पहला दिन (18.03.2019)
इस बार घूमने के लिये जिस पर्यटन स्थल का चुनाव हुआ वो था मॉरीशस । प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक मार्क ट्वैन ने मॉरीशस के बारे में कहा था कि “भगवान ने पहले मॉरीशस बनाया फिर स्वर्ग और स्वर्ग को मॉरीशस की नकल कर बनाया गया।“
दक्षिणी गोलार्द्ध पर हिंदमहासागर में स्थित अफ्रीकीय महाद्वीप का यह छोटा सा द्वीप देश वाक़ई में बेहद ख़ूबसूरत है। मार्क ट्वैन की बातों में कोई अतिशयोक्ति नहीं है, इसका अहसास हमें मॉरीशस की धरती पर कदम रखते ही हो गया था।
समय की उपलब्धता और अनुकूलता को देखते हुए घूमने का समय निश्चित हुआ मार्च। जाने वाले थे हम तीन लोग – मैं विकास, मेरी पत्नी मोनिका और लिटिल प्रिंसेस सिया ।
तुरन्त ही हमारी वर्षों की विश्वसनीय ट्रैवेल एजेंसी की मदद से टिकट्स और होटेल बुकिंग्स को लॉक किया गया। अब उत्साह और शॉपिंग दोनों चरम पर थे। जैसे जैसे जाने की तारीख नज़दीक आ रही थी, एक अजीब सी, मीठी सी बैचेनी अलग ही स्तर पर जा रही थी।
18 मार्च,2019 को मुम्बई छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट टर्मिनल-2 से भारतीय समयानुसार तकरीबन प्रातः 06:30 बजे की एयर मॉरिशस की हमारी फ़्लाइट थी इसलिये हम लोग एक दिन पूर्व शाम को ही इंदौर से मुम्बई पहुँच गए थे। प्रातः 03:20 बजे जब हम एयरपोर्ट पहुँचे तो वहाँ का नज़ारा देश के इस व्यस्ततम एयरपोर्ट को बिल्कुल चरितार्थ कर रहा था। चेक-इन, सिक्युरिटी चेक और इमीग्रेशन के बाद अब हम लोग विमान में थे।
एयर मॉरिशस के इस विमान का इकोनॉमी क्लास सीटिंग अरेंजमेंट भी सुविधाजनक था । 6 घण्टों का यह सफ़र काफ़ी आरामदायक रहा। यात्रा के दौरान हमें फ्लाइट यूटिलिटी किट और समय समय पर ब्रेक फ़ास्ट , बेवरेजेज और स्वादिष्ट लंच सर्व किया गया। लिटिल प्रिंसेस के लिये एक स्पेशल सरप्राइज़ गिफ़्ट ने थकी हुई सिया को भी खिलखिला दिया था।
मॉरीशस, भारत के पश्चिम में स्थित है और मॉरीशस का समय भारतीय समय से डेढ़ घण्टा पीछे है। वहाँ के समयानुसार तकरीबन प्रातः 11:00 बजे हम लोग मॉरीशस की भूमि पर थे। लैंडिंग की प्रक्रिया के दौरान विमान से नीचे दिखने वाला गहरे नीले समुद्र में छोटे छोटे द्वीपों का नयनाभिराम दृश्य अभी भी मष्तिष्क में ताज़ा है।
मॉरीशस एयरपोर्ट पर प्रवेश करते ही हमें अहसास हो गया था कि मॉरिशस भारत के बाहर एक औऱ भारत है। यहाँ की तक़रीबन 52 प्रतिशत जनता भारतीय मूल की है। इमिग्रेशन और अन्य फॉर्मेलिटीज के बाद करीब दोपहर 12:00 पर हम एयरपोर्ट के बाहर थे जहाँ ड्राइवर एक बड़ी सी गाड़ी के साथ हमारा इंतज़ार कर रहा था। कम्युनिकेशन के लिये हमने सिमकार्ड भारत से ही ले लिया था। एयरपोर्ट से होटल तक का ट्रान्सफर भी हमने ट्रेवल एजेंट के जरिये पहले ही बुक कर लिया था। यूँ तो मॉरिशस का प्रसार केवल 65 किमी लम्बाई और 45 किमी चौड़ाई में है । इसका भू क्षेत्रफल मात्र 1865 वर्ग किमी है जो देहली ( 1484 वर्ग किमी ) से थोड़ा ही बड़ा है औऱ जनसंख्या है मात्र करीब 13 लाख। यहाँ पब्लिक ट्रांसपोटेशन उतने सुगम नहीं है। यहाँ कोई रेल नेटवर्क भी नहीं है। और यहाँ सारे टूरिस्ट स्पॉट्स दूर दूर हैं इसलिये मेरी सलाह में यहाँ घूमने के लिये ट्रांसपोर्ट पहले से ही सुनिश्चित करके जाना चाहिये।
