रोमांच और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है कोंकण का ये हिस्सा! तारकरली घूमो और खुद जान जाओ

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हम अक्सर सोचते हैं कि जहाँ सब जा रहे हैं वहाँ मुझे भी जाना चाहिए। लेकिन असल बात ये है कि अगर आप भी वहीं जाएंगे जहाँ सब जा रहे हैं फिर आप दूसरों से अलग कैसे बनेंगे? एक घुमक्कड़ को हमेशा ऐसी जगहों की यात्रा करनी चाहिए जो सिर्फ उसके लिए ही नहीं बल्कि उसके आसपास के लोगों के लिए भी नई हो। इसी ऑफबीट घुमक्कड़ी और उसके दौरान मिले अनुभवों से आपकी पहचान की जाएगी। खैर अगर ट्रॉपिकल वेकेशन की बात करें तो सबसे पहले हमारे दिमाग में गोवा, पांडिचेरी जैसी जगहों का ख्याल आता है। इसके आगे अगर सोचा जाए तो कुछ लोग गोकर्ण और मुल्की तक पहुँच जाएंगे। लेकिन इसके बाद भी कुछ हिस्से ऐसे हैं जो लोगों की नजरों से छूट जाते हैं। इन जगहों पर बेहिसाब खूबसूरती बसती है। उसकी एक वजह ये भी है कि इन जगहों पर अभी टूरिस्टों का मेला नहीं लगा रहता है। इसलिए आप जब भी ऐसी किसी जगह पर जाएं जहाँ नेचर अब भी बरकरार है तो आपको जिम्मेदारी के साथ घूमना चाहिए।

तारकरली

अरब महासागर के तट पर बसा ये छोटा-सा गाँव महाराष्ट्र के पश्चिमी हिस्से में है। इस गाँव की पहचान यहाँ के साफ समुद्री किनारे, बीच पर बिखरी सफेद रेत और अच्छे स्वभाव वाले स्थानीय लोग हैं जिनको इस जगह की शान भी कहा का सकता है। मुंबई वालों के बीच खास लोकप्रिय हो रही इस जगह पर आपको वो सबकुछ मिलता है जो आपको किसी फेमस बीच डेस्टिनेशन पर मिलेगा। चाहे वो एडवेंचर स्पोर्ट्स हो या बढ़िया सीफूड, तारकरली में बिताया हुआ हर एक दिन आपके लिए खास होगा। इस शांत और खूबसूरत जगह के दक्षिण में तारकरली नदी बहती है जो घने जंगलों के बीच से होकर निकलती है। अगर आपको बैकवॉटर्स के लिए सिर्फ केरल का नाम ही पता है तब आपको तारकरली के करली बैकवॉटर्स में बोट राइड का मजा उठाना चाहिए। अगर आपको इतिहास में रुचि है तो उसके लिए भी यहाँ पूरा इंतजाम है। कुल मिलाकर तारकरली में आपको वो सब कुछ मिलेगा जो एक परफेक्ट वेकेशन के लिए चाहिए होता है।

क्या देखें?

आकर्षक समुद्री किनारों वाली इस जगह पर प्राकृतिक सुंदरता का खजाना है। तारकरली की खास बात है यहाँ आप कई सारे रोमांचक खेलों में हिस्सा भी ले सकते हैं। तारकरली में घूमने के लिए बहुत सारी जगहें हैं जिसकी वजह से सालभर इस जगह पर लोगों की खूब भीड़ रहती है।

