भारत का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है जिसे भारत के कोने कोने ने बड़े प्यार से संजोए रखा है।इस बात का प्रमाण यहां पर स्थित ऐतिहासिक इमारतें हैं जो आज भी उस समय की कहानी बयां करती है।वैसे तो भारत के लगभग हर राज्य का अपना इतिहास और धरोहर है,जो बड़े ही शान के साथ सीना ताने आज भी हमारे बीच खड़ा है।भारत के उत्तर प्रदेश में स्थित कुछ ऐसे ही खास ऐतिहासिक इमारतों के बारे में आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे जो इतिहास और वास्तुकला का एक उत्कृष्ठ उदाहरण है।जो हमें आज भी उस समय के संस्कृति और सभ्यता से अवगत कराते है।इन ऐतिहासिक इमारतों पर न सिर्फ भारत के बल्कि विदेशों से भी काफी संख्या में पर्यटक आते है।तो आइए जानते है इन खूबसूरत किलो के बारे में जो आज भी हमारी संस्कृति और सभ्यता को संजोए बहुत ही शान से खड़ा है।
आगरा का किला
मुगलों द्वारा निर्मित इस किले को मुगल शासक अकबर ने 1565 में बनवाया था।लाल बलुआ पत्थर से बने इस खूबसूरत किले को लाल किला के नाम से भी जाना जाता है।यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल होने के नाते इस किले को देखने हर साल लाखो देशी और विदेशी पर्यटक यहां आते है।आगरा में स्थित यह यह किला मुगल वास्तुकला का एक उत्कृष्ठ उदाहरण है।ताजमहल के बाद यह आगरा में देखे जाने वाले दूसरा सबसे पसंदीदा पर्यटक स्थल है।
झांसी का किला
झांसी के इस किले का निर्माण 1613 में ओरछा के राजा बीर सिंह के द्वारा कराया गया था।यह किला झांसी की रानी लक्ष्मी बाई को समर्पित है।यह किला उनके गौरव गाथा की कहानी बयां करती है।यह किला एक विशाल ग्रेनाइट दीवार से घिरा हुआ जो इसकी चहारदीवारी कहलाता हैं। इस दीवार में दस दरवाज़े हैं जोकि किसी राजा या राज्य के ऐतिहासिक स्थान के नाम पर रखा गया है।जिसे पर्यटक चाँद द्वार, दतिया दरवाज़ा, झरना द्वार, लक्ष्मी द्वार, ओरछा द्वार, सागर द्वार, उन्नाव द्वार, खंडेराव द्वार और सैनयार द्वार के नाम देख सकते हैं।यह किला भारत की स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा भी रह चुका है, सन 1857 के भारत के स्वतंत्रता संग्राम का यह किला केंद्र था। हर वर्ष लाखो पर्यटक इस ऐतिहासिक किले को देखने आते है।
फतेहपुर सीकरी किला
फतेहपुर सीकरी किले का निर्माण मुगल बादशाह अकबर के द्वारा 16वी शताब्दी में किया गया था।यह किला मुगल शिल्पकला का एक बेहतरीन उदाहरण है।कहा जाता है की फतेहपुर सीकरी की मस्जिद मक्का के मस्जिद से बिल्कुल मिलती जुलती है।मस्जिद का प्रवेश द्वार 54मीटर ऊँचा है जिसे बुलंद दरवाजा के नाम से जाना जाता है।आपको बता दें कि यह किला भी अब यूनेस्को की विश्व विरासत स्थलों में से एक है।आप यहां आंख मिचौली, दीवान-ए-खास, बुलंद दरवाजा, पांच महल, ख्वाबगाह, अनूप तालाब जैसे स्मारकों को देख सकते है।
कुचेसर किला
18वीं शताब्दी का यह किला कभी मुगलों और अंग्रेजो के अधीन हुआ करता था।जो बाद में अजीत सिंघ के परिवार को दान कर दी गई थी और तब से यह उनकी पैतृक संपत्ति है।सन् 1734 में निर्मित यह किला चारों ओर से लगभग 100 एकड़ में आम के बागों से घिरा हुआ है। यह पैलेस कुचेसर में
राव राज विलास के नाम से भी जाना है।कुचेसर में अजीत सिंह की रियासत हुआ करती थी और यह किला उनकी रियासत का हिस्सा थी,आज भी यह उस रियासत का प्रमाण है।इस किले की बनावट में आपको मुगल काल की झलक दिखाई देगी। आज यह पैलेस कुचेसर में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।
चुनार का किला
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चुनार किले का निर्माण हजारों वर्ष पहले हुआ था।इस किले का जीर्णोद्धार उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने कराया था।कहा जाता है की राजा विक्रमादित्य ने इसका निर्माण अपने भाई भर्तृहरि के लिए किया था।भगवान विष्णु के वामन अवतार जैसे पौराणिक कथाओं का संबंध भी इस किले से बताया जाता है।यह ऐतिहासिक दुर्ग इतिहास के साथ ही साथ हिंदू संस्कृति और सभ्यता का भी साक्षी है।कई भारतीय प्राचीन साहित्य में इसका चरणाद्रि, नैनागढ़ आदि नामों से उल्लेख मिलता है।इस किले के अंदर 52 खंभों की छतरी और सूर्य की एक घड़ी भी बनी हुई है ।
अलीगढ़ किला
16वीं सदी में बने इस किले का निर्माण इब्राहिम इब्राहिम लोधी के दरबार में तत्कालीन पीठासीन गवर्नर के बेटे ने कराया था।यह भारत के सबसे मजबूत किलो में से एक है।इसकी वास्तुकला और बनावट में आपको भारतीय और फ्रांसीसी शैली का अद्भुत मेल देखने को मिलेगा। यह किला बहुभुजाकार आकृति की तरह है और इसके चारों ओर आपको बहुत गहरी खाई दिखाई देगी।यह किला अब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विशेष विभाग वनस्पति विज्ञान विभाग के नियंत्रण में है।भीतरी आंगन में एक वनस्पति उद्यान और अन्य बागानों की किस्में है जिससे वहां विद्यार्थियों को पढ़ाया जाता है।
रामनगर किला
वाराणसी के गंगा नदी पर स्थित रामनगर फोर्ट का निर्माण 1750 में राजा बलवंत सिंह द्वारा किया गया था।यह किला उस समय काशी नरेश का निवास स्थान हुआ करता था।यह किला मुगल कालीन वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है जिसका निर्माण चुनार के बलुआ पत्थरों से किया गया है। वर्तमान में इसके संग्रहालय में आपको बहुत से ऐसे चीज़े देखने को मिलेंगी जो उस समय के इतिहास का साक्षी है।
बटलर पैलेस
लखनऊ में स्थित इस खूबसूरत पैलेस का निर्माण 1915 में अवध के उपायुक्त सर हरकोर्ट बटलर ने किया था। उस समय इस पैलेस का प्रयोग बटलर के निवास स्थान के रूप में किया जाता था।गोमती नदी के किनारे पर बसा यह भव्य महल देखने में काफी आकर्षक लगता है। उस समय गोमती नदी में बढ़ के कारण इसके तीन बड़ी इमारतों का काम पूरा नहीं हो पाया और वो आज तक अधूरा ही रह गया।
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