हिमाचल प्रदेश भारत के सबसे सुंदर राज्यों में से एक है जो अपनी सुंदरता और आकर्षित करने वाली जगहों के लिए मशहूर है। कुछ जगहें तो ऐसी हैं कि आपका मन बाग-बाग हो जाएगा। हिमाचल प्रदेश के आसमान को छूते पहाड़ और यहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती यहाँ आने वाले लोगों को सुकून और शांति प्रदान करती है। आज हम आपको हिमाचल प्रदेश की ऐसी ही एक जगह पर ले जा रहे हैं जहाँ लोग कम और सुंदरता ज्यादा देखने को मिलेगी। हिमाचल प्रदेश की इस जगह का नाम है, नाको।
किन्नौर जिले में स्थित नाको हिमाचल प्रदेश का एक छोटा-सा गाँव है। समुद्र तल से 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित नाको को स्पीति घाटी का गेटवे कहा जा सकता है। हिमाचल प्रदेश के अंदरूनी इलाके का गाँव है, नाको। नाको तिब्बती बॉर्डर के पास में ही है। आप इस गाँवों को अपने पैरों से नाप सकते हैं। किन्नौर या स्पीति घाटी जाएं तो इस खूबसूरत गाँव की यात्रा जरूर करें।
कैसे पहुँचे?
नाको जाने के रास्ते भी दो हैं और साधन भी दो प्रकार हैं। आप प्राइवेट टैक्सी, खुद की गाड़ी या बाइक से नाको जा सकते हैं। बहुत सारे लोग ऐसा करते हैं। दूसरा तरीका है, बस से। आप शिमला और मनाली दोनों तरफ से नाको बस से पहुँच सकते हैं। ये जरूर है आपको डायरेक्ट नाको की बस न मिले लेकिन बीच-बीच में रूककर अपने गंतव्य तक पहुँच सकते हैं।
रूट:
आप शिमला के तरफ से नाको जा सकते हैं। शिमला से नारकंडा और रेकोंगपिओ होते हुए आप नाको पहुँच सकते हैं। वहीं अगर आप मनाली होते हुए आते हैं तो स्पीति घाटी को पार करते हुए काजा और ताबो होते हुए नाको पहुँचेंगे। कुल मिलाकर रास्ते आपके पास दो हैं। अब आप किस रास्ते से और किस साधन से नाको जाना है।
क्या देखें?
नाको की यात्रा करते हैं तो इस जगह पर देखने वाली जगहों की लिस्ट बना लेनी चाहिए ताकि कोई भी जगह न छूटे। नाको की चेकलिस्ट बनाने में हम आपकी मदद कर देते हैं।
1- नाको मोनेस्ट्री
नाको मोनेस्ट्री इस जगह की सबसे फेमस जगहों में से एक है। इस मठ की स्थापना 1075 ईस्वी में प्रसिद्ध अनुवादक लोचन रिंचेन जंगपो ने की थी। इस मोनेस्ट्री को लोटसवा झकंग के नाम से भी जाना जाता है जिसका मतलब है, अनुवादक का परिसर। झील के किनारे स्थित इस मोनेस्ट्री तो ताबो मठ के पैटर्न पर किया गया है। मोनेस्ट्री बेहद खूबसूरत और नक्काशी भी शानदार है। दीवारों पर शानदार चित्रकारी है और कई मूर्तियां भी रखी हुई हैं।
2- नाको लेक
नाको झील किन्नौर की सबसे खूबसूरत झीलों में से एक है। हंगरंग घाटी से ये लेक 2 किमी. की दूरी पर स्थित है। नाको लेक चारों तरफ से पेड़ों और पहाड़ों से घिरी हुई है। इसके अलावी झील के किनारे 4 सुंदर मंदिर हैं। झील के किनारे आपको घोड़े और याक भी देखने को मिल सकते हैं। नाको लेक बेहद खूबसूरत है और आपको यहाँ ज्यादा लोग भी देखने को नहीं मिलेंगे। यहाँ आप कुछ देर शांति और सुकून की पनाह में बैठ सकते हैं।
3- पद्मसंभव मंदिर
नाको लेक को देखने के बाद जब आप गाँव के अंदर प्रवेश करेंगे तो आपको एक मंदिर दिखाई देगा। ये प्राचीन मंदिर गुरु पद्मसंभव का मंदिर है। इस मंदिर में उनकी मूर्ति भी रखी हुई है। पत्थरों पर उनको पैर भी बने हुए हैं। इस मंदिर का निर्माण छठवीं से आठवीं शताब्दी के बीच में हुआ था। नाको आएं तो इस मंदिर को भी देखा जा सकता है।
4- गाँव देखें
कहा जाता है कि किसी भी जगह को अच्छे से जानना है तो आपको उस जगह की पैदल यात्रा करनी चाहिए। नाको एक छोटा लेकिन बेहद खूबसूरत गाँव है। पत्थरों से बने किन्नौर के पुराने घरों को आप यहाँ देख सकते हैं। इसके अलावा गाँव घूमते हुए स्थानीय लोगों से बात कर सकते हैं। वो आपको इस जगह के बारे में अच्छे से बता पाएंगे। गाँव को घूमे बिना आपको नाको की यात्रा अधूरी ही रहेगी।
कब जाएं?
नाको कब जाएं? इस सवाल का जवाब आप पर निर्भर करता है कि आप किन्नौर में क्या अनुभव करना चाहते हैं? आप नाको मई से जून के बीच में भी जा सकते हैं। इस समय आपको चारों तरफ हरियाली ही हरियाली दिखाई देगी और कड़ाकेदार ठंड से बच जाएंगे। सितंबर-अक्टूबर में जाएंगे तो मौसम तो ठंडा लेकिन नाको उस समय और भी ज्यादा खूबसूरत लगता है।
कहाँ ठहरें?
नाको में ठहरने के तीन विकल्प हैं। गाँव शुरू होने से पहले कई सारे होटल हैं जिनमें आप ठहर सकते हैं। इसके अलावा गाँव में होमस्टे भी हैं आप उनमें भी ठहर सकते हैं। इसके अलावा अगर आपके पास टेंट है तो आप उसमें रात गुजार सकते हैं। मेरा सुझाव तो गाँव में लोकल लोगों के साथ होमस्टे में ठहरने का ही रहेगा।
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