काशी, जो भारतीय संस्कृति की गहन धारणा है, अपने पवित्रता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह सभी धर्मों के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है और उन्हें आध्यात्मिकता के साथ जोड़ता है। काशी के मंदिर संस्कृति, विविधता, और भक्ति की झलकियां प्रस्तुत करते हैं। इन मंदिरों में भगवान के पूजारी, संत और यात्री आत्मा को शांति और प्रेरणा प्राप्त करते हैं। काशी में प्रत्येक मंदिर का अपना एक विशिष्ट स्थान है। ज्ञान की देवी सरस्वती का एक ऐसा मंदिर है, जो अपने आप में अनूठा है। यह उत्तर भारत का एक मात्र मंदिर जहां मां सरस्वती द्वादश रूपों में स्थित हैं।
वाग्देवी मंदिर, वाराणसी में स्थित है और यह मां वाग्देवी को समर्पित है। यह एक प्रमुख धार्मिक स्थल है जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। मंदिर की विशेषता में उसका स्थान है, जो गंगा के किनारे पर है, और उसकी शांति और स्थिरता वातावरण में एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है।
वाग्देवी मंदिर के प्रभारी व सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वेद विभाग के प्रो० महेन्द्र पांडेय ने बताया कि 8 अप्रैल 1988 में इस मंदिर के निर्माण को लेकर मुहर लगी। जिसके बाद पूर्व कुलपति प्रो० मंडन मिश्र के काल में यह बनकर तैयार हो गया। 18 फरवरी 1989 में इसकी आधारशिला रखी गई। 27 मई 1998 को वाग्देवी मंदिर बनकर तैयार हो गया और इसका उद्घाटन हुआ। इस मंदिर का निर्माण मां वाग्देवी को समर्पित किया गया था, जो मां दुर्गा का एक रूप हैं। इसका निर्माण गंगा के किनारे पर हुआ था, जिससे इसका स्थान और भी महत्वपूर्ण हो गया। यहां के परिसर में कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हैं और धार्मिक गतिविधियां होती हैं। धार्मिक मान्यता में, इस मंदिर को मां वाग्देवी की कृपा के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है और श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के दक्षिणी गेट से प्रवेश करते ही वाग्देवी का अनूठा मंदिर स्थापित है। शहर के बीचो-बीच संपूर्णानंद संस्कृत विवि में स्थित यह मंदिर विद्यार्थियों के बीच विशेष आस्था का केंद्र है। इसकी स्थापत्य कला बेजोड़ है जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। वाग्देवी मंदिर की वास्तुकला भारतीय स्थापत्यकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इस मंदिर का निर्माण भारतीय स्थापत्यकला के प्रमुख तत्वों को ध्यान में रखकर किया गया है। इसमें ज्यादातर स्थलीय शैली का उपयोग किया गया है, जो काशी के स्थानीय परंपरागत शैलियों को दर्शाता है।
मंदिर के गर्भगृह में काले पत्थर की मां वाग्देवी की मूर्ति प्रतिष्ठापित है। यहां पर रोज प्रात:काल व सायंकाल आरती व पूजन होता है। बताया जाता है कि यह मूर्ति तमिलनाडु से मंगाई गई थी। इसके अलावा मंदिर की शैली भी दक्षिण भारत की ही तरह है। दक्षिणा शैली में मंदिर बना हुआ है। मंदिर में वाग्देवी के द्वादश विग्रह इस मंदिर में द्वादश सरस्वती के विग्रह हैं जो अपने आप में उत्तर भारत में कहीं अन्य नहीं है। इन द्वादश विग्रहों के अलग-अलग नाम भी हैं। इनमें भारती देवी, सुमंगला देवी, विद्याधरी देवी, तुम्बरी देवी, सारंगी देवी, विजया देवी, जया देवी, सरस्वती देवी, कमलाक्षी देवी, शारदा देवी, श्रीदेवी हैं।
तो अगर आज भी अपना अगला ट्रिप काशी का प्लान कर रहे हैं तो यहां जाना ना भूलें।
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