ताहुली पीक: अनजाने रास्ते से तय किया गया अधुरा लेकिन अनोखा सफर

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Photo of ताहुली पीक: अनजाने रास्ते से तय किया गया अधुरा लेकिन अनोखा सफर by रोशन सास्तिक

मॉनसून के मौसम में महाराष्ट्र के सह्याद्री पर्वत स्वर्ग से ज्यादा सुंदर हो जाते हैं। और यही वजह है कि सह्याद्री के सटे शहरों में रहने वाले लोग हर साल मॉनसून का बेसब्री से इंतजार करते हैं। लेकिन कोरोना के पहली वेव के कारण पिछला मॉनसून पूरी तरह बर्बाद हो गया था। लगा कि इस साल का मॉनसून भी पिछली बार की ही तरह बर्बाद हो जाएगा। इसलिए मैंने इस बार पुलिस से घिरे रहने वाले फेमस टूरिस्ट प्लेसेस की बजाय ऑफबीट जगहों की सैर करने की ठानी। नतीजतन माथेरान जैसे फेमस हिल स्टेशन जाने की बजाय माथेरान हिल्स से जुड़े ताहुली पीक पर जाने प्लान किया। और वो भी ऐसे एक रास्ते से जहां से जाने का कोई ठीक-ठीक रास्ता भी नहीं है।

Photo of Badlapur, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक

मुंबई से करीब 50 किलोमीटर दूर ठाणे जिले में स्थित ताहुली पीक पर जाने के लिए दो परपंरागत रास्ते हैं। पहला रास्ता कुशीवली गाव, मलंग गढ़ की तरफ से है और दुसरा रास्ता सवरोली गांव, बदलापुर से है। लेकिन दोनों ही रास्तों पर पुलिस होने के चलते मैंने अपने अंदर एडवेंचर की आग को शांत करने के लिए ताहुली पीक से बनने वाले झरने के रास्ते से चढ़ाई करने की सोची। ताहुली पीक से गिरने वाला झरना पहाड़ से बहते-बहते अंबरनाथ-बदलापुर में जहां जमा होता है, वहां चिखलोली नाम का डैम बना हुआ है। और मैंने अपने सफर की शुरूआत इसी डैम से की। ऐसा सफर जिसके मंजिल का तो पता था लेकिन उस तक पहुंचने के सही रास्ते का कोई आइडिया नहीं था। इसलिए इस सफर के लिए मुझे सबसे पहले अपने एक ऐसे दोस्त को तैयार करना पड़ा जो एडवेंचर का सुख भोगने के खातिर बुरी से बुरी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हो। ऐसे वक्त करन ने मेरे साथ ताहुली पीक पर झरने के रास्ते चढ़ाई करने के पागलपन में शामिल होने की हामी भर दी।

Photo of Haji Malang, Trail - Steps to Haji Malang, Wadi, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Haji Malang, Trail - Steps to Haji Malang, Wadi, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Haji Malang, Trail - Steps to Haji Malang, Wadi, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक

सुबह करीब 10 बजे तक मैं और करन चिखलोली डैम पर पहुंच गए। लेकिन सफर की शुरूआत में ही एक बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई। दरअसल भारी बारिश के चलते डैम में इतना पानी भर गया था कि उसमें उतरकर ताहुली पीक की तरफ से बहकर आ रहे झरने से सफर स्टार्ट करना लगभग नामुमकिन लग रहा था। क्योंकि हम दोनों में से किसी को तैरना नहीं आता था और ना ही हमें पानी की गहराई का ही कोई अंदाजा था। इसलिए हमने पानी में उतरने की बजाय बगल की घनी और कांटेदार झाड़ियों से जाने की ठानी। क्योंकि अब जब घर से निकल ही गए थे तो शुरू में ही हार नहीं मान सकते थे। कांटेदार झाड़ियों से गुजरने के बाद किसी तरह हम उस राह पर आ गए, जहां से अब हमें बस आगे बढ़ते चले जाना था। और इसी के साथ ही ऊपर ताहुली पीक से बहकर आ रहे झरने की विपरित दिशा में चलते हुए ताहुली पीक तक पहुंचने की शुरूआत हो गई थी।

Photo of Tahuli Peak, Kushivali, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Tahuli Peak, Kushivali, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Tahuli Peak, Kushivali, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक

