जम्मू का यह गांव बन रहा हैं सैलानियों की नई पसंद

Tripoto
12th Jun 2023
Photo of जम्मू का यह गांव बन रहा हैं सैलानियों की नई पसंद by Yadav Vishal
Day 1

जम्मू भारत के सबसे उत्तरी भाग में स्थित है, जो तवी नदी के किनारे पर बसा हुआ हैं। अनेक जातियों, संस्कृतियों व भाषाओं का संगम बना यह प्रदेश एक खूबसूरत पर्यटन स्थल भी हैं। वैसे तो जम्मू में ऐसी बहुत सारी पर्यटक स्थल हैं, जिसके वजह से सालभर पर्यटकों का जमावड़ा यहां लगा रहता हैं। जम्मू के ऑफ़बीट जगहों में से एक बसोहली हैं। जो की जम्मू के नए पर्यटन स्थल के रुप में निखर के सामने आ रहा हैं। सरकार द्वारा भी इस जगह पर विशेष ध्यान दिया जा रहा हैं। जिससे की ये ना केवल जम्मू एवं कश्मीर के बल्कि भारत के पर्यटक के मानचित्र में अपनी पहचान बना लें। सरकार द्वारा यहां बहुत सारे वाटर-स्पोर्ट्स, एडवेंचर, लीजर और हेरिटेज डेस्टिनेशन में जोड़ने की योजना चल रही हैं।

पर्यटन निदेशालय जम्मू और कश्मीर ने बानी बसोहली विकास प्राधिकरण के सहयोग से पर्यटक स्वागत केंद्र बसोहली में 'विश्व पर्यावरण दिवस' मनाया, जहां उन्होंने सांस्कृतिक उत्सवों और अन्य कार्यक्रमों मनाएं। सैयद आबिद रशीद शाह ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर का पर्यटन विभाग बसोहली को जम्मू-कश्मीर के एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और विभाग इसे आधुनिक राज्य के साथ वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए सभी प्रयास करेगा। साथ ही साथ इन्होंने कहा कि बसोहली को वॉटर स्पोर्ट्स हब के रुप में विकसित किया जाएगा।

बसोहली

बसोहली रावी नदी के तट पर स्थित कठुआ जिले का एक छोटा सा मगर बहुत ही ख़ूबसूरत शहर है। बसोहली सुरम्य परिदृश्य से घिरा हुआ है, जिसमें आपको हरी-भरी घाटियाँ, ऊंचे ऊंचे पहाड़ और नदियां देखने को मिल जायेगी। बसोहली की प्राकृतिक सुंदरता प्रकृति प्रेमियों, फोटोग्राफरों और ट्रैकिंग प्रेमियों के लिए किसी जन्नत से कम जगह नहीं हैं। इस शहर को सन् 1635 में राजा भोपत पाल द्वारा स्थापित किया गया था। देश भर से पर्यटक इस शहर के अद्भुत पुराने पत्थर की नक्काशीदार मूर्तियों और छोटे चित्रों को देखने के लिए यात्रा करते हैं, जो बसोहली चित्रों के नाम से भी जाने जाते हैं।

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बसोहली में घूमने वाली जगह

रणजीत सागर झील

रणजीत सागर झील बसोहली का एक फेमस टूरिस्ट स्पॉट में से एक हैं। जिसे जम्मू के मिनी गोवा के नाम से भी जाना जाता हैं। यह झील 88 sq.m में फ़ैला एक फ्रेश वाटर झील हैं। यहां आप बहुत सारे वॉटर स्पोर्ट्स एक्टिविटी का आनंद उठा सकते हैं। साथ ही यह स्थान फोटोग्राफी के लिए भी एक परफेक्ट जगह हैं।

जोड़ियां दी माता मंदिर

यह मंदिर बंजाल की पहाड़ियों में स्थित हैं। यह मंदिर कठुआ के बसोहली  से 40 किलोमीटर दूर शीतल नगर में स्थित हैं। मंदिर के अंदर शीतला माता की मूर्ति स्थापित है। ऐसी मान्यता है यहाँ जो कुछ भी माँगा जाता है सब मिलता हैं। धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ यह भी एक खूबसूरत जगह है, जो प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। नवरात्रों में यह मंदिर बरफिले पहाड़ों से घिरा होता है और शारदीय नवरात्रि में यहां भव्य मेला लगता हैं।

चंचलो देवी का मंदिर

जिस किले में माता चंचलो देवी का मंदिर है, वह बसोहली राज्य के पाल राजवंश के राजाओं की पहाड़ी की चोटी पर बनाया गया था। किले का मंदिर तीन तरफ से झील के पानी से घिरा हुआ है और यह मंदिर घने जंगल के बीच स्थित हैं। प्राकृतिक प्रेमियों के लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं हैं।

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बसोहली में क्या करें?

बसोहली अगर आप जा रहें हैं तो वहां के वॉटर स्पोर्ट्स का आनन्द लेना ना भूलें। साथ ही साथ आप यहां ट्रैकिंग, बर्ड वॉचिंग, फोटोग्राफी का भी लुप्त उठा सकते हैं। इसके अलावा, जो लोग जागरूक नहीं हैं, उनके लिए बसोहली लघु चित्रों की अनूठी शैली के लिए काफ़ी प्रसिद्ध है। ये चित्र हिंदू पौराणिक कथाओं, शाही दरबारों और प्रेम कहानियों को दर्शाते हैं। बसोहली चित्रकला का जन्म हिन्दू, मुग़ल तथा पहाड़ी शैलियों के समन्वय से हुआ है जिसमें मुग़ल शैली की भाँति झीने परदों तथा पुरुषों के कपड़ों का प्रयोग किया गया है जबकि चेहरे स्थानीय लोक कला पर आधारित हैं। बसोहली चित्रकला शैली हिन्दू धर्म एवं परम्परा से अधिक प्रभावित रही और विष्णु एवं उनके दशावतारों का अधिक चित्रण किया गया। बसोहली चित्रकला शैली के अंतर्गत रामायण, महाभारत तथा गीत गोविन्द पर आधारित चित्रों की भी रचना की गयी है। अगर आप यहां जा रहें हैं तो यहां की चित्रकला शैली देखना ना भूलें।

कैसे जाएं?

पठानकोट रेलवे स्टेशन से बसोहली के लिए लगभग 3 घंटे की सड़क यात्रा से पहुंचा जा सकता है। पठानकोट और जम्मू निकटतम हवाई अड्डे हैं, जहां के लिए पूरे देश से उड़ानें उपलब्ध हैं।

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