……तो हम उस बड़ी सी गाड़ी में अपने रिसोर्ट जाने के लिये सवार हुए। अभी तक हम स्वाभाविक रूप से ड्राइवर से अंग्रेज़ी में ही कम्युनिकेशन कर रहे थे पर गाड़ी में बैठते ही अहसास हुआ कि ड्राइवर बहुत अच्छी हिन्दी बोलता है। जिज्ञासा हुई, पूछने पर पता चला कि मॉरीशस में स्कूलों में हिंदी भाषा पढ़ाई जाती है। मैं हिंदीभाषी हूँ तो ये मेरे लिये गर्व की अनुभूति थी। हम बातें करते हुए रिसोर्ट की ओर बढ़ते जा रहे थे। चारों ओर हरे हरे गन्ने के खेत ,पीछे छोटे छोटे पहाड़ , बीच बीच में पैकेट्स में छोटी छोटी बसावट, प्रदूषणमुक्त वातावरण , गहरे नीले आसमान पर झक सफेद बादलों का विचरण आदि अनुभूति दे रहे थे कि यदि स्वर्ग है तो ऐसा ही तो कुछ होगा। और अभी तो हमने इस कोरल आइलैंड के मुख्य आकर्षण यहाँ के सुन्दर समुद्र तटों के दर्शन भी नहीं किये थे। और करीब दोपहर 01:15 पर हम रिसॉर्ट में थे।
" द वेस्टिन टर्टल बे रिसॉर्ट एंड स्पा "- मॉरीशस के उत्तर – दक्षिण समुद्र तट पर टर्टल बे के मुहाने पर स्थित यह विशाल रिसॉर्ट अपने आप में सम्पूर्ण हॉलीडे डेस्टिनेशन है। अगर आपका उद्देश्य प्रकृति की गोद में विश्राम करते हुए छुट्टियाँ मनाना है तो ये आपके लिये एकदम परफेक्ट स्थान है।…………प्रवेश के साथ ही हम तीनों के मुँह से एक साथ निकला “वाह”। ग्रैंड लॉबी और सामने हिंदमहासागर।
मन सोच रहा था कि इससे बढ़िया शायद ही कुछ हो सकता था। चेक-इन टाइम दोपहर 03:00 बजे था, हमें अलॉट हुआ रूम अभी तैयार किया जा रहा था, तो 20 मिनिट में चेक-इन की कागज़ी फॉर्मेलिटीज कर और रिसॉर्ट की फैसिलिटीज एवं गतिविधियाँ समझ हम लोग कुछ पेटपूजा के लिये रिसॉर्ट के एक कैफ़े में चले गये।
क़रीब 03:00 बजे जब हम पुनः लॉबी में पहुँचे, स्टॉफ हमारा इंतज़ार कर रहा था। एक गोल्फकार्ट में हमें हमारे रूम तक एस्कॉर्ट किया गया। जैसे ही हमने रूम में प्रवेश किया और परदे हटाये सारी थकान एकदम काफ़ूर। ग्राउंड फ्लोर का रूम, स्टेट ऑफ आर्ट इंटीरियर, पूरा फ्रण्ट ग्लास डोर। ग्लास डोर के बाहर बरामदा, फ़िर बड़ा सा गार्डन, गार्डन में नारियल के वृक्ष जिनके बीच हेमोक बंधे हुए, गार्डन के पार बीच और फिर अन्तहीन नीला समुद्र। ये उम्मीद से कहीं बढ़कर था। बिस्तर पर बैठकर हिन्दमहासागर को निहारते कब नींद ने अपने आगोश में ले लिया पता भी नहीं चला।
तकरीबन दो घण्टे विश्राम के बाद हम तीनों तैयार थे बीच पर घुमते हुए सूर्यास्त का अप्रतिम नज़ारा देखने के लिये। सूरज के साग़र में समा जाने के बाद क्षितिज की लालिमा प्रकृति के सौन्दर्य का एक अलग ही अद्भुत नज़ारा प्रस्तुत कर रही थी जिसे शब्दों में बयाँ कर पाना मुश्किल है।
सूर्यास्त के पश्चात कृत्रिम प्रकाश में रिसॉर्ट का सौंदर्य अपने चरम पर था। कुछ फोटोग्राफी करते हुए अब हम लोग रिसॉर्ट के ही एक सी-फेसिंग मल्टी कुज़िन रेस्त्रां में डिनर के लिये चल दिये। वैसे इस रिसॉर्ट में एक भारतीय कुज़िन रेस्त्रां “ कंगन ” भी है जिसका सचित्र वर्णन मैं किसी और दिन करूँगा।………
हिंदमहासागर को निहारते हुए डिनर शायद जिह्वा के स्वाद को भी कई गुना बढ़ा देता है, और स्वाद उदर अग्नि को। डिनर के बाद कदम अपने रूम की तरफ़ बढ़ रहे थे जो रूम के बाहर गार्डन में हेमोक देख रुक गए। हेमोक की गोद से प्रदूषणशून्य नीले आसमान में तारों का स्पष्ट दर्शन, लग रहा था कि मैं स्वर्ग के बहुत नज़दीक हूँ। समुद्र की इन ठंडी ठंडी बयारों का मुकाबला भौतिकवादीयुग के ये एयरकंडिशनर किसी हालात में नहीं कर सकते। चलिये बहुत रात हो चुकी है। सुबह फिर मिलते हैं। शुभ रात्रि !!!
विकास लोया
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