वैसे तो पृथ्वी में घुमने लायक अनेकों ऐसे प्राकृतिक दर्शनीय स्थान हैं जहांँ हर कोई जाना चाहे। पर अगर हम धरती छोड़, अंतरिक्ष यात्रा की बात करें , तो कैसा रहेगा। जी हाँ, आपको यह मेरी बात अटपटी जरूर लग रही होगी, पर यह सच भी है।
भारत के कुछ ऐसे चुनिंदा पर्यटक हैं जो अपने आप को अंतरिक्ष की यात्रा कर गौरवान्वित महसूस करते आ रहे हैं। हों भी क्यूँ ना। अंतरिक्ष की यात्रा करना कोई आसां काम नहीं और हर किसी को अंतरिक्ष की यात्रा का सौभाग्य इतनी आसानी से प्राप्त नहीं होता है। भारत की तरफ से अभी तक अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले चार भारतीयों को ही यह ख्याति प्राप्त हुई हैं, राकेश शर्मा, सवर्गीय कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स और सिरिशा बांदला । हालांकि पृथ्वी पर वापसी के समय कल्पना चावला का स्पेस दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिससे उनकी मृत्यु हो गई थी। आज भी उनकी इस बहादुरी को याद किया जाता है।
भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा
भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जन्म पंजाब के पटियाला में 13 जनवरी 1949 को हुआ था। उनकी माता का नाम तृप्ता शर्मा और पिता का नाम देवेन्द्र शर्मा था। 80 के दशक में जितने प्रसिद्ध टेलीविजन स्टार अमिताभ बच्चन जी हुए थे उनसे ज्यादा प्रसिद्ध भारत के अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा जी भी हुए थे।
क्योंकि उस समय राकेश शर्मा जी भारत के इकलौते अंतरिक्ष की यात्रा के लिए चुने गए थे। उनकी उसी अंतरिक्ष यात्रा के बाद वो अपने आप को भारत के लिए अहम योगदान देने के लिए बहुत गौरवान्वित महसूस किया था।
भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला
नासा वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला का जन्म हरियाणा के करनाल में हुआ था। कल्पना अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय (उन्होंने अमेरिका की नागरिकता ले ली थी) महिला थी। उनके पिता का नाम बनारसी लाल चावला और मां का नाम संज्योती था। अगले तीन सालों तक कड़ी मेहनत के बाद कल्पना को अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया। एसटीएस 87 कोलंबिया शटल से उन्होंने पहली उड़ान भरी। ये साल 1997 की बात है। लगभग 1.04 करोड़ मील के सफर के बाद कल्पना ने तकरीबन 360 घंटे स्पेस में बिताए।
अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला ने कहा था कि मैंने हर पल अंतरिक्ष के लिए बिताया है और इसी के लिए मरूंगी। ये बात भले ही सहजता से कही गई हो लेकिन हुआ ठीक यही। स्पेस में 16 दिन बिताने के बाद वापस लौटते हुए यान मलबे में बदल गया। महज 41 साल की उम्र में दूसरा स्पेस ट्रैवल करने वाली कल्पना ने इतनी कम उम्र में ही दुनिया को और खासकर अंतरिक्ष विज्ञान में काम करने की ख्वाहिश रखने वाले युवाओं को बड़ा संदेश दे दिया था।
भारतीय मूल की दूसरी महिला अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स
सुनीता विलियम्स भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और अमेरिकी नौसेना की अधिकारी हैं। वे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के जरिये अंतरिक्ष में यात्रा करने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं। य सुनीता का ताल्लुक भारत के गुजरात के अहमदाबाद शहर से है। इन्होंने एक महिला अंतरिक्ष यात्री के रुप में 195 दिनों तक अंतरिक्ष में रहने का विश्व किर्तिमान स्थापित किया है। एक महिला अंतरिक्ष यात्री द्वारा किया गया सबसे ज्यादा बार किया गया स्पेस वाक का कीर्तिमान एक समय पर उनके नाम पर था। साथ ही सबसे ज्यादा समय तक स्पेस वाक का कीर्तिमान भी उन्ही के नाम पर है। उनके पिता दीपक पाण्डया अमेरिका में एक डॉक्टर हैं। सुनीता के पिता डॉ दीपक पंड्या का सम्बन्ध भारतीय राज्य गुजरात के मेहसाना जिले से हैं जहाँ उनका जन्म झुलासन में हुआ था जबकि उनकी माता के परिवार का सम्बन्ध स्लोवेनिया से है।
