घूमने का शौक हों और पुराने दोस्त का साथ तो शायद उस ट्रिप में आपको दुनिया की सारी खुशियां मिल जाती हैं। जैसे इंस्टाग्राम पे आज कल एक रील्स की लाइन बहुत फेमस हो रहीं हैं, "कुछ दिनों के लिए दोस्तों के संग ट्रिप पे क्या निकल गया दुनियां फिर से खुबसुरत लगने लगीं"। इसी लाइन को जीने के लिए मैंने भी अपने एक बहुत ही पुराने दोस्त को कॉल लगाया और बोला दोस्त बनारस चले क्या घूमने बहुत दिन हों गए कहीं घूमें। दोस्त की हामी के साथ बातों का सिलसिला आगे बढ़ा और सोचा लगभग पांच साल बाद हम एक साथ कहीं घूमने जा रहें हैं, तो इसे किसी रूप से यादगार बनाते हैं। बातों बातों में हमनें सड़क मार्ग का प्लान बनाया, यात्रा को और दिलचस्प यादगार बनाने के लिए मैंने अपने बहन के स्कूटी से जानें की योजना बनाई।
यह पहली मरतबा होगा जब मैंने किसी ट्रिप के लिए स्कूटी का चुनाओ किया वो भी इतनी दूर गोरखपुर से बनारस लगभग 270 किलोमीटर का।
हम पूरे जोश के साथ सुबह सुबह करीबन 9 बजे गोरखपुर से बनारस के लिए रवाना हुए। रास्ते मे हम अभी 30km ही चले होगे की बारिश की वजह से हमनें अपना पहला ब्रेक किया। काफी वक्त इंतज़ार करने के बाद मैं और मेरे दोस्त ने यह डिसाइड किया यह बारिश तो नहीं रुकने वाली तो प्लान को थोडा चेंज करते हैं। अभी फिलहाल के लिए हम गाजीपुर चलते हैं और वहां आराम करते हुए बारिश रुकने का इंतज़ार करते हैं। आपको बता दूं की गाजीपुर में मेरे दोस्त के चाचा का घर हैं इसलिए हमने सोचा बारिश मे कहीं और रूकने से अच्छा हम गाजीपुर चलते हैं। शाम करीबन 4 बजे बारिश रुकी तो फिर हमनें अपने ट्रिप को आगे बढ़ाया।
रात को बनारस पहुंचते ही हमनें सबसे पहले सुबह कहा जाना हैं यह प्लान बनाया। काफ़ी रील देखने के बाद मेरे अंदर का ब्लॉगर का मन सुबह ए बनारस देखने का किया। उसके दो कारण थे, पहला तो अस्सी घाट की सुबह की आरती और दूसरा साइबेरियन। पर वो कहते हैं ना जो सोचा हो वो हर बार हो जाए यह मुमकिन नहीं। हम सुबह घोड़े बेच के सोचते रहें और हमारी नींद करीबन 8 बजे खुली। फिर हम जल्दी जल्दी तैयार हुए और स्कूटी उठा के नमो घाट पहुंच गए। नमो घाट पे सबसे पहले हमनें बनारस की फेमस बदनाम चाय पी। कुछ टाइम वहा घूमने के बाद हम सीधे नेपाली मंदिर पहुंचे। अगर आप बनारस जा रहें हैं तो इस मंदिर जाना बिल्कुल ना भूलें। यहां से आपको घाट का एक बहुत ही सुन्दर व्यू देखने को मिल जायेगा
नेपाली मंदिर से निकलते ही हम पहुंचे मणिकर्णिका घाट ,जीवन और मृतियों को करीब से देखने। वहा से निकल के हमनें नाव बुक किया ताकि हम सारे घाट को और क़रीब से देख सकें और गंगा की सैर कर सकें। नाव में घूमने के बाद हम चले खाने, खाना खाने के बाद हम निकले बीएचयू की सैर करने। बीएचयू टेंपल घूमने के बाद हमारा पहला दिन समाप्त हुआ। एक दिन में काफ़ी कुछ कवर करने के बाद दूसरे दिन पे हमारा सारा फोकस बनारसी फूड पे था यह सोचते सोचते मैं सोया की सुबह कब होगी।
दूसरे दिन की हमारी शुरुवात पहले दिन जैसी ही हुई हम फिर से काफ़ी लेट उठे। रात को बीएचयू का व्यू देखने के बाद हमने यह डिसाइड किया था की हम सुबह यहीं से करेंगे। फिर क्या था हम ने अपनी स्कूटी उठाई और पहुंच गए बीएचयू कैंपस, वहां पहुंच के हमनें सबसे पहले मंदिर के दर्शन किए। आईआईटी कैंपस घुमा और सीधे निकल गए अस्सी घाट। अस्सी घाट पे आ के जो हमें सुकून मिला वो हमें शायद ही आज से पहले महसूस हुआ होगा। घाट के किनारे बैठना नींबू वाली चाय पीना शायद यह ही ज़िंदगी का सुकून हैं। अस्सी घाट से कुछ दूर आगे चल के हम तुलसी घाट पहुंचे वहां घूमने के बाद हमनें सोचा चलो अब कुछ खा लेते हैं। हम पहुंचे लिट्टी चोखा खाने अगर आप यूपी आ रहें हैं तो लिट्टी चोखा खाना बिल्कुल भी ना भूलें। लिट्टी चोखा खाने के बाद हम निकले केदार घाट।
कभी कभी गूगल बाबा भी गलत जगह ले जा सकते हैं मुझे उस दिन पता चला। केदार घाट पे एक मंदिर हैं केदारेश्वर मंदिर वहा जानें के चक्कर में हम 7km आगे ना जानें कहा पहुंच गए। फिर हमने डिसाइड किया की अब काफ़ी लेट हो रहा हैं, हमें अब आरती के लिए निकलना चहिए। बनारस की तंग गली से जैसे तैसे ट्रैफिक से निकलते हुए हम पहुचेे दशाश्वमेध घाट आरती देखने। आने में हमें इतना लेट हो गए की हमें बहुत पीछे खड़ा होना पड़ा। लेकिन जिंदगी में हम सब को एक बार यह आरती जरूर देखना चाहिए एक अलग ही एक्सपीरियंस होता हैं। अगर आप आरती देखना चाहते हैं तो सबसे पहले आप यहां जल्दी आए और नाव बुक कर के और नाव से आरती देखें।
आरती देखने के बाद हम पहुंचे चाट भंडार "काशी चाट भण्डार" जो की बनारस का फेमस चाट भण्डार हैं यहां हमनें टमाटर चाट खाया फिर टंडाई पी और निकल गए फिर बीएचयू दर्शन के लिए। यहां आ के हमें एक बात तो पता चली की हमें बीएचयू बहुत पसन्द आया। हम कहीं भी रहें हम दो टाइम बीएचयू जरूर जाते थे और अपने कॉलेज के दिनों का फिर से जीते थे।
तो ऐसी थी कुछ हमारी बनारस की दो दिन की यात्रा हमनें लगभग सारी चीज कवर कर ली थी लेकिन एक रोज उठेंगे कभी गंगा किनारे दौड़ लगाने फिर से, उन्हीं गलियों में घूमेंगे, शाम की आरती देखेंगे, बीएचयू के गेट पे लॉग लता खाने फिर से आयेंगे क्योंकि बाबू ई काशी है इ किसी को नहीं छोड़ता और जो एक बार जो यहां आ गया वो यहीं का हो के रह जाता हैं।
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