यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल हुआ तेलंगाना का यह शिवालय ,इसकी मजबूती पर वैज्ञानिक भी हैं हैरान

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Photo of यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल हुआ तेलंगाना का यह शिवालय ,इसकी मजबूती पर वैज्ञानिक भी हैं हैरान by Rishabh Bharawa

सम्पूर्ण भारत एवं मुख्य रूप से तेलंगाना के लिए गर्व की बात यह हैं कि 25 जुलाई 2021 को देश की 39वी यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट की घोषणा हुई हैं,जिसके बारे में खुद प्रधानमंत्री मोदी जी ने ट्वीट कर देशवासियों को बधाई दी।वर्ल्ड हेरिटेज साइट की यह उपाधि तेलंगाना के वारंगल के पालमपेट गाँव में स्थित काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर को मिली हैं।काकतीय वंश के दौरान बने इस मंदिर से जुडी कई बाते वैज्ञानिकों को भी हैरान किये हुए हैं।काकतीय वंश के लोगो के बारे में कहा जाता हैं कि इन्होने ही कोहिनूर हीरे को सबसे पहले ढूंढा था। चलो जानते हैं कि क्या विशेषताएं इस मंदिर की रही जिनकी वजह से इसे अब दुनिया भर में जाना जाने लगा हैं -

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इसकी छत के पत्थर तैरते हैं पानी में :

13वी सदी में इस मंदिर के अलावा आस पास कई और मंदिर इसके साथ बने थे। वक्त के साथ साथ एवं प्राकृतिक आपदाओं के कारण अन्य मंदिर तो खंडहर होते गए लेकिन ये मंदिर अभी तक जस का तस खड़ा हैं। इसकी वजह से इस मंदिर के पत्थरों पर शोध करवाया गया जिस से यह पता चला कि 800 साल पुराने इस शिव मंदिर के छत ऐसी मेटेरियल से बनी हुई हैं जिसे अगर पानी में रखो तो वो डूबने के बजाय ,पानी में तैरने लगती हैं।ये पत्थर सामान्य पत्थरों से हलके होने के बावजूद भी इस मंदिर को इतनी मजबूती कैसे दिए हुए हैं ,इस बात पर अभी शोध जारी हैं।

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देश का इकलौता मंदिर जिसका नाम इसके शिल्पकार के नाम पर पड़ा :

यह मंदिर राजा गणपतिदेव के सेनापति ने बनवाया था ,जिनका सपना था कि यहाँ भगवान शिव को समर्पित एक मजबूत मंदिर बने। उन्होंने इसके लिए एक शिल्पकार नियुक्त किया। मंदिर से जुडी ,शिल्पकार की कलाकृति उन्हें इतनी पसंद आयी कि उन्होंने इसी शिल्पकार 'रामप्पा' के नाम पर ही इस मंदिर का नाम रामप्पा मंदिर रख दिया। माना जाता हैं देश का यह ऐसा इकलौता मंदिर हैं जिसका नामकरण भगवान् के नाम पर ना होकर अपने शिल्पकार के नाम पर हैं।

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यहाँ की मूर्तियों से मिलती हैं यह अनोखी जानकारी :

यह मंदिर पूरा लाल पत्थर से एवं अंदर की सभी मुर्तिया काले ग्रेनाइट से बनी हुई हैं। इन काले रंग की मूर्तियों मे मुख्य मूर्तियां कुछ महिलाओ की मूर्तियां हैं जो कि अचरज करने वाली जानकारी देती हैं। इन मूर्तियों में औरतों की चप्पल भी हील वाली बनी हुई हैं। यह हील केवल पिछले भाग पर न होकर पूरी चप्पल पर हैं। इस से उस समय के फैशन की जानकारी का अंदाजा लगाया जा रहा हैं। मंदिर के प्रवेश पर बनी एक बांसुरी ,जिसमे कुछ छेद हैं ,उस से उस समय के संगीत-प्रचलन की जानकारी भी निकाली जा रही हैं। यह मंदिर 6 फ़ीट के एक मंच पर खड़ा हैं।

ऐसे होता हैं वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स का चुनाव :

वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स के चयन के लिए वर्ल्ड हेरिटेज साइट कमेटी बनी हुई हैं जिसमे कुल 21 देशों को अस्थायी सदस्य्ता दी जाती हैं। एक देश को ज्यादा से ज्यादा 6 साल के लिए इस कमेटी में सदस्य रखा जाता हैं उसके बाद उस देश की जगह दूसरे देश को लिया जाता हैं। इस बार भारत इसका सदस्य नहीं था। इन 21 देशों को चुनी हुई साइट के लिए वोट करना होता हैं। रामप्पा मंदिर के लिए 21 देश में से 17 देशों ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट के लिए वोट देकर समर्थन जताया ,जिनमे चीन ,थाईलैंड ,ब्राजील ,रूस आदि देश शामिल थे और इस तरह इस मंदिर को वर्ल्ड हेरिटेज चुना गया। इसकी जानकारी के लिए मोदी जी ने ट्वीट किया -''उत्कृष्ट ! सभी को बधाई, खासकर तेलंगाना की जनता को। प्रतिष्ठित रामप्पा मंदिर महान काकतिया वंश के उत्कृष्ट शिल्प कौशल को प्रदर्शित करता हैं। मैं आप सभी से इस शानदार मंदिर के परिसर में जाने एवं इसकी भव्यता का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करने का आग्रह करता हूं।''

जल्दी ही इस मंदिर के रखरखाव के लिए एक कमेटी बनायीं जायेगी और टूरिज्म के लिए इस जगह को विकसित किया जायेगा।

आशा हैं यह जानकारी आपको पसंद आएगी।

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