स्पीति बाईक ट्रिप में यह जगह हैं सबसे चुनौतीपूर्ण

Tripoto
Photo of स्पीति बाईक ट्रिप में यह जगह हैं सबसे चुनौतीपूर्ण by Rishabh Bharawa
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Day 3

स्पीति बाईक यात्रा के पहले दिन मनाली से जीभी तक लेट नाइट तक बाईक बारिश में बाईक चलाई। आज दूसरे दिन फिर ,केवल रात को 5 घंटे की नींद लेकर सुबह 7 बजे छितकुल के लिए निकले । छितकुल तिब्बत बॉर्डर पर स्थित हैं । जीभी से 213किमी गूगल ने बताया। पहाड़ों पर 30 से 35 किमी प्रति घंटा की एवरेज स्पीड मानी जाती हैं, तो करीब 8 घंटे में हमे छितकुल पहुंचना था।

अब हुआ यूं कि जीभी से तीर्थन घाटी की सुंदरता ko निहारते, जगह जगह पेड़ों पर लटके आम, एप्पल और अनार को देखते देखते कुछ घंटे तो अच्छे से निकले, हालांकि रोड टोटल खराब था और रात की बारिश की वजह से सड़कों पर पानी से भरे खड्डे ही थे। इसीलिए धीरे धीरे हम खाना नाश्ता वगेरह खाते पीते करीब 1 बजे तक रामपुर पहुंचे और चालू हुई ओलावृष्टि और तूफानी बारिश। पानी की बूंदे सीधे आंखो में सुई की तरह चुभने लगी। हेलमेट का कवर बंद करे तो सांसों की वजह से अंदर फॉग जम जाने लगा । हालांकि ये चीजे तो भूटान और लेह बाईक ट्रिप पर भी हुई थीं मेरे साथ।

बारिश लगातार होती रही।5 बजे हम पहुंचे सांगला । सांगला से चिटकुल की दूरी थी 27 किमी । हमारे साथ एक बैकअप व्हीकल था जिसमे हमारे बैग्स थे ,एक टेंपो ट्रैवलर थे जिसमे कुछ साथी थे ,और हम 4 बाइक राइडर ,4 हिमालयन बाईक के साथ थे। हम सब अलग अलग हो चुके थे केवल हम 2 बाइक्स के साथ 4 लोग अकेले सबसे आगे थे ।

हमारी असल परीक्षा शुरू हुई सांगला से ।हम 4 लोग 2 बाइक्स । बाकी सब काफी पीछे थे ,हमे किसी ने बताया कि आपको करीब दो घंटा लगेगा इस 27 किमी को पार करने में। सांगला में ही आज हमने ग्लेशियर देखे , वो भी बहुत सारे। हम चारों अकेले निकल पड़े आगे । सांगला में इक जगह किन्नर कैलाश यात्रा के बारे में लिखा था तो याद आया कि किन्नर कैलाश यात्रा यही कही से शुरू होती हैं। हम किन्नर कैलाश की रेंज में ही थे शायद।जैसे ही कुछ मीटर ऊंचाई पर गाड़ी चढ़ाई और चारो तरफ बादल छा गए।अब 20 25 फीट चौड़ी रोड, एक साइड गहरी खाई और बहती सतलज नदी रह गए बस। कैलाश के क्षेत्र में आते ही परीक्षा चालू हो गई। अब रोड अपने सबसे घटिया रूप में मिल रही थी देखते ही देखते घना अंधेरा हो गया और मैं और मेरी वाइफ अपनी बाईक पर अकेले सबसे आगे रह गए।कुछ ही देर में मूसलाधार बारिश, खतरनाक टूटी सड़कें, पानी से भरे अन्नत गड्ढे और फुल अंधेरे से ऐसा लगा भगवान हमारी परीक्षा लेना शुरू कर रहे हैं । ऐसे टूटे फूटे पानी से भरे रोड्स तो लद्दाख में भी नही थे, हमारी स्पीड 15 किमी के लगभग थी ।करीब 15किमी पहुंचने में हमको 1 घंटा लगा ।

छितकुल में अब करीब 12 किमी बचे थे और शुरू हुआ घना जंगली रोड। अब कोई भी अन्य वाहन आगे पीछे दिखना बंद हो गए। दूर दूर तक घना अंधेरा , चमकते ग्लेशियर और घना जंगल और हम दोनो आ गए टेंशन में कि कही गलत रूट पर तो नही आ गए। गाड़ी रोकना हम चाहते नही थे , मोबाइल यूज नही कर सकते थे क्योंकि बारिश tej थी और हाथ की उंगलियां सुन्न हो चुकी थीं। हम बस आगे बढ़ते गए। आधे घंटे तक धैर्य रखा fir भी दूर दूर तक कोई रोशनी, गाड़ी की लाइट या कोई गांव शहर नही दिखा। अभी भी 5 किमी बाकी थे। पता नही कहा से बारिश में भी धूल के कण उड़ने लगे और मुझे दिखना बंद । याद हैं मुझे करीब 2 से 3 ब्रिज भी पार किए । एक बोर्ड पर लिखा मिला छितकुल 1किमी दूर हैं लेकिन अभी भी कोई बस्ती आगे होने का कोई साइन नही मिला। हमे लगा इधर बॉर्डर इलाका हैं और हम भटक गए हैं। एक जगह गाड़ी बंद हो गई और अब चारो ओर घना अंधेरा था। अब मैं भी लगभग टूट चुका था, नेटवर्क थे नहीं मोबाइल में , लगा अब वापस उसी निर्जन रास्ते पर एक घंटा बाईक चलाकर पीछे जाना पड़ेगा ।कुछ भी नही दिख रहा, किस्मत अच्छी रही गाड़ी स्टार्ट हो गई और कुछ ही समय बाद कई लाइट दिखने लगी। नेटवर्क भी आ गए, व्हाट्सप्प ग्रुप से होटल की लोकेशन ली और पहुंचे हम दोनों होटल। यहां जाते ही उनको जल्दी डिटेल्स बताई , उन्होंने हमारी हालत देखकर जल्दी बिना डिटेल्स चेक किए ही रूम दे दिया, दोनो को हाथ सेकने रसोई में भेज दिया।

रूम 3rd माले पर था और अब दिक्कत यह थी कि हमारे बैग्स हमारे पास नही थे , हमने 2 घंटे केवल रेनकोट में ही गुजारे । धीरे धीरे सब आ गए । हम भीगे हुए थे तो खाना रूम में ही भेज दिया। इलेक्ट्रिक कंबल ऑलरेडी रूम में थी। रूम हमारे हर जगह लग्जरी बुक थे सर्व दुविधा युक्त। हमारा रूम चारो ओर बड़ी बड़ी खिड़कियों से बना हैं। बैग्स आ गए हैं । बारिश अभी भी जारी है और मैं मटर पनीर की सब्जी खाते खाते यह सब लिख रहा हूं। कल घूमेंगे छितकुल और फिर कल्पा....... वाकई में मजा ऑफरोड पर गाड़ी चला कर ऐसे दुख उठाने में ही हैं, यह चीजे अब लद्दाख वाले रूट्स पर कम हैं, क्योंकि उधर अधिकतर जगह पक्की सड़कें बन चुकी हैं पर इधर अभी भी चैलेंजिंग रोड्स मौजूद हैं।

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