भारत में कुल 29 राज्य हैं और इन सभी राज्यों की अपनी अलग पहचान है जो एक दूसरे से एकदम अलग है। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में शुरू से ही सामुदायिक जीवन, कल्चर, धर्म और विभिन्न संस्कृतियों का बड़ा महत्व रहा है। नॉर्थ ईस्ट राज्यों में से एक राज्य सिक्किम है जहाँ का स्थानीय कल्चर देखने लायक है। किसी भी जगह की संस्कृति काफी हद तक उसकी लोकेशन पर तो निर्भर करती ही है लेकिन इसका सीधा असर वहाँ मनाए जाने वाले त्योहारों और पूजा-पाठ के तरीकों में भी देखा जा सकता है। सिक्किम में बंगाली से लेकर नेपाली लोग सभी मिल जुलकर रहते हैं और यही वजह है कि सिक्किम में कुछ ऐसे मंदिर हैं जो आपको अपनी अगली सिक्किम ट्रिप पर जरूर देख लेने चाहिए।
1. ठाकुरबाड़ी मंदिर, गंगतोक
गंगतोक के एमजी मार्ग पर स्थित ये मंदिर आपकी दूर से ही नजर आने लगेगा। चटख रंगों से सजा ये मंदिर देखने में बेहद खूबसूरत लगता है। 1935 में बना ये मंदिर सिक्किम के सबसे पुराने हिन्दू मंदिरों में से है जो चोज्ञाल द्वारा दान की गई भूमि पर बना हुआ है। मंदिर के ओरिजिनल ढाँचे के अलावा अब इस मंदिर का विस्तार भी कर दिया गया है। मंदिर की खास बात ये भी है कि इसमें हिन्दू धर्म में पूजे जाते लगभग सभी हिन्दू देवी और देवताओं की मूर्तियाँ रखी गईं हैं। सितंबर से अक्टूबर के समय इस मंदिर में दुर्गा पूजा मनाई जाती है जो बहुत मोहक दृश्य होता है। यदि आप सिक्किम के सबसे शानदार मंदिर को देखना चाहते हैं तो आपको ठाकुरबाड़ी मंदिर जरूर आना चाहिए।
2. कीरतेश्वर महादेव मंदिर, पेलिंग
लेगशिप जिले से निकलकर रंगीत नदी के तट पर बने इस मंदिर की जितनी तारीफ की जाए कम होगी। कीरतेश्वर महादेव मंदिर की बनावट बेहद यूनिक है। बाकी मंदिरों की तुलना में इस मंदिर का ढाँचा एकदम आधुनिक तरीके से बनाया गया है जो देखने में बहुत आकर्षक लगता है। इस मंदिर तक पहुँचने के लिए भक्तों को एक पुल पार करना होता है जिसके बाद आपको मंदिरों का समूह दिखाई देने लगेगा। मान्यताओं के मुताबिक ये वही जगह है जहाँ भगवान शिव ने अर्जुन के सामने प्रकट होकर युद्ध की शुरुआत करने का आदेश दिया था। सिक्किम की सुरम्य वादियों और झमाझम बहती रंगीत नदी के बीच बना ये मंदिर यकीनन आपकी सिक्किम ट्रेवल लिस्ट में शामिल होना चाहिए।
3. गणेश टोक-हनुमान टोक, गंगतोक
टोक शब्द का अर्थ होता है मंदिर। पहाड़ी के ऊपर लगभग 6,500 फीट की ऊँचाई पर स्थित गणेश टोक सिक्किम की देखने लायक जगहों में से है। वहीं हनुमान टोक 7,200 फीट की ऊँचाई पर है जिसकी देखभाल भारतीय सेना द्वारा की जाती है। इन दोनों मंदिरों तक पहुँचने के लिए आपको सीढ़ियों से होकर गुजरना होता है जिसके बाद आपको पहाड़ों का विहंगम नजारा दिखाई देने लगेगा। माना जाता है कि संजीवनी बूटी ले जाते समय भगवान हनुमान ने इसी जगह रुककर आराम किया था। जिसकी वजह से इस जगह का नाम हनुमान टोक पड़ गया है।
4. विश्व विनायक मंदिर, ईस्ट सिक्किम
सिक्किम के तमाम मंदिरों में इस मंदिर की पहचान एकदम अलग है। मंदिरों के अलावा यहाँ समुद्र मंथन का विवरण किया गया है जो हरे-भरे पहाड़ों के आगे बेहद खूबसूरत लगता है। सिक्किम में बढ़ी संख्या में नेपाली लोग रहते हैं जिनके अलग अलग धर्म और मान्यताएँ हैं। विश्व विनायक मंदिर में भी साल के अलग-अलग समय पर तमाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इनमें कुछ त्यौहार स्थानीय लोगों द्वारा भी मनाए जाते हैं। यदि आप सिक्किम यात्रा पर जाने के बारे में सोच रहे हैं तो उससे पहले आपको लोकल फेस्टिवल्स के बारे में जानकारी कर लेनी चाहिए।
