरोपीय शहरों के लिए थी जो ज्यादातर भारतीयों द्वारा देखी गई थीं- पेरिस, लंदन, वियेना, ज़्यूरिख और पिसा ।

और यहाँ भी यात्रा कार्यक्रम तय किया गया था, दर्शनीय स्थलों का भ्रमण बहुत ही मशहूर पर्यटक स्थलों तक ही सीमित था, और खुद शहर को खोजना सिर्फ खरीदारी के वक्त ही किया जा सकता था।और मैंने इसके हर मिनट को बेहद पसंद किया। मैं 16 वर्ष की थी और आइफिल टावर, पीसा के लीनिंग टॉवर को देखने का रोमांच, यहाँ तक ​​कि बकिंघम पैलेस और बिग बेन की सैर की तुलना मेरे किसी भी अनुभव से नहीं की जा सकती।

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श्रेय: रोज़ली

हालांकि, जैसे-जैसे मैं बड़ी हुई और ब्लॉगिंग के कॉन्सेप्ट से परिचित हुई, मैंने पाया कि वहाँ ऐसे लोग थे जो वही शहर घूम रहे थे जो मैं घूम रही थी, लेकिन वो मुझसे कहीं ज्यादा चीजें देख और अनुभव कर रहे थे।

उनमें से कुछ वास्तव में उन चीजों को देख रहे थे जिनके बारे में मैंने कभी भी नहीं सुना था और उन 'पर्यटक' स्थलों को पूरी तरह नज़रअंदाज कर रहे थे, जिनके सामने मैंने बड़ी खुशी और गर्व के साथ फोटो खिचवाई थी। कुछ पल के लिए, इन लोगों की यात्रा की कहानियों के बारे में पढ़ने से मुझे वास्तव में लोकप्रिय जगहों पर नई चीजों की खोज नहीं करने के लिए दोषी सा महसूस होने लगा। यह पहली बार था जब मैंने सोचा कि किसी ने मेरे यात्रा करने के आनंद को लूट लिया है।

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धीरे-धीरे, 'बैकपैकिंग' और 'ऑफबीट ट्रैवल' लोकप्रिय हो गया और मैंने यात्रा करना बंद कर दिया।

मेरे यात्रा बंद करने के प्रमुख कारणों में से एक कारण यह भी था कि जब मैं हम्पी गयी और वापस आई तो मैं अपनी यात्रा के लिए खुश और उत्साहित थी, पर मुझे नदी पार नहीं करने और हिप्पी संस्कृति की खोज ना करने के लिए नीचा दिखाया जाने लगा। मुझे छोटा समझा गया क्योंकि मैं एक होटल में रही थी, ना कि वहाँ के लोगों के घरों में। मुझे इतना दोषी महसूस हुआ, मैं सोचने लगी कि मैंने पैसा खर्च कर दिया पर सही मायने में हम्पी का अनुभव नहीं किया! मुझे बताया गया था, सीधे स्पष्ट वाक्यों में , "आप एक पर्यटक हैं, एक यात्री नहीं!"। मैं टूट गयी थी। मैं किसी स्थान पर नहीं जाना चाहती थी और उसे 'एक्सप्लोर' ना करने पर खुद को दोषी महसूस नहीं करना चाहती थी। लेकिन सिर्फ उस दिन तक, जब मैं एक ऐसे व्यक्ति से मिला जो दुनिया में लगभग सभी ऑफबीट जगहों पर जा चुका था (2012 में रवांडा और यूक्रेन, सोचिए) और उसने मुझे बताया कि वह कैसे अफ़सोस करता है कि काश वो युक्रेन में कुछ अनूठी और फेसबुक पर ना मिलने वाली जगह ढूँढने के बजाय उन पैसों को पैरिस में आइफिल टावर देखने पर खर्च करता।

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यह मेरी यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। मुझे एहसास हुआ कि यात्रा यात्रा है, चाहे आप उत्तराखंड के छिपे हुए गाँवों में बैकपैक कर रहे हों या हवाई जहाज के ज़रिए लेह पहुँचे हों। और आखिरकार, क्या आपकी यात्रा पूर्ण है, अगर आप पेरिस तक जाते हैं और एफिल टॉवर को देखे बिना वापस आते हैं?

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मैं बैकपैकिंग या एक्सप्लोर के खिलाफ नहीं हूँ, लेकिन मुझे लगता है कि यात्रियों की वर्तमान पीढ़ी ने पर्यटक चीजें करने का जो आकर्षण था वो खो दिया है।

वास्तव में हम्पी में शक्तिशाली विजयनगर साम्राज्य के खंडहरों का दौरा करने और वास्तुकला, विकास और इसके अंतिम पतन की सराहना करने में क्या बुरा है? प्राग के चार्ल्स ब्रिज पर चलने और वहाँ कि खगोलीय घड़ी के आगे घंटों तक बैठने में क्या नुकसान है? कुछ भी तो नहीं! ये वे चीजें हैं जो इन स्थानों को अपनी पहचान देती हैं और अगर आप इन शहरों को पहचान दिलाने वाली जगहों की सराहना नहीं कर सकते हैं, तो क्या आप इन स्थानों की छिपी संभावनाओं की सराहना कर सकते हैं? और, अज्ञात कोनों और कम मशहूर शहरों में ना घूमने से, आपके यात्रा कार्यक्रम पर बने रहने में, पर्यटक होने में कोई शर्म नहीं है।

यात्रा के अपने तरीके का मालिक बनें, और इसका आनंद लें! दूसरे लोगों के दबाव से आपनी यात्रा की किसी भी खुशी को लूटने ना दें।

यह वह मंत्र है जिसे मैंने जीवन में अपनाया है, और तब से मैंने कुछ सबसे अद्भुत स्थलों का दौरा किया है। कच्छ से मांडवी तक बुडापेस्ट से एम्स्टर्डम तक, मैंने सब किया है, ऑफबीट, लोकप्रिय, पर्यटक स्थल, सब कुछ। लेकिन मैं अभी भी ऐसे स्थानों पर जाती हूँ जो शहर में सबसे मशहूर हैं। मैं एम्स्टर्डम गयी और शहर के बाहरी इलाकों में वक्त नहीं बिताया। मैं मिस्र गयी और देश के सबसे लोकप्रिय स्थलों पर ही फोकस किया। मैंने कच्छ तक की यात्रा की और शानदार तंबू में रही और लक्ज़री पर्यटक पैकेज लिया। और मुझे इसमें से कोई पछतावा नहीं है। मैं एक 28 साल की स्वाभिमानी लड़की हूँ, जो अपने जीवन में 56 से अधिक शहरों में रही है और 500 और शहरों यात्रा करने के लिए उत्सुक हुँ।

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बैकपैकिंग ठीक है। लेकिन मैं दिल से एक पर्यटक हूँ और इसमें कुछ भी गलत नहीं है!

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