भारत में ऐसे न जाने कितने ही स्थान है जो अनेकों प्रकार के रहस्यों से भरे पड़े है।जहां पर पहुंचना भी अपने आप में एक रोमांच है।शायद यही कारण है की ट्रैकर्स नई नई जगह की तलाश में रहते हैं जहां पर उन्हें एडवेंचर के साथ ही साथ कुछ नया और नए रहस्यों का पता चल सके।इसी क्रम में उत्तराखंड की एक जगह आजकल ट्रेकर्स की नई पसंदीदा जगह बनती जा रही है।जी हां हम बात कर रहे है उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में बसे द्रोणागिरी पर्वत की।यह जगह जितनी खूबसूरत है उतनी ही रहस्यमय भी है।कहते है इस जगह का संबंध रामायण काल से भी है।यह जगह जितनी खूबसूरत और रोमांचकारी है उतनी ही रहस्यमय भी तो आइए जानते है द्रोणागिरी पर्वत के विषय में।
द्रोणागिरी पर्वत
द्रोणागिरी पर्वत के रहस्यों के बारे में जानने से पहले जानते है कि यह पर्वत कहां पर स्थित है।द्रोणागिरी पर्वत उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित हैं।यह जोशीमठ से करीब 50 किमी दूर नीति गांव में स्थित है।इस पर्वत की ऊंचाई लगभग 7,066 मीटर है।यहां पर्वत कई एकड़ में फैला खूबसूरत नजारों वाला है।खूबसूरत के साथ ही साथ यह पर्वत दैवीय शक्तियों वाला भी माना जाता है। यहां पर उगने वाले पेड़ पौधे अनेकों प्रकार के औषधीय गुणों से युक्त होते है।माना जाता है कि यही वो पर्वत है जहां से हनुमान जी संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी जो जीवित किया था।नीति गांव में मुख्यतः भोटिया जनजाति के लोग रहते हैं और द्रोणागिरी भी भोटिया जनजाति का ही घर है।
द्रोणागिरी पर्वत की पौराणिक कथा
द्रोणागिरी पर्वत का संबंध रामायण काल से माना जाता है।जब राम और रावण के बीच युद्ध चल रहा था तो मेघनाथ के शक्ति से लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए थे तब उन्हे बस संजीवनी ही जीवित कर सकती थी।तब हनुमान जी इसी द्रोणागिरी पर्वत का एक हिस्सा उखाड़ ले गए थे।बद्रीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवनचंद्र उनियाल बताते हैं कि आज भी द्रोणागिरी पर्वत का ऊपरी हिस्सा कटा हुआ लगता है। इस हिस्से को हम आसानी से देख सकते हैं। यहां पर रहने वाले स्थानीय लोगों का मानना है कि जब हनुमान जी पर्वत को उखाड़ रहे थे तो गलती से उन्होंने वहां के स्थानीय देवता की बाह भी उखाड़ दी थी।यही कारण है कि आज भी इस गांव में हनुमान जी की पूजा वर्जित है।
द्रोणागिरी के लिए ट्रैकिंग
द्रोणागिरी पर्वत आजकल सैलानियों की पसंदीदा जगह बनता जा रहा है।खास कर उन लोगों के लिए जो ट्रैकिंग के लिए काफी रोमांचित रहते हैं।द्रोणागिरी पर ट्रेकिंग के लिए आपको सबसे पहले उत्तराखंड के चमोली से लगभग 50 किलोमीटर आगे जुम्मा गांव पहुंचना होगा इसके लिए आप कैब या टैक्सी कर सकते है। यहां पहुंचकर आपको आगे के लिए पैदल यात्रा शुरू करनी होगी जो द्रोणागिरी गांव के लिए जाती है।जुम्मा से धौली गंगा नदी के दूसरे तरफ आपको पार्वती की कई श्रृंखला देखने को मिलेगी जिसे पार कर आप द्रोणागिरी पर्वत पर पहुंच सकते है।खूबसूरत और संकरी पहाड़ों की पगडंडियां होते हुए आपको यहां तकरीबन 10 किलोमीटर का ट्रेक करना होगा।आप यहां पर ट्रैकिंग गर्मियों के दौरान ही कर सकते है क्योंकि सर्दियों में यहां बहुत अधिक बर्फबारी होती है जिससे यहां जाना लगभग नामुमकिन है।सर्दियों में गाववासी भी गांव को छोड़ छः महीने के लिए कही और रहने चले जाते है।
द्रोणागिरी पर्वत की पूजा का उत्सव
जब सर्दियों का मौसम चला जाता है और बर्फ कुछ कम हो जाती है तो गांव के लोग यहां वापस आ जाते है।गांव में वापस रहने से पहले यहां के लोग एक पूजा का आयोजन करते है।स्थानीय लोगों का मानना है कि जब कुछ समय तक वे लोग यहां नहीं रहते तो कुछ नकारात्मक शक्तियां यहां वास करने लगती है इस लिए यहां वापस रहने से पहले पूजा पाठ करके जगह को वापस शुद्ध किया जाता है।यह पूजा एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है जहां स्थानीय लोगों के साथ ही साथ दूर दराज के लोग भी शामिल होने आते है।
कैसे पहुंचें
द्रोणागिरी पर्वत पर पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले उत्तराखंड के जोशीमठ पहुंचना होगा इसके लिए आप सड़क परिवहन के बस,टैक्सी या कैब के जरिए पहुंच सकते है।जोशीमठ से आपको टैक्सी के जरिए जुम्मा गांव पहुंचना होगा उसके बाद आप द्रोणागिरी के लिए अपनी पैदल यात्रा शुरू कर सकते है।
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