भारत एक बहुत ही विविध देश है जहाँ का हर राज्य एक दूसरे से काफी अलग है। पर अगर आपने भारत अच्छे से घूमा है तो आपको पता होगा कि कई ऐसी जगह है जो आपके होश उड़ा देंगी, लेकिन गलत कारणों से। मैंने ट्रिपोटो के लेखकों से पूछा उनके द्वारा की गयी सबसे बेकार यात्रा के बारे में। उनका कहना यह था:
करकट भरा कोलकता
" मुझे घूमना काफी पसंद है और मैं काफी मिलनसार हूँ। अलग तरीके के लोगों से नई जगह पर घुलने मिलने में दिक्कत नहीं होती मुझे पर पिछले साल कोलकता के ट्रिप ने सब बदल दिया। मेरा सबसे ख़राब ट्रेवल एक्सपीरियंस था। गंदे होटल से लेकर गन्दी गलियों तक, अस्वस्थ खाना और आलसी लोग- शहर में ऐसा कुछ नहीं था जो मुझे भाया। और एक चर्चित दूकान से पुचका खाकर मेरा पेट भी खराब हो गया। और जो कहते हैं कि पुचका दिल्ली के गोल गप्पों से बहतर है, बिलकुल गलत कहते हैं।"– अदिति
गंदगी भरा आगरा
"मैंने कुछ दिनों पहले ही आगरा जाने का सोचा क्योंकि वो घर है खूबसूरत ताज महल का। मैं बहुत ही जोश के साथ चला पर शहर में घुसते ही मैं उसकी अराजकता से काफी निराश होगया। मैं बढ़ा चढ़ा के नहीं बोल रहा पर शहर थोड़ा गन्दा था। ताज महल की खूबसूरती का एकदम उल्टा है आगरा शहर। शायद मैं यहाँ दोबारा कभी नहीं जाऊँगा।"– अंशुल
संकीर्ण सोच वाला पटना
"बिहार के बारे में काफी बुरा पढ़ने के बाद मैंने खुद यहाँ जाने का सोचा, उम्मीद करते हुए कि शायद मैं गलत सिद्ध हो जाऊँ। मुझे नहीं पता था मैं नफरत के साथ वापिस आऊँगा पटना से। औरतों के प्रति व्यव्हार और रवैया बहुत ही खराब है। लोकल केबल पर भी बहुत ही भद्दे कार्यक्रम आते हैं। उस एक हफ्ते में मैंने काफी बार औरत को शहर के बीच गाली खाते हुए देखा और किसी ने कुछ नहीं कहा। एक खूबसूरत राज्य जो एक घटिया शिक्षा प्रणाली का शिकार हो गया और जिसे अपनी मानसिकता बदलनी चाहिए ,जल्दी से।" –समर्थ
कुप्रबंधित वाराणसी
"संस्कृति के मामले में चाहे वाराणसी सबसे आगे है पर शायद मैं वापिस नहीं जाना चाहूँगा। आबादी बहुत ही ज़यादा है, पर्यटक बहुत आते हैं और गंदगी की बहुत बड़ी समस्या है। मुझे सफाई बहुत पसंद है, इसीलिए शायद वाराणसी बिलकुल पसंद नहीं आया।" –सिद्धार्थ
मैला रोहरु
"बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच बहुत सारा कूड़ा देख कर निराशा हुई। गंद को फेंकने की प्रणाली बहुत ही खराब है। प्लास्टिक पब्बर नदी के किनारे बहुत ही ज़्यादा मात्रा में पड़ा है जो यमुना में फेंका जायेगा। बहुत दुःख हुआ ऐसी जगह को गन्दा देखकर जो पर्टकों के बीच इतनी चर्चित भी नहीं है ।"– कंज
जम्मू- ऊँची दुकान फ़ीका पकवान
"दो साल पहले मैं जम्मू गया था और जैसी मैंने कल्पना की थी वैसा कुछ नहीं था। बहुत ही गर्मी थी और हवा उतनी ही ख़राब थी जितनी दिल्ली में होती है। कुछ ज़्यादा देखने को भी नहीं था। मुझे समझ नहीं आता कि हउआ किस बात का है।" – ईशवानी
अनियोजित चौकोरी
"मैंने सुना था यह छोटा जिला उत्तरखंड में काफी प्यारा और शांत है तो मैं यहाँ पिछले फरवरी में गया। पहली बात तो मुझे 6 घंटे लगे काठगोदाम से चौकोरी पहुँचने में जो सबसे पास रेलवे स्टेशन है। सफर खूबसूरत था पर वहाँ पहुँच कर निराशा ही हाथ लगी। शहर तो बढ़ रहा है पर योजना में कमी है। खतरनाक तरीके से तीन मंज़िला इमारतों को खड़ा किया जा रहा है। कूड़ा इक्कठा हुए जा रहा है और निपटान की व्यवस्था बहुत बेकार है। अगर यह काफी नहीं है तो हिमालय का नज़ारा एक लाल होटल ने खराब कर दिया है जो जहाज़ की तरह बना है।"– सौम्या
बुरी जगहें? क्या?
जब सब अपने बेकार और घटिया ट्रिप्स के बारे में बता रहे थे, रोहित ने कहा "मुझे नहीं लगता कोई भी जगह खराब होती है। एक्सपीरियंस ज़रूर खराब हो सकता है।"