कर्नाटक अपनी बेशुमार खूबसूरती के लिए जाना जाता है। कर्नाटक में ऐसी कई प्राचीन जगहें हैं जहाँ जाना आज भी शानदार अनुभव होता है। ऐसी जगहों पर आकर लगता है कि हम किसी पुराने वक्त में पहुँच गये हों। ये ऐतहासिक शहर हमें अपना इतिहास, कल्चर और परंपरा को जानने का मौका देता है। इन इतिहास के गलियारों में आपको अनोखा अनुभव मिलेगा। ऐसा का शानदार अनुभव आपको कर्नाटक के बागलकोट में मिलेगा।
बंगलौर से लगभग 500 किमी. की दूरी पर स्थित बागलकोट अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। पुराने समय में इस जगह का नाम बगाडिगे हुआ करता था। बाद में इस जगह का नाम बागलकोट हो गया। बागलकोट पर विजयनगर साम्राज्य, पेशवा, मैसूर रियासत, मराठा और ब्रिटिश शासकों का शासन रहा। आजादी के आंदोलन में इस जगह का खासा महत्व रहा है। बागलकोट में ऐसी कई जगहें है जो इतिहास के गलियारे में ले जाती हैं। दक्षिण के इतिहास को जानने के लिए आपको बागलकोट की यात्रा करनी चाहिए।
कैसे पहुँचे?
बागलकोट हवाई, सड़क और रेल मार्ग तीनों से अच्छी तरह से कनेक्टेड है। आप आसानी से बागलकोट पहुँच सकते हैं।
फ्लाइट सेः अगर आप फ्लाइट से जाना चाहते हैं तो सबसे निकटतम हुबली एयरपोर्ट है। हुबली एयरपोर्ट से बागलकोट लगभग 110 किमी. की दूरी पर है। आप एयरपोर्ट से टैक्सी लेकर बागलकोट पहुँच सकते हैं।
ट्रेन सेः यदि आप ट्रेन से बागलकोट जाने का प्लान कर रहे हैं तो सबसे नजदीकी बीजापुर रेलवे स्टेशन है। बीजापुर से बागलकोट लगभग 87 किमी. की दूरी पर है। आप बीजापुर से टैक्सी बुक करके बागलकोट पहुँच सकते हैं।
वाया रोडः बागलकोट कर्नाटक के बड़े शहरों से अच्छी तरह से कनेक्टेड है। आप अगर आप बस से जाना चाहते हैं तो कर्नाटक के शहरों से बस मिल जाएगी। अगर आपके पास खुद की गाड़ी है तो एनएच 161 पर हुबली होते हुए बागलकोट पहुँच सकते हैं।
क्या देखें?
बागलकोट कर्नाटक के ऐतहासिक शहरों में से एक है। यहाँ पर देखने के लिए कई जगहें हैं जिनको आप एक्सप्लोर कर सकते हैं।
रावण पहाड़ी गुफा
रावण पहाड़ी गुफा बागलकोट की सबसे फेमस जगहों में से एक है। रावण पहाड़ी गुफा कोई गुफा नहीं है बल्कि भगवान शिव का मंदिर है। छठवीं शताब्दी में बने इस मंदिर को बागलकोट के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर का गर्भगृह काफी बड़ा है। मंदिर में शिवलिंग के अलावा कई प्राचीन आकृति हैं जिनको आप देख सकते हैं। बागलकोट आएं तो इस जगह पर आना न भूलें।
विरुपाक्ष मंदिर
बागलकोट प्राचीन मंदिरों से भरी हुई है। उन्हीं में से एक है, विरुपाक्ष मंदिर। बागलकोट के इस लोकप्रिय मंदिर का निर्माण 733 से 745 ईस्वी में हुआ था। विरुपाक्ष मंदिर को विक्रमादित्य द्वितीय की रानी लोकमाहा देवी ने करवाया था। इस मंदिर को श्री लोकेश्वर महाशिला प्रसाद या लोकेश्वर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर को कांचीपुरम के पल्लवों पर चालुक्य की जीत की खुशी में बनवाया गया था। द्रविड़ शैली में बने इस मंदिर को आप जरूर देखें।
म्यूजियम
किसी भी नई या अनजान जगहों को अच्छे-से जानना है तो आपको उस जगह के संग्रहालय में जाना चाहिए। बागलकोट में पुरातत्व संग्रहालय दुर्गा मंदिर परिसर में स्थित है। ये म्यूजियम 100 से भी ज्यादा मंदिरों का घर है। इन मंदिरों को छठी से आठवीं शताब्दी तक चालुक्य द्वारा बनवाये गये थे। इस जगह को 1987 में पुरातत्व संग्रहाल बना दिया गया था। बागलकोट की इस शानदार जगह को देखने के लिए आपको जाना ही चाहिए।
जैन मंदिर
बागलकोट में एक प्राचीन जैन मंदिर है जिसे आपको जरूर देखना चाहिए। तीन मंजिला ये जैन मंदिर मलप्रभा नदी किनारे बना हुआ है। कहा जाता है कि इस मंदिर को 9वीं शताब्दी में राष्ट्रकूट साम्राज्य के राजा कृष्ण द्वितीय ने बनवाया था। आर्किटेक्चर के मामले में ये मंदिर बेहद खूबसूरत है। मंदिर का गर्भागृह चौकोर आकार का बना हुआ है। इसके अलावा मंदिर की दीवारों पर आप शानदार नक्काशी देख सकते हैं।
बादामी गुफा
इन ऐतहासिक जगहों के अलावा आप यहाँ बादामी गुफा भी देख सकते हैं। बादमी गुफा देश में ही नहीं, दुनिया भर में मशहूर है। ये बादामी गुफा चार गुफा मंदिरों का एक समूह है। ये गुफा बादामी की बलुआ पत्थर की पहाड़ी पर स्थित है। कर्नाटक के बागलकोट में ऐसी की कई जगहें हैं जिनको आप देख सकते हैं।
कब जाएं?
वैसे तो बागलकोट पूरे साल में कभी भी जा सकते हैं लेकिन सर्दियों के मौसम में बागलकोट को घूमने का मजा ही कुछ और है। इस दौरान मौसम भी सर्द और सुहावना रहता है। आपको बागलकोट आने के लिए नवंबर से फरवरी तक में प्लान बनाना चाहिए। बागलकोट में ठहरने में आपको कोई दिक्कत नहीं आएगी। इस शहर में छोटे-बड़े हर प्रकार के होटल हैं। आप अपने बजट और सुविधा के हिसाब से होटल को चुन सकते हैं। इस खूबसूरत और ऐतहासिक शहर की यात्रा का प्लान आपको जरूर बनाना चाहिए।
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