1. सिंधुदुर्ग किला

मालवन के समृद्ध इतिहास की यादों को ताजा करने वाला सिंधुदुर्ग किला अरब सागर के द्वीप पर बना हुआ है। इस किले का निर्माण शिवाजी महाराज के शासन के दौरान करवाया गया था जिसकी वजह से इस किले को मराठा वीरता का प्रतीक भी माना जाता है। कहा जाता है इस किले को 1656 के आसपास बनवाया गया था और इसको बनकर तैयार होने में 3 साल से भी ज्यादा का समय लगा था। अगर आप देश के सबसे आकर्षक किलों की सूची बनाएंगे जो समुद्री किनारों पर स्थित हैं तो उसमें इस किले का नाम आना बिल्कुल तय है। उस समय इस किले को आर्किटेक्चर का सबसे बेहतरीन नमूना माना जाता था। इस किले की सटीक बनावट और मजबूत दीवारें मराठा साम्राज्य को दुश्मनों से बचाने का काम करती थीं। इसी वजह से किले को महाराष्ट्र में मराठा शासन के दौरान बनाई गई सबसे शानदार संरचनाओं में से एक कहा जाता है। अरब सागर के विहंगम नजारों से सजे इस किले को आपको जरूर देख लेना चाहिए।

2. तारकरली बीच

अगर आपने इस बीच को नहीं देखा फिर आपकी तारकरली की यात्रा अधूरी रह जाएगी। इस पूरी बीच पर आपको सफेद रेत दिखाई देगी जिसकी वजह से इस बीच की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। ये एक ऐसी बीच है जहाँ का शांतिपूर्ण माहौल और मन मोह लेने नजारे आपको खूब पसंद आएंगे। चाहे आप परिवार के साथ तारकरली की सैर करने आ रहे हों या अपने दोस्तों और पार्टनर के साथ, तारकरली बीच आपकी लिस्ट में जरूर होनी चाहिए। इस बीच पर आकार आपको किसी रेतीले स्वर्ग जैसा एहसास होगा। समुद्र की लहरों और कोमल हवाओं का मजा लेने के लिए ये बिल्कुल परफेक्ट जगह है।

3. स्कूबा डाइविंग और स्नॉर्केलिंग करें

क्या आप जानते हैं महाराष्ट्र के मालवन में तारकरली अकेली ऐसी जगह है जहाँ आप समुंदर में गोता लगाकर नीचे बसी दुनिया की खूबसूरती देख सकते हैं? अगर आप नहीं जानते हैं तो अब जान लीजिए। तारकरली बीच पर आप स्कूबा डाइविंग और स्नॉर्केलिंग करके समुद्री जीवन की जादुई दुनिया देख सकते हैं। कोंकण कोस्टलाइन पर स्थित और अरब महासागर से घिरी ये जगह कई तरह के समुद्री जीव जंतुओं का घर है। तारकरली के साफ पानी और सुखद लहरों की गहराई में जाकर विभिन्न तरह के कोरल और मछलियों को देखना आपको जरूर पसंद आएगा। क्योंकि स्नॉर्केलिंग में पानी की गहराई भी कम होती है इसलिए अगर आप बच्चों के साथ यात्रा कर रहे हैं तो उसमें भी कोई परेशानी नहीं आएगी।

4. आचरा बीच पर डॉल्फिन देखें

तारकरली की आचरा बीच उन लोकप्रिय जगहों में से है जहाँ आप डॉल्फिन देखने का आनंद ले सकते हैं। अच्छी बात ये है कि आचरा बीच पर आपको डॉल्फिन देखने के लिए ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है। आप आसानी से इन्हें पानी में तैरते हुए देख सकते हैं। सुखद वातावरण, कोमल लहरों और कम छेड़छाड़ वाली ये बीच डॉल्फिनों की बड़ी संख्या का घर है। इसलिए आप जब भी तारकरली जाने का प्लान बनाएं, आचरा बीच से बोट लेकर समुद्र में डॉल्फिन देखना बिल्कुल ना भूलें।

5. देवबाग

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देवबाग का मतलब होता है भगवान का बगीचा। असल में ये वो गाँव है जहाँ तारकरली का मछुआरा समुदाय रहता है। इस गाँव में आकर आप तारकरली के लोगों की रोजमर्रा वाली जिंदगी देख सकते हैं। अगर आप स्थानीय लोगों के जीवन से रूबरू होना चाहते हैं तब आपको देवबाग आना चाहिए। क्योंकि इस इलाके की लगभग पूरी आबादी मछुआरों से बनी हुई है इसलिए यहाँ आपको नाव मिलने में भी कोई परेशानी नहीं होगी। यहाँ के मछुआरे अपनी नवों को पर्यटकों को सैर-सपाटे के लिए किराए पर देते हैं। इसके अलावा अगर आपको बर्डवॉचिंग करने में रुचि है तो आपको ये जगह जन्नत जैसी लगेगी। देवबाग में आप तरह-तरह के पंछियों को देख सकते हैं जिसमें प्रवासी और स्थानीय पक्षी दोनों शामिल हैं। ये जगह तारकरली से केवल 15 मिनट ही दूर है इसलिए यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है।

