भारत के सबसे उत्तर-पूर्वी छोर पर स्थित अरुणाचल सैलानियों में अपनी खासियतों की वजह से बेहद मशहूर है। हिमालय के खूबसूरत दृश्यों से भरा यह प्रदेश उगते सूरज को सबसे पहले सलाम करता है। भूटान, तिब्बत और म्यांमार की सीमाओं को छूता अरुणाचल घुमक्कड़ों के लिए अनेक नगीनों को छुपाकर रखे हुए है। यहाँ आने वाले पर्यटक इसके लोकप्रिय जगहों पर जाकर अपनी छुट्टियाँ बिताते हैं और फिर वापस आ जाते हैं। मुझे हमेशा ऐसी जगह की तलाश रहती है जहाँ आने वाले लोगों की संख्या कम हो और सुकून ही सुकून हो!
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हिडन पैराडाइज
स्तूप के डिजाइन में बना हुआ यह युद्ध स्मारक उन शहीदों को समर्पित किया गया है जो 1962 में चीन से लड़ते हुए दिवंगत हुए थे। प्रकृति की गोद में अवस्थित यह युद्ध स्मारक नामग्याल चोरटेन के नाम से भी जाना जाता है। इस स्मारक पर आप लगभग 2420 शहीदों के अंकित नाम देख सकते हैं।
कब और कैसे पहुँचें
तवांग घूमने के लिए मॉनसून का समय सबसे बेस्ट होता है। इस समय तापमान भी ठीकठाक होता है और आप ज्यादा से ज्यादा जगहों पर घूम पाते हैं। वैसे आप अपनी यात्रा मार्च से अक्टूबर के बीच कभी भी प्लान कर सकते है।
अरुणाचल प्रदेश का तवांग पर्यटन के लिए मशहूर जगहों के बीच सुकून भरे प्राकृतिक सौन्दर्य को निहारने के लिए बेहद बेहतरीन जगह है! इसके बारे में अधिक जानकारी देने से पहले बता दूँ कि तवांग को घुमक्कड़ ‘हिडन पैराडाइज’ यानि छिपी हुई जन्नत भी कहते हैं। राज्य के उत्तर-पश्चिम में तिब्बत और भूटान से लगे तवांग को प्रकृति ने बड़े मन से सजाया है। पर्वतीय चोटियाँ, चमकती झील और हिमालयी खूबसूरती से लबालब तवांग के लोग आज भी बड़ा ही मौलिक जीवन जीते हैं। यहाँ के लोग कृषि और पशुपालन में आज भी उतने ही रमे हुए हैं जितने कि उनके पूर्वज रहे होंगे। यहाँ के लोग पत्थर पर बांस-लकड़ियों से बने घरों में रहते हैं। कई पर्यटकों के लिए उन्हें नज़दीक से देखना रोमांचक होता है।
तवांग के बौद्ध मठ भी दुनियाभर के सैलानियों को आकर्षित करते रहे हैं। बता दें कि यहाँ का तवांग मठ एशिया का सबसे बड़ा बौद्ध मठ है। जाहिर है बौद्ध धर्म के अलावे भी इतिहास में इंटरेस्ट रखने वालों के लिए ये जगह महत्वपूर्ण हो जाती है। जानकारी हो कि 17वीं शताब्दी में मेराक लामा लोड्रे ग्यात्सो ने समुद्र तल से 10,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित पहाड़ी पर इस मठ का निर्माण करावाया था। दूर से ये मठ किसी किले जैसा लगता रहता है जो कि बहुत ही विशाल है। बताया जाता है कि यहाँ एक साथ लगभग 700 बौद्ध भिक्षु ठहर सकते हैं।
प्रकृति प्रेमियों को आसपास स्थित कई छोटी नदियाँ आकर्षित करती हैं तो मठ से त्वांग-चू घाटी की खूबसूरती देखते ही बनती है। दिलचस्प बात है कि इस विशाल मठ के प्रवेश द्वार ऐसा दिखता है कि कोई झोपड़ी हो। लेकिन जैसे ही आप प्रवेश करते हैं, आश्चर्य की सीमा नहीं रहती है। मठ के प्रवेश द्वार को काकालिंग के नाम से जाना जाता है। मठ में जल की आपूर्ति करने वाली जलधारा भी देखने स्थान है जो कि मठ के पास ही मौजूद है।
सेला और बॉमडिला दर्रा
तवांग जाने वाले लोग इन दो दर्रों को जरूर देखते हैं। ऊँचाई पर स्थित ये दर्रे बेहद दुर्गम हैं और सालभर इन्हें नहीं देखा जा सकता। सर्दियों के दौरान झीलें जम जाती हैं। हालांकि यहाँ अधिक से अधिक पर्यटक आने की इच्छा रखते हैं। आसपास की सुन्दरता तमाम मुश्किलों के बावजूद आपको सुकून देती हैं।
माधुरी दीक्षित झील
चौंक गए ना! तवांग की यात्रा पर हों तो सांगेसर झील देखने ज़रूर जाएँ। तवांग से 20 कि.मी. दूर स्थित इस झील को माधुरी दीक्षित झील भी कहा जाता है। ये झील प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है जहाँ माधुरी दीक्षित की एक फिल्म के गाने को शूट किया गया था। अपनी प्राकृतिक छटा के लिए जाना जाने वाला ये झील तभी से माधुरी लेक के नाम से मशहूर हो गया।
नूरानांग नदी और झरना
नूरानांग के बारे में एक दिलचस्प बात ये है कि इसे एक स्थानीय महिला 'नूरा' के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि 1962 में इस महिला ने भारत-चीन युद्ध के वक्त फ़ौज की खूब मदद की थी। आप जल विद्युत स्टेशन से इस जगह को देख सकते हैं। नदी और झरना देखने के बाद आप सामरिक महत्व के स्थल जसवंत गढ़ भी जा सकते हैं। यहाँ चीनी सेना ने अपनी स्मृति को संजोया है।
तवांग पहुँचने के लिए अन्य नार्थ-ईस्ट डेस्टिनेशन की तरह ही गुवाहाटी से होकर जाना होता है। आइए यहां जानते हैं कि हम इस यात्रा के लिए कहां से क्या ले सकते हैं:
हवाई मार्ग द्वारा: निकटतम हवाई अड्डा गुवाहाटी में है, जो कि तवांग से 480 कि.मी. की दूरी पर मौजूद है। यहाँ से आप बस या फिर टैक्सी लेकर तवांग पहुँच सकते हैं।
रेल मार्ग द्वारा: तवांग का निकटतम रेलवे स्टेशन गुवाहाटी ही है। देश के सभी प्रमुख शहरों से गुवाहाटी अच्छी तरह रेल मार्ग से कनेक्टेड है। आप यहाँ से कोई टैक्सी या बस लेकर तवांग पहुँच सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा: तवांग गुवाहाटी, तेजपुर जैसे शहरों से सड़क मार्ग से कनेक्टेड है। असम के कई शहरों से तवांग के लिए बसें मिलती हैं। आप निजी टैक्सी से भी तवांग की ओर रुख कर सकते हैं।
फिर देर किस बात की? सोलो ट्रिप पर जाना हो या फिर पार्टनर या फैमिली के साथ, तवांग एक बेहतरीन माहौल उपलब्ध कराता है!
आप भी अगर किसी छुपे हुए बेहतरीन जगहों की जानकारी रखते हैं तो यहाँ ज़रूर शेयर करें।
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