अभी कुछ महीने पहले आगरा में एक दोस्त की शादी थी। यूँ तो मैनें बचपन में ही ताज महल देख लिया था, मगर देश में उठ रहे विवादों के कारण मैं एक बार फिर ताज महल देखने निकल गया।
विवाद ये है कि आज देश के करोड़ों लोग ताज महल को मुस्लिम मकबरा मानने से इंकार कर रहे हैं और वैदिक काल का शिव मंदिर बताते हैं।
ये लोग कहते हैं कि ताज-महल का नाम असल में तेजो महालय है, जो वैदिक काल में काफी जाना-माना शिव मंदिर हुआ करता था। इन बातों को गहराई से जानने के लिए मैनें पी.एन.ओक की "ताज महल: द ट्रू स्टोरी" डाउनलोड कर ली।
रात को दोस्त फेरों में अपनी मुमताज़ का हाथ थामे वचन दोहरा रहा था और मेरे हाथ में ये किताब थी, जिसमें मुमताज़ और ताज दोनों के बारे में ऐसी-ऐसी बातें लिखी थी, जिसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया। वैसे तो किताब में 100 से ज़्यादा बातें बतायी हुई थी, मगर आपके वक़्त की कदर करते हुए मैं यहाँ सिर्फ उन 7 बातों के बारे में बताऊंगा, जिन पर विचार किया जा सकता है।
1. कहते हैं कि ताज महल को शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज़ महल की याद में बनवाया था। किताब में लिखा था कि मुमताज़ का पूरा नाम मुमताज़ महल नहीं, बल्कि मुमताज़-उल-ज़मानी था। ऐसे में 22 साल की मेहनत और अंधे पैसे लगवाकर बनवायी इस इमारत का नाम मुमताज़ के नाम पर मुमताज़ महल क्यों नहीं रखा गया ? जिसकी याद में ये बड़ा सा खूबसूरत ढांचा बनवाया, उसी के नाम के साथ शाहजहां ने खिलवाड़ कैसे कर दिया ?
2. मिस्टर ओक अपनी किताब में ये भी बताते हैं कि 20 हज़ार मज़दूरों ने 22 साल में ताज महल बनाया था। इन मज़दूरों के वेतन, और महल में लगे मार्बल में हुए खर्चे के हिसाब का कोई भी दस्तावेज मुग़ल दरबार से बरामद नहीं हुआ।
3. महल एक संस्कृत शब्द है, और महल नाम की कोई भी इमारत मुस्लिम देशों में नहीं पायी जाती। इसके अलावा मुमताज़ नाम में से लिया ताज़ और ताज महल के नाम में जुड़े ताज , दो अलग अलग शब्द हैं। अगर महल को मुमताज़ का नाम दिया होता तो उसे ताज़महल कहते, न की ताजमहल। ताज़ और ताज में नुक्ते का फर्क है, जो उर्दू समझने और बोलने वाला इंसान आसानी से पहचान सकता है।
4. ताजमहल में घुसने से पहले जूते उतरवाए जाते हैं। अगर ताजमहल में मुमताज की कब्र है तो ये कब्रिस्तान हुआ। और कब्रिस्तान में नंगे पाँव नहीं घुसते। ऐसी प्रथा सिर्फ मंदिरों में होती है।
5. मिस्टर ओक लिखते हैं कि ताज महल का असली नाम तेजो महालय है, जो वैदिक काल का एक प्राचीन मंदिर है। ताज महल पर जो साँपों की डिज़ाइन बनी है, वो महज़ एक इत्तेफ़ाक़ नहीं है। तेजो महालय भगवान् नागनाथेश्वर का मंदिर हुआ करता था, जिसे शाहजहाँ ने जयपुर के महाराजा को आदेश देकर हथिया लिया था।
6. आगरा में जाट रहा करते थे, जो शिव के रूप में तेजाजी को पूजते थे। तेजाजी साँपों के देवता माने जाते हैं। जयपुर के महाराजा से मंदिर हथियाने के बाद शाह जहां ने इसका नाम ताज महल रख दिया।
7. आगरा के लोग पुराने समय से ही शिव भक्त थे। ख़ास करके सावन के महीने में पांच शिवलिंगों को पूजे बिना रात का खाना नहीं खाते थे। आज भी आगरा के कई लोग सावन के महीने में शिवलिंगों की पूजा करते हैं, मगर तेजो महालय के ताज महल बन जाने के बाद अब वो सिर्फ 4 शिवलिंगों की सेवा ही कर पाते हैं।
किताब पढ़ने के बाद मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अगले दिन मैं किसे देखने जा रहा था, ताज महल या तेजो महालय ?
आपका इस बारे में क्या कहना है ? कमेंट्स में बताइये।
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