मनाली (हिमाचल प्रदेश) वर्क साइट...
दोस्तों हो सकता है कि आप सभी को ऐसे घुमक्कड़ो के बारे में कुछ थोड़ी बहुत जानकारी होगी, जो किसी स्थान मे घूमने के दौरान किसी बड़ी मुसीबत में पड़ चुके हों।
चलिए बात करते हैं उस घुमक्कड़ी की।
कि वो किसी निजी कंसट्रकसन कंपनी मे नौकरी करता है और नौकरी के दौरान आज यहां तो कल वहां। उस घुमक्कड़ को लिखने का भी बहुत शौकं था। बस इसी शौकं के साथ साथ वो घुमक्कड़ नौकरी भी करता रहा। बस ऐसे ही जिंदगी है प्राइवेट कंपनी वालों की।
उसका पंजाब की ही एक निजी कंपनी मे इंटरव्यू हुआ और हो गई सिलेक्शन। और बस ऐसे ही वो पहुंच गया मनाली हिमाचल प्रदेश उसी कंपनी की नई साइट पर, उसे क्या पता था कि आगे आने वाले समय में उसके साथ क्या क्या होने वाला है। ये सब तो भविष्य के गर्भ मे छिपा हुआ था।
स्नो गैलरी
बैसे वो खुश भी बहुत हुआ था क्योंकि उसे जिस प्रोजेक्ट के लिए चयन किया गया था वो प्रोजेक्ट यूनीक डिजाइन के मामले मे एशिया का पहला प्रोजेक्ट था। जैसा कि आप ऊपर इस तस्वीर मे बने डिजाइन को देख पा रहे हैं। इसका नाम है स्नो गैलरी। नजदीक मे ही बनी अटल टनल के कारण आजकल स्नो गैलरी भी बहुत ही चर्चा मे है। क्योंकि इसी स्नो गैलरी मे से होकर अटल टनल तक पहुंचा जाता है। स्नो गैलरी एक बहुत ही बड़े अभलाचं जगह में बनाई गई है क्योंकि स्नो गैलरी का बनाने का मेन मकसद ही ये ही था। जिस से सैलानियों की गाडिय़ां स्नो फाल के समय आसानी से अभलाचं वाले दर्रे को लांग सके।
पहले भी हो चुका मौत का खेल
इसी साइट पर काम करने वाले जिंदा बचे कुछ कर्मियों को 18 जून 2011 की वो भयानक रात कभी नहीं भूल सकते है क्योंकि 18 जून 2011 को इसी गैलरी पर आसमानी बादल फटा था। जिससे 7 कर्मी मारे गए थे। स्नो गैलरी के उपर पहाड़ में बादल फटने से रात में सो रहे 7 कर्मियों के पार्थिव शरीर पास मे बहने वाली व्यास नदी मे से बहकर कई टुकड़ों में तब्दील हो चुके थे। कर्मियों के कैम्प स्नो गैलरी के बेहद नजदीक बने हुए थे। जिससे यह बड़ा हादसा होने का कारण बना था। कुछ पार्थिव शरीर के विभिन्न हिस्से मंडी में बने डैम मे मिले थे। पार्थिव शरीर के अलग हुए हिस्सों को पहचान पाना बहुत ही मुश्किल था। आपको बताते चलें की वो घुमक्कड़ 16 जून के दिन ही छुट्टी चला गया था। वो आज भी अपने आप को बेहद खुशनसीब समझता है। पर उसको आज भी एक बात का मलाल हमेशा रहता है वो है उसके संग में काम करने वाले मारे गए कर्मियों का। वो घुमक्कड़ अपनी साइट मे हुए उस भयानक हादसे को कभी नहीं भूल पाएगा।
अटल टनल
ये अटल टनल स्नो गैलरी से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी मे है।
जैसा की ऊपर आप तस्वीर में देख पा रहे हैं। उसकी खुशी और बड़ गई जब उसको पता चला कि देश की लंबी टनल जो कि 8.900 किलोमीटर है उसी के प्रोजेक्ट के साथ अटल टनल का प्रोजेक्ट भी चल रहा है तो उसकी खुशी फूले नहीं समा रही थी। क्योंकि इस प्रोजेक्ट का निर्माण बड़ी कंपनियां ऑस्ट्रिया और जर्मन मिलकर कर रहीं थीं।
पहली स्नो फाल मनाली
शुरू मे कुछ दिन तो सब सही चलता रहा। दिसंबर का महीना चल रहा था अब ठण्डी का समय आ गया था, तो दिक्कत आना लाजमी था। क्योंकि ठण्डी मे काम करने का ये उसका पहला अनुभव था। और दो चार दिनों मे पहली स्नो फाल भी हो गई जैसा कि आप ऊपर तस्वीर में देख सकते हैं।
उसकी जिंदगी की पहली झकझोर देने बाली ये ठण्डी थी। हालांकि बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) ने हर साल की भांति इस साल भी मौसम (स्नो फाल) के प्रति अलर्ट कर दिया था उनका अलर्ट 15 अक्टूबर से शुरू था। पर फिर वो निजी कंपनी अपने स्वार्थ के चलते अलर्ट को अनदेखा करके अपने स्टाफ़ की परवाह ना करते हुए काम पे झूट गयी। हालांकि अलर्ट से कंपनी का सभी स्टाफ़ बहुत ही चिंतित था। पर उस घुमक्कड़ को किसी भी बात की चिंता नहीं थी। उसको तो बेसब्री से इंतजार था के कब स्नो फाल हो, और कब वो उस प्राकृतिक सुन्दरता को अपने कैमरे मे कैद कर ले।