हम अभी मुश्किल से 15-20 मिनट ही चले थे कि रास्ते में अवरोध आ गया। दरअसल, बहते हुए पानी पर आगे हरे-हरे घास ने कब्जा कर लिया था। और हमें उन हरे-भरे घास के बीच से घुसकर जाना सुरक्षित नहीं लगा। इसलिए हमने फिर पानी से बाहर निकलकर जहां तक मुमकिन हो जमीन वाला रास्ते से जाना सही समझा। और हमारे इस फैसले की वजह से हमें उस रास्ते पर चलते हुए थोड़ी ही दूरी पर चारों तरफ से घिरा एक छोटा मगर बेहद खूबसूरत झरना नजर आ गया। चारों तरफ से घिरे होने का कारण झरने का बहुत ज्यादा शोर सुनने और अंधेरे में उसकी चमक देखने लायक थी। ऐसा लग रहा था कि यहां से आगे जाया ही नहीं जाए। लेकिन यह झरना मंजिल तक पहुंचने का खूबसूरत पड़ाव भर था मंजिल नहीं। इसलिए झरने की गोद में बैठकर ऊपर से नीचे गिरते पानी के शोर से पैदा होने वाले मधुर संगीत को सुनते हुए और नजारों को निहारते हुए चाय की चुस्की और वड़ा-पाव का स्वाद लेने के बाद हम यहां से आगे बढ़ गए।

Photo of Matheran Hill Station Municipal Council, Matheran, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Matheran Hill Station Municipal Council, Matheran, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Matheran Hill Station Municipal Council, Matheran, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक

अहा! पहाड़ से बहकर मैदान में जाते हुए पानी के पथरीले रास्ते से गुजरने का अद्भुत अहसास मैं चाहकर भी शब्दों के जरिए सही-सही बयां नहीं कर पा रहा हूं। पानी के बहाव से फिसलदार छोटे-बड़े पत्थरों पर चलते हुए बार-बार बैलेंस बिगड़ रहा था और हमें बार-बार छोटी-बड़ी चोट लग रही थी। लेकिन आंखों को जो नायाब नजारे नसीब हो रहे थे, उसे देखते हुए दर्द का भी अपना अलग ही मजा आ रहा था। पहाड़ी इलाके में रह-रहकर हो रही बारिश और बारिश के चलते हवा के चलने पर लगने वाली ठंड भी शरीर में एक अलग किस्म की गुदगुदी पैदा कर रही थी। बस, डर इस बात का था कि कहीं किसी जगह बैलेंस इतना न बिगड़ जाए कि कोई बड़ा हादसा हो जाए। क्योंकि आमतौर पर इस रास्ते से कोई आता नहीं। इसलिए चोट लगने की स्थिति में हमारे लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती थी।

Photo of Malang Gad, Trail - Steps to Haji Malang, Wadi, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Malang Gad, Trail - Steps to Haji Malang, Wadi, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक

वैसे, खतरा सिर्फ गिरकर घायल होने का ही नहीं था। जंगली इलाके से गुजरते हुए किसी जानवर से सामना होने का भी डर था। क्योंकि जिन रास्तों से इंसानों का आना-जाना नहीं होता वहां जानवरों के होने की संभावना ज्यादा रहती है। और तो और अगर 2 घंटे जोरदार बारिश हो जाती तो वहां फंसने का भी खतरा पैदा हो सकता था। क्योंकि कई ऐसी जगहें थी जो हमने कमर तक पानी में पार की थी। इसलिए अगर पानी और बढ़ जाता तो फिर तैरना न जानने वाले हम दोनों के लिए जानलेवा स्थिति भी पैदा हो सकती थी। इसके अलावा रास्ते भर हमें जंगली मच्छरों ने भी बहुत दर्द दिया। उनके डंक का दर्द अब भी याद आने पर दर्द देता है। इसलिए इन सब खतरों के देखते हुए मैं तो किसी को सजेस्ट नहीं करूंगा कि वो मॉनसून में ताहुली पीक पर ट्रेक के लिए कभी चिखलोली डैम से शुरू होने वाला ऑफबीट रास्ता चुने।

Photo of Badlapur, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Badlapur, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Badlapur, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक

