भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। वैसे तो मथुरा साल भर ही श्रद्धालुओं और पर्यटकों से भरा रहता है, लेकिन होली और जन्माष्टमी के त्योहार पर इस जगह की रौनक ही कुछ अलग होती है। मथुराका वृंदावन, बरसाना और आगरा जैसे शहरों से करीब होना इस जगह को और खास बनाता है। बाल कृष्ण की अटखेलियों और गोपियों के साथ रासलीला की कई कहानियों को संजोए इस जगह की यात्रा करने का ये बिल्कुल सही वक्त है। लेकिन आपकी यात्रा भी बढ़िया हो और जेब पर खर्च का बोझ भी ना पड़े, इसका इंतजाम मैं कर देती हूं। तो चलिए बताती हूं कैसे कम खर्च में घूमें मथुरा।
मथुरा की यात्रा मे क्या देखें, कहाँ जाएँ?
अब कृष्ण जन्मस्थान पर हैं, तो सबसे महत्वपूर्ण जगह होगी श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर, मथुरा। माना जाता है कि मंदिर के अंदर बनी कारागार जैसी संरचना में ही कृष्ण लला ने जन्म लिया था। यह मंदिर देखने में काफी भव्य है हिंदू वास्तुकला का एक नायाब नमूना है। मंदिर में प्रवेश करने पर आपको गहनों से सजे भगवान श्री कृष्ण के दर्शन होते हैं, साथ ही उनके जीवन से जुड़े चित्र और राधा रानी की मुर्तियां श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर देती हैं। मंदिर में प्रवेश करने से पहले एक पतली सी गली से गुजरना होता है जहां सभी यात्रियों की चेकिंग होती है।
टिकट- इस मंदिर में प्रवेश फ्री है, यानी आपको किसी तरह की टिकट नहीं लेना होगी।
ये मंदिर सुबह 5 बजे से दर्शन के लिए खुल जाता है और रात 9.30 बजे तक खुला रहता है। हालांकि दोपहर 12 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक मंदिर के कपाट बंद रहते हैं। पूरा मंदिर परिसर घूमने के लिए आपको 1-2 घंटे का वक्त निकालना होगा।
कैसे पहुंचे?
श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर मथुरा शहर के बीचों –बीच स्थित है। यह मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन से सिर्फ 4 किमी की दूरी पर है। यहां कार, बस या रिक्शा के जरिए आसानी से पहुँचा जा सकता है।
मथुरा में बने अनेक मंदिरों में द्वारकाधीश मंदिर की अपनी खासियत है। इस मंदिर में होने वाली आरती के दर्शन करने के लिए लोग देश-विदेश से मथुरा आते हैं। इस मंदिर में आप राधा-कृष्ण की मनमोहक प्रतिमाओं को निहारने के साथ ही मंदिर की खूबसूरत नक्काशी और शिल्पकला का आनंद ले सकते हैं।
टिकट- मथुरा में मौजूद ज़्यादातर जगहों की तरह आपको इस मंदिर में प्रवेश के लिए किसी तरह का खर्च नहीं करना होता।
मंदिर सुबह 6.30 बजे खुलकर सुबह 10.30 बजे बंद कर दिया जाता है। इसके बाद 4 बजे खोला जाता है और 7 बजे संध्या आरती के बाद दोबारा बंद कर दिया जाता है।
कैसे पहुँचे?
द्वारकाधीश मंदिर, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सिर्फ 2 किमी की दूरी पर ही है। आप चाहे तो पैदल ही ये दूरी तय कर सकते हैं या रिक्शा लेकर 40-50 रुपए में मंदिर पहुंच सकते हैं।
द्वारकाधीश मंदिर से सिर्फ 230 मीटर की दूरी पर भीड़-भाड़ से दूर कुछ वक्त बिताने के लिए विश्राम घाट पहुँच जाएँ। जैसा नाम से ही ज़ाहिर है, माना जाता है कि कई संतो ने इसे अपना विश्राम स्थल बनाया था। किसी भी अध्यात्तमिक जगह की तरह, मथुरा में भी इस घाट की खास महत्ता है। इस घाट में उत्तर की ओर 12 और दक्षिण में 12 घाट हैं। विश्राम घाट पर यमुना महारानी का प्रसिद्ध मंदिर भी बना है और यहीं से आरती भी की जाती है। शाम के वक्त घाट के किनारे आरती का समय बेहद अध्यात्मिक और अद्भुत होता है। इसलिए अपनी यात्रा में इसे शामिल करना बिल्कुल न भूलें।
टिकट- निशुल्क प्रवेश
कैसे पहुँचे?
