लम्बी लम्बी मटमैली सड़कें, जिसके गड्ढों में रात का पड़ा पानी जमकर बर्फ़ बन गया है। दोनों ओर के ऊँचे पहाड़ों पर बर्फ़ मिठाई के चाँदी वाले कवर की तरह चमक रही है। उसके बीच में उगे हुए हैं पेड़, जो दूर से देखो तो चटख रंग के काँटे की तरह लगते हैं। छोटे छोटे घर हैं, जिनकी छत तिरछी टोपी की तरह बनी है, ताकि बर्फ़ ना टिक सके। कहीं भी कैमरा घुमाओ, हर तरफ़ ख़ूबसूरती लबालब भरी हुई है।
हिप्पी संस्कृति वाला तोष कुछ ऐसे ही स्वागत करता है आपका। और ये सारी बातें हवा हो जाती हैं, जब आप ख़ुद इस अनुभव को महसूस कर रहे होते हो। क्योंकि तब एक अनछुई सी ठण्ड आपको घेरे रहती है। चाय की टपरी की कड़क चाय और शानदार लगने लगती है, मैगी की भाप देखकर लालच बढ़ने लगता है, समझ नहीं आता पहले फ़ोटो खींचें या स्वाद चखें। आज मैं आपको उसी तोष के बारे में बताने वाला हूँ।
तोष में क्या- क्या करें
1. तोष में ही घूमने के लिए
तोष ख़ुद में घूमने के लिए बहुत बढ़ियाा एहसास है। हिप्पी संस्कृति से शायद पहली बार रूबरू होंगे आप। इस गाँव की ऊँचाई बहुत ज़्यादा है, इसलिए यहाँ पर मोटरबाइक के हिसाब वाली सड़क नहीं हैं। लेकिन अच्छी बात ये है कि घूमने के लिए आप पैदल ही हर जगह जा सकते हैं। सारी जगहें एक दूसरे के नज़दीक ही हैं।
सेब के बाग और हरे चारागाह, जहाँ चरवाहे अपने मवेशियों को चराने ले जाते हैं, देखने के लिए बहुत ही सुन्दर हैं।
2. पार्टियाँ
तोष मुख्य रूप से घुमक्कड़ों का अड्डा है। बैकपैकर्स आपको यहाँ हमेशा ही मिलेंगे। ऐसी ढेरों पार्टियाँ यहाँ होती रहती हैं।
3. ट्रेकिंग करने निकलें
ट्रेकिंग करने वालों के लिए यह जगह स्वर्ग है। वो इसका नाम कभी अकेले नहीं लेते, इसके साथ कभी खीरगंगा, तो कभी कसोल का नाम भी जुड़ा मिलता है। तोष, खीरगंगा, कसोल, मणिकरण, मलाणा और ढेर सारी भाँग, भोले बाबा की असीम कृपा है यहाँ पर। उनका कोई भी भक्त चाह ले, तो यहाँ से खाली हाथ नहीं जाता।
4. जमदग्नि ऋषि मन्दिर
साल में सिर्फ़ जनवरी फ़रवरी के कुछ दिनों के लिए यह मन्दिर खुलता है। गाँव के बीचों बीच स्थित इस मन्दिर के बरामदे से ऊपर देखो तो हिमालय ऊपर से ताकता हुआ मिलता है। तेज़ चिल्लाओ तो आवाज़ वापस आती है, लगता है पूरा हिमालय इस मन्दिर की रखवाली के लिए बैठा हो। अपने छोटे से तोष में इस मन्दिर में घूमने के लिए ज़रूर समय निकालना।
घूमने का सही समय
बहुत ऊँचाई पर बसा है तोष। समुद्रतल से 7,900 फ़ीट ऊपर। ठण्ड अपनी चरम सीमा पर होती है, तो किसी पर रहम नहीं खाती। वही बच पाता है, जो दिल का पक्का घुमक्कड़ होता है। घूमने का समय पूछो तो अप्रैल से अक्टूबर का समय सबसे बढ़िया रहेगा। अगर पक्के वाले घुमक्कड़ हो, दिल में जज़्बा है और ठण्ड से प्यार, तो पूरा साल आपका ही आपका है।
ठहरने के लिए
जैसे-जैसे करके यह जगह अपना नाम कमा रही है, पर्यटन बढ़ने से गेस्टहाउस और होटल्स भी इस तरफ़ अपने कदम जमा रहे हैं। इसलिए रहने की समस्या नहीं होगी आपको। पिंक फ़्लॉयड, अश्विन कैफ़े और होटल हिलटॉप, कुछ गिने चुने नाम हैं। इसके अलावा भी कुछ होमस्टे हैं, जिनके बारे में आपको देखना चाहिए।
स्वादघर
भारतीय, इटैलियन और यूरोपियन; तीन क़िस्मों का खाना यहाँ ख़ूब खाया जाता है। कई सारे कैफ़े में आपको पिज़्ज़ा और सैंडविच आसानी से मिलेंगे। तोष में आपको हर प्रकार का खाना मिल पाना अभी तो संभव नहीं है। लेकिन जगह इतनी ख़ूबसूरत है कि मैगी और चाय में भी बड़ी स्वाद होती है, जिसने खाया है, सबने गुण गाया है।
तोष कैसे पहुँचें
सड़क मार्गः दिल्ली के आईएसबीटी कश्मीरी गेट से मनाली के लिए बस पकड़ लीजिए और भुंतर पर उतर जाइए। भुंतर से बर्षेनी के लिए हिमाचल रोडवेज़ की कई बसें मिलेंगी। बर्षेनी से 5 किमी0 का छोटा सा ट्रेक है तोष, चाहे तो आप पैदल पार कर लीजिए, या फिर टैक्सी वाले ₹100 में आपको पहुँचा देंगे।
रेल मार्गः जोगिन्दर नगर रेलवे स्टेशन सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है, जिसके लिए आपको टॉय ट्रेन कठुआ से मिलेगी।
हवाई मार्गः सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा चंडीगढ़ का है, जहाँ से आपको तोष के लिए टैक्सी आसानी से मिल जाएंगी।
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