रात को सभी अपने अपने कमरों में सोने के लिए चल दिये
हालांकि रात को मौसम भी एक दम साफ़ था. कहीं कोई बादल नहीं था। लेकिन जो हुआ वो अगली सुबह हुआ।
सामने आया खतरनाक मंज़र
आखिरकार अब वो भयानक मंजर सामने आ ही गया था जिसका कंपनी मे ( उस घुमक्कड़ को छोड़ के) बाकी सभी सदस्यों को खौफ था।
सुबह सुबह उठने पर जब कमरे के बाहर झांकते है तो मानो सभी की आंखे फटी की फटी रह गई। ऐसा होना भी लाज़मी था क्योंकि ज्यादातर कंपनी मे काम करने वाले व्यक्ति साउथ साइड की तरफ के रहने वाले थे उन्होंने ऐसा मंज़र कभी भी नहीं देखा था। कमरे के बाहर देखा जाता है कि पूरी की पूरी काम करने वाली साइट गायब सी हो गई थी, मतलब के पता ही नहीं चल रहा था कि कौन सी चीजें कहाँ पे रखी हुई थी, और कंपनी की सभी संसाधनों पर मानो मौसमी बर्फ का कब्जा सा हो गया था। सभी गाड़ियों पे लगाम सी लगती साफ साफ नजर आ रही थी जैसा कि आप ऊपर तस्वीर में देख पा रहे होंगे। ये सभी तस्वीरें उसी समय की है जब ये घटना हुई थी। पहली बर्फबारी 3 - 3 फीट तक गिर गई थी।
टूटती हुई बचने की उम्मीद नजर आना
अब क्या था के कंपनी के सभी सदस्यों को लगने लगा के बस अब मानो हम सभी कमरे मे कैद हो गए। और उधर वो घुमक्कड़ प्राकृतिक के नजारे अपने कैमरे मे कैद करने मे लगा हुआ था मानो उसको इस बात कोई खौफ था ही नहीं। वो अपने मे ही मगन था खिड़की से बैठे बैठे तस्वीरें लिए जा रहा था। ये जो आप ऊपर तस्वीरें देख पा रहे हैं ये सभी तस्वीरें उसके द्बारा ही ली गई थी।
जैसे तैसे पहला दिन बहुत मुश्किल से गुजरा, एक तरफ ठण्डी तो दूसरी तरफ शाम को बिजली भी गुल हो गई। एका एक मौसम शाम को और खराब हो गया। अब सभी को पता लग चुका था के यहां से निकलना अभी इतना आसान नहीं. उनका रसोइया खाना बनाने वाला भी उनके साथ ही रेहता था। उधर उसने दिल दहला देने बाली बात कह दी,
रसोइये के पंजाबी स्वर में " सर जी हूंण ता राशन भी थोड़ा रह गया हेंगा बड़ी मुश्किल णाल 2 दिन दा राशन हेंगा" फिर क्या था परेशानी और बड़ गई।
अब बस थोड़ा सा मौसम खुलने की देर है जैसे तैसे भी हो पैदल ही निकल पड़ेंगे ये सभी ने सोच लिया था। अब घुमक्कड़ का मोबाइल फोन की बैट्री खत्म हो चुकी थी जिससे उस घुमक्कड़ को भी साफ साफ परेसानी मे देखा जा सकता था।
खाना बनाने के लिए जैसे तैसे बर्फ को पतिले मे डाल कर पानी मे तब्दील किया जा रहा था।
रात को एक बार फिर स्नो फाल हो चुकी थी
कुछ राहत भरी साँस मिलना
अगली सुबह का मौसम थोड़ा बहुत ठीक ही लग रहा था हल्के हल्के बादल जरूर देखने को मिल रहे थे यानी के स्नो फाल थम गया था। फिर क्या था कंपनी के सदस्यों ने कुछ नहीं देखा पैदल ही 5 किलोमीटर निकल पड़े अपने गंतव्य की ओर।
उस घुमक्कड़ को एक परेशानी और भी खाई जा रही थी वो परेशानी थी उसके फोन की बैट्री। वो खत्म हो चुकी थी।
इसलिए उसके मनाली से निकलते समय की तस्वीरों से आप बंचित रह गए। ये उसको पूरी उम्र मलाल रहेगा। सभी अपने अपने घर में सुरक्षित पहुंच चुके थे।
वो घुमक्कड़ शख्स कोई और नहीं आपका प्रिय वालिया सचिन ही था यानी के हम। जैसा कि आप ऊपर तस्वीर में देख पा रहे होंगे।
मेरे साथ बने रहने के लिए और मुझे अपना इतना सारा प्यार देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया। मेरा अगला ब्लॉग भी जल्दी आने वाला है तब तक बने रहने के लिए फिर से आपका बहुत बहुत धन्यावाद।
जय भारत
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