अगर आप मथुरा के केंद्र में ही हैं, तो विश्राम घाट पहुंचने के लिए आपको खास मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। ये घाट द्वारकाधीश मंदिर से सिर्फ 230 मीटर की दूरी पर है, यानी आप यहां पैदल ही पहुंच सकते हैं।
अगर मथुरा आएँ और श्री कृष्ण की रासलीला की गाथा और इसकी झलक देखे बिना चले जाएँ तो ये सफर अधूरा ही रह जाएगा! तो कृष्ण युग के इस दर्शन के लिए पहुँचे निधिवन। निधिवन के बारे में आज भी एक रहस्मय गाथा चली आ रही है। माना जाता है इस अद्भुत वन में श्री कृष्ण आज भी आधी रात को राधा और गोपियों के साथ रासलीला करते हैं। यहां जोड़े में मौजूद तुलसी के पौधों के बारे में कहा जाता है कि ये रात के वक्त गोपियों का रूप ले लेती हैं और सुबह फिर पौधों में बदल जाती हैं। लेकिन निधिवन में रात के वक्त प्रवेश की अनुमति नहीं है, क्योंकि यहां मौजूद लोगों का कहना है कि कोई अगर इस रासलीला को देख ले तो या तो वो आँखों की रोशनी खो देता है, या मानसिक संतुलन। लेकिन आप सुबह से लेकर शाम तक इस अलौकिन परिसर की खूबसूरती में लीन हो सकते हैं।
टिकट- निधिवन में प्रवेश के लिए किसी भी तरह का शुल्क नहीं वसूला जाता।
निधिवन का सफर आप सुबह 5 बजे से लेकर शाम 8 बजे के बीच कभी भी कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे?
मथुरा से निधिवन की दूरी करीब 12 किमी की है, जिसे आप 30-45 मिनट में तय कर सकते हैं। इसके लिए आप वृंदावन जाने वाली बस से लेकर ऑटोरिक्शा या टैक्सी, किसी भी साधन का इस्तेमाल कर सकते हैं। जहां बस और शेयर ऑटो का खर्च 30-70 रुपए के बीच आता है , वहीं ऑटोरिक्शा और टैक्सी के लिए आपको 300-1000 रुपए तक खर्चने पड़ सकते हैं।
भगवान कृष्ण की अनोखी लीलाओं की कहानियाँ तो हम सभी ने सुनी और पढ़ीं हैं और इन्हीं में से एक को साक्षात देखने को मिलता है गोवर्धन पर्वत के रूप में। पौराणिक कथाओं कि मानें तो ब्रजवासियों को इंद्र की धुंआधार वर्षा के प्रकोप के बचाने के लिए श्री कृष्ण ने इस पूरे पहाड़ को अपनी तर्जनी उंगली पर उठा लिया था। यहां पर श्रद्धालु इस पहाड़ की 7 कोस लंबी परिक्रमा करते हैं जो करीब 21 किमी लंबी है। हालांकि आपके पास इसे पैदल या किसी साधन के जरिए पूरा करने का विकल्प मौजूद है। इसी रास्ते में दूसरे महत्वपूर्ण स्थल जैसे आन्यौर, राधाकुंड, कुसुम सरोवर, मानसी गंगा, गोविन्द कुंड, पूंछरी का लोटा, दानघाटी मंदिर भी पड़ते हैं।
टिकट- कोई शुल्क नहीं
कैसे पहुंचे?
गोवर्धन पर्वत, निधिवन से 33.7 किमी की दूरी पर है जिसे तय करने में 1-1.5 घंटे का वक्त लगता है। अगर आप मथुरा से गोवर्धन पर्वत का प्लान बना रहे हैं तो आपको करीब 22 किमी का सफर तय करना होगा। अगर ऑटोरिक्शा लें तो इसका किराया 200 रुपए के आसपास होगा और टैक्सी के लिए आपको 1000-1200 रुपए के बीच खर्च उठाना पड़ सकता है।
मथुरा जाने का सही समय
मथुरा यात्रा का सबसे सही समय फरवरी-मार्च और सितंबर- नवंबर के बीच होता है। इस दौरान आपको चिलचिलाती धूप या कड़ाके की ठंड नहीं झेलनी होगी।
मथुरा में कहाँ रहें?
मथुरा में ठहरने के लिए आपको 800 रुपए से लेकर 1200 रुपए प्रति दिन के बीच आसानी से कमरा मिल सकता है। हालांकि आप पहले बुक कर लें तो उपलब्धता निश्चित की जा सकती है।
मथुरा यात्रा की कुछ जरूरी बातें
- मथुरा में ज़्यादातर जगहों पर जाने के लिए किसी तरह का टिकट नहीं लगता और महत्वपूर्ण जगहें आस-पास ही हैं। आप आसानी से पैदल ही शहर में सफर कर सकते हैं और इसकी खूबसूरती का आनंद ले सकते हैं।
- शहर में घूमने के लिए पैदल के अलावा ऑटोरिक्शा सबसे आसान तरीका है। लेकिन आप इसका किराया पहले ही पता कर लें, ताकि आपको चूना न लगे।
- यहां मौजूद ज्यादातर मंदिर दिन के समय बंद रहते हैं, तो अपनी यात्रा इसी हिसाब से तय करें।
- गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते वक्त बंदरों की कई टोलियां आपको मिलेंगी। ऐसे में सामान को लेकर सावधान रहें।
अगर आप भी मथुरा यात्रा पर गए हैं तो हमें अपने सफर के बारे में बताएं और अपनी यात्रा को Tripoto पर लिखें!
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