फेमस यात्रा वृतांत लेखक राहुल सांकृत्यान ने कभी कहा था- व्यक्ति के लिए घुमक्कड़ी से बड़ा कोई धर्म नहीं है। इसलिए मैं कहूँगा कि हर किसी को घूमते रहना चाहिए। सबको राहुल सांकृत्यान की ये बात शायद ही पता न हो, लेकिन आज बहुत से लोग घुमक्कड़ बन गए हैं। ये लोग घूमते हैं और बस घूमते हैं। इनके कंधे पर बैग होता है और उस बैग में होता है घुमक्कड़ी का कुछ सामान। घूमते वक्त सबसे ज्यादा खर्च होता है ठहरने में। खासकर टूरिस्ट स्पॉट पर तो और ज्यादा। इस बेवजह के खर्च से बचने के लिए घुमक्कड़ अपने साथ छोटा-सा घर लेकर चलते हैं जिसे पूरी दुनिया टेंट कहती है। इसका क्रेज़ अचानक से हर जगह फैल गया है। अब लोग कैंपिग के लिए अलग से टाइम निकालकर जंगलों और पहाड़ों की ओर जाते हैं।
पहाड़ की चोटी पर, जंगल के बीचों-बीच और नदी के किनारे आप आसमां के नीचे अपने दोस्तों के साथ बातें कर रहे हैं। ये सब सुनने में कितना कूल लगता है ना! पर ऐसा नहीं है कि ये सब इतना आसान है। कैंपिंग में कई सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी तो ये मुश्किलें, परेशानियाँ बन जाती हैं। आपने कैंपिंग की अच्छी और कूल बातें बहुत सुनी होंगी। अब हम आपको कैंपिंग के नुकसान और दिक्कतों से रूबरू कराएँगे।
1- सारे काम खुद करो
कहीं घूमने जाते हैं तो क्या चाहते हैं? यहीं ना कि एक बढ़िया-सा मखमली बिस्तर हो और कोई आपका हालचाल लेता रहे। कोई हमारी बातों को सुने और जी सर-जी सर कहता रहे। अगर आप अपनी घुमक्कड़ी में ये सब चाहते हैं तो माफ कीजिए कैंपिंग में आपको ये सब नहीं मिलेगा। यहाँ तो सारे काम खुद ही करने पड़ेंगे। अगर आप जंगल में जाकर लकड़ियाँ ढूंढ़ सकते हो, आग जला सकते हो तब तो कुछ हद तक काम बन सकता है। इसके इतर घूमते वक्त काम नहीं करना चाहते तो फिर कैंपिंग को भूलकर आराम वाले होटलों में रुकिए।
2- खाना बनती है दिक्कत
लंबे-लंबे ट्रेक के लिए सबसे ज़रूरी होती है एनर्जी, जो आती है खाने से। मेरा ऐसा मानना है कि घुमक्कड़ी के दौरान खाने का क्वालिटी ज्यादा मैटर नहीं करती। उस समय तो किसी तरह खाना मिल जाए वही बहुत है। अगर आप किसी होटल में ठहरे हैं तब तो कोई समस्या नहीं हैं। लेकिन कैंपिंग में तो खाने को जुगाड़ करना बहुत बड़ी बात है। आप कैपिंग वाली जगह तक सामान ढोकर ले जाते हो ,फिर बनाते हो। जब आप उस खाने का स्वाद लेने के लिए बैठते हो। तभी एक शख्स न जाने कहाँ से आ टपकता है और आपको उसके साथ अपना खाना बाँटना पड़ता है। इसके अलावा खाने को कोई फिक्स टाइम नहीं होता है।
3. शांति की खोज, सोचना भी मत!
कैंपिंग के बारे में लोग सोचते हैं कि बहुत शांति होगी। आसपास नदी बह रही होगी और उसकी आवाज़ हमें लोरी की तरह लगेगी। ऐसी आशा रखने वालों ऐसा सिर्फ फिल्मों में होता है। आप जिस नदी की आवाज़ को मधुर कह रहे हैं वो शोर बन जाती है और सोना मुश्किल हो जाता है। थोड़ी-सी हवा चलती है तो टेंट फड़फड़ाने लगते हैं। ये तमाम तरह के शोर आपको अकेला होने नहीं देंगे। इन सबसे अगर आपको फर्क नहीं भी पड़ता है, फिर भी एक चीज़ है जिससे फ्रस्टेट भी हो सकते हैं। आप जब शांत होंगे और गहरी नींद में जाने वाले होंगे तभी एक कान फोड़ू म्यूजिक सब कुछ भंग कर देगा। आपके आसपास कैंप में रहने वाले शायद वैसी शांति नहीं चाहते होंगे, जैसी आप चाहते हों।
4. मौसम का ख्याल आया कि नहीं
प्रकृति ,जो किसी वक्त तो खूबसूरत लगती है और अगर बेवक्त हो तो भयानक भी हो जाती है। बारिश, बर्फ और तूफान ये सब डराने के लिए काफी हैं। अगर आप किसी चारदीवारी में हैं तब तो इनसे डरने का मतलब ही नहीं है। लेकिन अगर आप किसी टेंट में हैं तो फिर घबराना बनता है। इन सबको को ध्यान में रखकर कैंपिंग होती है लेकिन प्रकृति का क्या है? कभी-भी, कैसा भी रूप ले लेती है। इसलिए ये कैंपिंग की बहुत बड़ी समस्याओं में से एक है।
5. जल ही जीवन है
जब हम कहीं घूमते हैं तो आम दिनों की तुलना में ज्यादा पानी पीते हैं। अगर आप ट्रेक कर रहे हैं तब तो और भी पानी की ज़रूरत होती है। अगर आप होटल में होते हैं तब आपको वहाँ आराम से पानी उपलब्ध हो जाता है। अगर आप कैंपिंग कर रहे हैं तब आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। पहले तो पानी को ढूँढ़ना पड़ता है। अगर मिल भी जाता है तो साफ है कि नहीं इस पर भी संशय रहता है। ऐसा न हो कि वो पानी पीने से आपकी हेल्थ बिगड़ जाए। इसलिए जल जीवन तो है लेकिन यहाँ उसको पाना बड़ा मुश्किल होता है।
6. टाॅयलेट, वो भी खुले में
एक मशीन है जिसमें इनपुट होता है तो आउटपुट भी होता है। हम भी एक मशीन है और टॉयलेट जाना तो स्वाभाविक प्रोसेस है। घूमते वक्त, अक्सर सबसे बड़ी समस्या यही होती है। हम पहाड़ों में भी टॉयलेट को खोजते-फिरते हैं, सबको खुले में करने की आदत जो नहीं है। अच्छी भी बात है कि खुले में शौच नहीं करते हैं। लेकिन जब आप टेंट में रह ही रहे हैं तो फिर बाहर ही जाना पड़ेगा। यहाँ कोई बहाना काम नहीं आएगा क्योंकि इसके बिना तो आप आगे बढ़ भी नहीं पाएँगे। अगर आप चारदीवारी में टाॅयलेट जाना चाहते हैं तो फिर कैंपिंग की बजाय होटल को चुनिए।
ये कुछ कैंपिंग की बेसिक दिक्कतें हैं जिनका ख्याल आपको कैंपिंग पर जाने से पहले रखना चाहिए। ये दिक्कतें यहाँ लिखने का मकसद आपको डराना नहीं था, बस सचेत करने का था।