इसके अलावा आप तारकरली में सुनामी आइलैंड, धामपुर झील, श्रीशिव छत्रपति मंदिर, कोलंब बीच और पदमगढ़ किला भी देख सकते हैं।

कब जाएँ?

तारकरली आने के लिए आपको किसी निश्चित समय का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। इस जगह का माहौल सालभर अच्छा रहता है इसलिए आप जब चाहें यहाँ आने का प्लान बना सकते हैं। अगर आप तारकरली आने के लिए सबसे अच्छा समय चुनना चाहते हैं तब आपको ठंड के मौसम में यहाँ आना चाहिए। अक्टूबर से मार्च के बीच तारकरली आना सबसे बढ़िया रहेगा। लेकिन इस समय तारकरली आने वाले लोगों की संख्या बहुत बढ़ जाती है इसलिए आपको भीड़ मिलने की पूरी संभावनाएँ हैं। इसके अलावा आप चाहें तो बारिश के समय भी यहाँ आ सकते हैं। हालांकि बारिश की वजह से आपके घूमने के प्लान में दिक्कतें आ सकती हैं। अगर आप गर्मियों के मौसम में यहाँ आना चाहते हैं तो आपको थोड़ा सोच लेना चाहिए। चिलचिलाती धूप और तेज उमस की वजह से आपके सारे प्लान खराब हो सकते हैं।

कैसे पहुँचें?

तारकरली आने के लिए आपको थोड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है। यहाँ ना तो कोई एयरपोर्ट है और ना ही कोई रेलवे स्टेशन इसलिए अगर आप तारकरली आने का प्लान बना रहे हैं तो सबसे अच्छा होगा कि सड़क के रास्ते यहाँ पहुँचा जाए। लेकिन अगर आप चाहें तो तारकरली के नजदीकी हवाईअड्डों और ट्रेन स्टेशनों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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श्रेय: इंडिया रेल इन्फो।

फ्लाइट से: तारकरली में कोई एयरपोर्ट नहीं है। लेकिन अगर आप फ्लाइट से आना चाहते हैं तो आपको गोवा के दबोलिम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आना चाहिए। ये तारकरली से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है जो लगभग 80 किमी. की दूरी पर है। एयरपोर्ट से आपको आसानी से प्राइवेट टैक्सी या कैब मिल जाएगी जिससे आप 2 घंटों का सफर करके तारकरली आ सकते हैं। इसके अलावा आप कोल्हापुर एयरपोर्ट से भी तारकरली पहुँच सकते हैं जो 115 किमी. दूर है।

ट्रेन से: ट्रेन से आने के लिए सबसे नजदीकी स्टेशन कुडाल स्टेशन है जो तारकरली से 45 किमी. की दूरी पर है। कुडाल स्टेशन देश के बाकी शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है इसलिए आपको कोई परेशानी नहीं होगी। मुंबई, पुणे और गोवा से ट्रेन लेकर आसानी से कुडाल पहुँचा जा सकता है। कोंकण एक्सप्रेस और मंडोवी एक्सप्रेस दो मुख्य ट्रेनें हैं जिनसे आप कुडाल पहुँच सकते हैं।

रोड से: तारकरली में कोई बस अड्डा नहीं है इसलिए आपको प्राइवेट बसों से तारकरली आना होगा। अगर आप सरकारी बस से आना चाहते हैं तब आप मालवन तक सीधी बस ले सकते हैं जो तारकरली से केवल 6 किमी. की दूरी पर है। मालवन पहुँचने के लिए आपको कोल्हापुर, सांगली, कुडाल और रत्नागिरी से आसानी से बसें मिल जाएंगी।

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