5. पर्वतेश्वर शिवालय मंदिर, गंगतोक
गंगतोक से 60 किमी. दूरी पर बना ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यदि आप सावन के समय इस मंदिर में आएंगे तो आपको शिव भक्तों की भारी भीड़ देखने के लिए मिलेगी। शिव भक्तों के बीच इस मंदिर की काफी मान्यता है। अच्छी बात ये भी है कि इस मंदिर से एक छोटी ट्रेक करके आप मखिम दरा तक भी पहुँच सकते हैं। इस मंदिर के पास अरितर मठ भी है जो कर्मा काग्यू समुदाय से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर की सबसे आकर्षक चीजों में से एक इसका आर्किटेक्चर देखने लायक है। इस मंदिर में पूजा अर्चना करना आपको ज़रूर अच्छा लगेगा।
6. बाबा मंदिर
नाथू ला और जेलेप ला दर्रे के बीच में स्थित ये मंदिर सिक्किम के सबसे अनोखे मंदिरों में से है। 13,100 फीट की ऊँचाई पर बना ये मंदिर पंजाब रेजिमेंट के हरभजन सिंह को समर्पित है। अगर आप चाहें तो ट्सोंगो झील से नाथू ला पास की ओर जाते हुए इस मंदिर को देख सकते हैं। इस मंदिर से एक मार्मिक कहानी जुड़ी हुई है। असल में हरभजन सिंह अपने कार्यकाल के दौरान इसी जगह पर तैनात थे। लेकिन 1968 में खाई में गिरने की वजह से उनकी जान चली गई। माना जाता है कि उसके बाद हरभजन सिंह अपने सहकर्मी के सपने में आए थे और उन्होंने ठीक उसी जगह पर एक समाधि बनवाए जाने की इच्छा ज़ाहिर की थी। कहा ये भी जाता है कि रोज रात को एक सिख फौजी भारत और चीन की सीमा की पहरेदारी करता है।
7. सोलोफोक चारधाम, नामची
इस रंग-बिरंगे मंदिर को देखने में आपको समय लग सकता है। सोलोफोक चारधाम में हिन्दुओं के पवित्र चारों धाम - बद्रीनाथ, पूरी, द्वारका और रामेश्वरम का छोटा रूप बनाया गया है। इन चारों धामों के बीच में भगवान शिव की 87 फीट ऊँची प्रतिमा रखी गई है जो 108 फीट ऊँचे मंदिर पर विराजमान है। मंदिर के आसपास 12 ज्योतिर्लिंग के भी छोटे रूप बनाए गए हैं। इस मंदिर के प्रांगण में ठहरने के लिए होटल और खाने पीने के लिए कैफेटेरिया भी है। क्योंकि मंदिर का प्रांगण बड़ा है इसलिए यदि आपको चलने फिरने में परेशानी होती है तो आप बैटरी से चलने वाली गाड़ी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
8. शिरडी साईं मंदिर, असांथांग
नामची से कुछ किलोमीटर दूर स्थित सिक्किम का शिरडी साईं मंदिर किसी स्वर्ण दुनिया से कम नहीं है। इस दो मंजिला मंदिर के हर तल पर दो बड़े हॉल हैं। इस मंदिर में साईं बाबा की मार्बल से बनी मूर्ति रखी गई है जो देखने में बेहद प्यारी लगती है। मंदिर की दीवारों पर जगह-जगह पर साईं बाबा से जुड़ी तस्वीरें लगाईं गईं हैं। इस मंदिर में एक बड़ा हॉल भी है जिसमें समय समय पर कीर्तन भजन संध्या को आयोजन किया जाता है। मंदिर के बगीचे में नजदीक भगवान शिव और नंदी की खूबसूरत प्रतिमा है जहाँ आप प्रार्थना कर सकते हैं। हालांकि इस मंदिर में कोई एंट्री फीस नहीं रखी गई है लेकिन अच्छा होगा यदि आप निस्वार्थ भाव से मंदिर के रख-रखाव के लिए कुछ डोनेशन ज़रूर करें।
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