सुनीता विलियम्स नौसेना पोत चालक, हेलीकाप्टर पायलट, पेशेवर नौसैनिक, पशु-प्रेमी, मैराथन धाविका और अंतरिक्ष यात्री एवं विश्व-कीर्तिमान धारक हैं। अपने कार्यक्षेत्र में उपलब्धियों के लिए उन्हें कई सम्मान मिले हैं।
नेवी कमेंडेशन मेडल
नेवी एंड मैरीन कॉर्प एचीवमेंट मेडल
ह्यूमैनिटेरियन सर्विस मेडल
मैडल फॉर मेरिट इन स्पेस एक्स्पलोरेशन
सन 2008 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया
सन 2013 में गुजरात विश्वविद्यालय ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की
सन 2013 में स्लोवेनिया द्वारा ‘गोल्डन आर्डर फॉर मेरिट्स’ प्रदान किया गया।
भारतीय मूल की तीसरी महिला अंतरिक्ष यात्री सिरिशा बांदला
सिरिशा बांदला का नाम आज किसी पहचान का मोहताज नहीं रह गया है। कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स जैसे बड़े नामों के बाद अब सिरिशा बांदला का नाम भी अंतरिक्ष की दिशा में अपने कदम बढ़ाने वालों की लिस्ट में शामिल हो चुका है। जी हाँ, भारतीय मूल की सिरिशा बांदला रिचर्ड ब्रैनसन की स्पेस कंपनी वर्जिन गैलेक्टिक के अंतरिक्ष यान वर्जिन ऑर्बिट में बैठकर अंतरिक्ष की सैर कर चुकी है। सिरिशा बांदला ने 11 जुलाई 2021 को अपना अंतरिक्ष का सफ़र शुरू किया और 60 मिनट की अंतरिक्ष यात्रा करके वापस लौट आई। सिरिशा बांदला का जन्म साल 1987 में हुआ था और उनकी उम्र 34 साल है। वे आंध्रप्रदेश के गुंटूर की रहने वाली हैं। सिरिशा की पढ़ाई पर्ड्यू विश्वविद्यालय से हुई है। यहाँ से उन्होंने एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है। ग्रेजुएशन के बाद सिरिशा ने जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी से एमबीए किया है।
सिरिशा के बारे में बता दें कि वे वर्जिन गैलेक्टिक कंपनी के गवर्नमेंट अफेयर्स एंड रिसर्च ऑपरेशंस की उपाध्यक्ष के रूप में भी कार्यरत हैं। उन्हें इस पोस्ट के लिए 6 साल की कड़ी मेहनत करना पड़ी है। अभी की बात करें तो सिरिशा बांदला वर्जिन ऑर्बिट के वॉशिंगटन ऑपरेशंस का काम देख रही हैं। और जल्द ही वे मेक्सिको से विंग्ड रॉकेट शिप की उड़ान का अहम् हिस्सा बनने वाली हैं। फ़िलहाल सिरिशा ह्यूमन टेंडेड रिसर्च एक्सपीरिएंस की प्रभारी के रूप में भी दिखाई देने वाली हैं। अंतरिक्ष की सैर करने वाली सिरिशा बांदला बचपन से ही उड़ान भरने के लिए तत्पर थीं। बचपन से ही सिरिशा को अंतरिक्ष यात्री बनना और अंतरिक्ष की सैर पर जाना था।
यह चारों अंतरिक्ष यात्री भारत के रत्न हैं और हमेशा रहेंगे। यह हम सभी के लिए गौरव की बात है के हमने भारत में जन्म लिया। बहरहाल, हम यह कह सकते हैं कि अंतरिक्ष एक बार फिर इंसान के सपनों की नई मंजिल बन गया है और निजी कंपनियों के कारण मंजिल तक दौड़ तेज होने जा रही है। अब वह दिन ज्यादा दूर नहीं जब धरती पर एक से बढ़ कर एक मनोरम स्थलों के सैर-सपाटे की बातें पुरानी हो जाएंगी और लोग अंतरिक्ष भ्रमण का आनंद उठा सकेंगे।
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जय भारत
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