यात्राओं पर मिली छूट तो लोगों ने निकाल दिया जुलूस, हिल स्टेशनों पर लगा पर्यटकों का मेला

Tripoto
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मार्च 2020 में शुरू हुए लॉकडाउन ने सभी को अपने-अपने घरों में कैद होने पर मजबूर कर दिया था। ना किसी को कहीं घूमने जाने की छूट थी और ना ही किसी भी अन्य तरह की भीड़ इकट्ठा करने की परमिशन। आपको केवल जरूरी कामों के लिए घर से बाहर निकलने की आजादी दी गई थी। जो कि कोरोना की तेज रफ्तार को देखते हुए सही भी था। अब जब लगभग 1.5 साल से भी ज्यादा समय के बाद कोविड के मामलों में गिरावट आई है तो सरकार ने भी धीरे-धीरे नियमों में छूट देनी शुरू कर दी है। जिसकी शुरुआत यातायात नियमों में ढील देने से की गई थी।

क्योंकि लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर पर्यटन विभाग और उससे जुड़े सेक्टरों में देखा गया था इसलिए अब केंद्र और राज्य सरकारों ने पर्यटन पर लगाई गई लगभग सभी पाबंदियों में भी ढील देना शुरू कर दिया है। कुछ राज्यों में तो अब आपको आरटीपीसीआर रिपोर्ट के साथ-साथ किसी भी अन्य तरह के सर्टिफिकेट की कोई जरूरत नहीं है। नियमों में ढील मिलते ही मानो लोगों ने अपनी कमर कस ली है। पिछ्ले कुछ दिनों से इंटरनेट पर वायरल हो रही तस्वीरों को देखकर ये साफ मालूम चल रहा है कि लोग किस तेजी से हिल स्टेशनों की तरफ बढ़ रहे हैं। कुछ ऐसा ही मामला मुंबई के माथेरान और हिमाचल के मैकलोडगंज में भी सामने आया है।

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श्रेय: मिड डे

कोविड के नियमो में छूट मिलते ही मुंबई और उसके आसपास के इलाकों में लगातार भारी भीड़ देखने को मिल रही है। बीते रविवार को 2,000 से भी ज्यादा लोगों ने माथेरान में अपनी हाजिरी लगाई। लेकिन प्रशासन की सख्ती के चलते इन सभी पर्यटकों को तुरंत वापस होने का निर्देश दे दिया गया। हालांकि ये फैसला लोगों की सुरक्षा को देखते हुए लिया गया था लेकिन माथेरान के स्थानीय लोगों ने प्रशासन के इस कदम पर रोष व्यक्त किया है। लोगों का कहना है कि पिछले साल से चल रहे लॉकडाउन की वजह से पर्यटन पर निर्भर कमाई का आधे से ज्यादा हिस्सा प्रभावित हुआ है। जिसके कारण सभी को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।

माथेरान के श्रमिक रिक्शा संगठन के सेक्रेटरी के मुताबिक "माथेरान में टीकाकरण अभियान काफी तेजी से चलाया जा रहा है। यहाँ तक कि इलाके के बुजुर्ग और अन्य लोगों को टीका लगाया जा चुका है। पर्यटन के बंद होने से स्थानीय लोगों की कमाई का बड़ा हिस्सा प्रभावित हुआ है। ऐसे में प्रशासन को अब हिल स्टेशन में पर्यटन की छूट दे देनी चाहिए। हमें उम्मीद है हमारी मांगे सुनी जाएंगी वरना हमारे पास धरना देने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचेगा।"

वहीं प्रशासन का कहना है फिलहाल सरकार की तरफ से माथेरान और उसके पास वाले इलाकों के लिए नियमों में छूट देने का कोई ऑर्डर नहीं आया है। जिसके कारण पर्यटकों को हिल स्टेशन में दाखिल होने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

दूसरी तरफ हिमाचल के मैकलोडगंज में भी कुछ ऐसा ही किस्सा सामने आया है। कोविड के नियमों में छूट मिलते ही दिल्ली और पंजाब की तरफ से आने वाली सड़कों पर गाड़ियों की भारी भीड़ का मामला सामने आया है। मैकलोडगंज और धर्मकोट के होटलों में बीते शुक्रवार 100 प्रतिशत बुकिंग दर्ज की गई है। धर्मशाला होटल एसोसिएशन के सेक्रेटरी के मुताबिक देर शाम आने वाले पर्यटकों को होटल में कमरा ना मिल पाने की वजह से धर्मशाला के निचले हिस्सों की तरफ वापस लौटना पड़ा।

अचानक बढ़ी भीड़ की वजह से धर्मशाला के ऊपरी हिस्सों में लंबे ट्रैफिक जाम भी लगने शुरू हो गए हैं। 6 किमी. का रास्ता तय करने में तीन से चार घंटे ट्रैफिक में फंसा रहना पड़ रहा है। सड़क पर लग रहे ट्रैफिक जाम के लिए लोगों ने प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि मैकलोडगंज से इंद्रुनाग जाने वाली सड़क, जो इस भीड़ को नियंत्रित करने में मददगार होती, पिछले चार सालों से अधूरी पड़ी है।

ट्रैफिक के साथ-साथ लोगों में कोविड के नियमों को लेकर भी ना के बराबर गंभीरता देखी गई। सोशल डिस्टेंसिंग करना तो दूर आधे से ज्यादा लोग बिना मास्क पहने सड़कों पर घूमते दिखाई दिए। नियमों में ढील के साथ पर्यटन ने तो तेज रफ्तार पकड़ ली है लेकिन क्या ऐसी गलतियाँ कोविड की तीसरी लहर को न्योता तो नहीं ये देखने वाली बात होगी।

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