सफर जारी है। कभी पानी की धाराओं को चिरते हुए और कभी जमीन पर हरे-भरे घास से गुजरते हुए हम धीरे-धीरे अपनी मंजिल ताहुली पीक की तरफ अपनी मस्ती में बढ़े चले जा रहे थे। और साथ ही साथ जिन शानदार लम्हों को हम जी रहे थे उन्हें हमेशा-हमेशा के लिए अपनी यादों के साथ-साथ डिजिटल दुनिया में संजोने के लिए कैमेर में कैद भी करते जा रहे थे। इसी बीच जब कुछ देर के लिए आसमान एकदम साफ हो गया, तब हमें हमारी मंजिल ताहुली पीक और उससे निकलकर बह रहे झरने का उदगम स्थल दिखाई देने लगा। हमने देखा कि कुछ दूरी के बाद झरना एक खड़ी चट्टान से नीचे गिर रहा है। यानी अब इस रास्ते से होकर और ज्यादा आगे नहीं जाया जा सकता है। लेकिन हमनें तय किया कि जहां तक भी संभव होगा हम आगे बढ़ते जाएंगे। और हम दोबारा कदमताल करते हुए आगे बढ़ने लगे।

Photo of Anand wadi waterfall , Neral, Maharashtra, Badlapur, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Anand wadi waterfall , Neral, Maharashtra, Badlapur, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Anand wadi waterfall , Neral, Maharashtra, Badlapur, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक

और फिर हमें कुछ ऐसा नजर आया, जिसने हमें बहुत खुश करने के साथ बहुत दुखी भी कर दिया। हमारी आंखों के सामने एक बहुत बड़ा झरना था। जो बहुत पास के होने बावजूद हमारी पहुंच से बहुत दूर था। दरअसल, एक छोटे झरने के दाएं-बाएं दोनों तरफ खड़ी चट्टान थी। उसके ऊपर बड़ा झरना और उससे बना एक बड़ा ही खूबसूरत कूंड नजर आ रहा था। स्थानीय लोग उस कुंड में छलांग मार-मारकर नहा रहे थे और हम दोनों जो दो घंटे से ज्यादा का कठिन सफर तय करके आए थे, उनके नसीब में सिवाय पास खड़े रहकर झरने को निहारने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं था। एक रास्ता था। हम थोड़ी हिम्मत कर सीधी-खड़ी चट्टान की चढ़ाई कर ऊपर जा सकते थे। लेकिन बारिश में काई की कमीज पहने चट्टान पर चढ़ने के दौरान पैर फिसलने के बाद हम थोड़ी ऊपर पहुंचने की बजाय सीधा एकदम ऊपर पहुंच जाते। इसलिए हमने सोचा, मौत का चारा बनने से अच्छा है कि हम बेचारे ही बने रहे। कम से कम सही सलामत घर जाना तो नसीब होगा।

Photo of Kalyan, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Kalyan, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक
Photo of Kalyan, Maharashtra, India by रोशन सास्तिक

वैसे जो नहीं मिला उसका गम मनाने की बजाय जो हासिल हुआ उसकी खुशी मनाने की सोच के साथ हमने वहीं बैठकर झरने को निहारने और बचा हुआ खाना खत्म करने का तय किया। हम झरने के क्रिस्टल क्लियर पानी से भरे कुंड में गांव के बच्चों को डूबकी लगाने को आनंद के साथ देखते हुए गरमागरम चाय और लगभग ठंडे हो गए प्याज के पकौड़े खाने लग गए। एक साथ नयन सुख और पेट पूजा करने के बाद हमने देखा कि घड़ी में चार बज गए हैं। तब हमने अंधेरा होने से पहले चिखलोली डैम तक लौटने के उद्देश्य से वापसी की तैयारी शुरू कर दी। लौटते वक्त मैं और करन दोनों बार-बार मुड़कर ताहुली पीक को देख रहे थे। हम दोनों के एक-दूसरे से कुछ कहां तो नहीं लेकिन दोनों के चेहरे के भाव एक से ही थे। जो खामोशी से यही कहानी कहने की कोशिश कर रहे थे कि मजा तो बहुत आया लेकिन अगर और आगे जाने का मौका मिलता तो बात कुछ और होती।

- रोशन सास्तिक

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