भारत का सुन्दर, कुदरती दृश्य के भरपूर प्रांत है, हिमाचल प्रदेश। हिमाचल में बहुत सी वादी, घाटी है, जो अपने आप में खास है जैसे कुल्लू वादी, चंबा वादी, मंडी वादी, कांगड़ा वादी आदि। इन सब वादियों में अद्भुत दृश्य है।
ऐसी एक खूबसूरत वादी है चंबा वादी। चंबा वैली में चंबा, डलहौजी, खज्जियार ,भरमौर, मणिमहेश, कालाटॉप, लकड़मंडी जैसे खुबसुरत हिल स्टेशन है।
बहुत सारे टूरिस्ट इन खूबसूरत वादियों को देखने के लिए आते है।
पंजाब से काफी निकट होने के कारण डलहौजी पंजाबियों की पहली पसंद है।
जो भी डलहौजी जाता है, वो खज्जियार को देखे बिना नहीं जाता। इसकी खुबसूरती सब का मन मोह लेती है।
इसी कारण इस को भारत का मिनी स्विटजर लैंड भी कहते है।
धोलाधार की पहाड़ियों में बसा खज्जियार भारत का लोक प्रिय हिल स्टेशन है।
आज के इस ब्लॉग में हम खज्जियार के बारे में जानेंगे।
क्या देखे
किस मौसम में जाए
कहां रहे
कैसे जाए
इन सब बातों के जवाब आप को यह ब्लॉग पढ़ने के बाद मिल जाएंगे।
देवदारों के लम्बे घने वृक्षों के बीच में एक मैदान है, जिसे चरागाह भी कहा जा सकता है, इस मैदान के बीचों बीच एक झील है, जिसका अपना धार्मिक महत्त्व है। ऐसी खुबसूरती को देखने के लिए सैलानियों का मेला लगा रहता है खज्जियार में।
सिर्फ़ यह ही नहीं खज्जियार एक वाइल्डलाइफ सेंचुरी ( wildlife sanctuary) भी है, पूरी तरह से प्राकृतिक माहौल आप को खज्जियार में देखने को मिल जाता है।
रात को बहुत सारे जंगली जानवर घूमते है। जिस में जंगली भालू प्रमुख है, जिसका परिमाण हमने सुबह होटल के डस्टबिन की उथल पुथल , सब कुछ बिखरा हुआ देखने के बाद जब होटल वालों से पूछा तब हमें पता चला रात्रि को जंगली भालू घूमने आते है, जो भी खाने को मिलता है वो खा जाते है।
इस लिए रात को बाहर निकलना खतरे से खाली नही होता।
दिन में आप को कुदरत अपने जोबन पर दिखाई देगी। सभी जगह आस पास हरे भरे वृक्ष दिखाई देगे, कही पहाड़ियों के बीच सुंदर छोटी सी पगडंडी दिखाई पढ़ती है।
किसी भी कोण से हमारा यह मिनी स्विटरजर लैंड कम नहीं है।
इसकी खुबसूरती को शब्दों में ब्यान नहीं किया जा सकता।
अब बात करते है खज्जियार की, जब आप खज्जियार जाएंगे , कौन सी आस पास सी जगह देख सकते है।
3- 4 दिन काफी है, खज्जियार घूमने के लिए।
निम्न लिखत अच्छी देखने योग्य जगह है खज्जियार के पास:
1. कालाटोप
2. डलहौजी
3. चमारा झील
4. खज्जियार झील
5. खज्जियार वाइल्डलाइफ सेंचुरी
1. काला टॉप:
कुदरत की गोद में बसा डलहौजी से ज्यादा ऊंचाई 2500 मीटर पर है कालाटोप जहां डलहौजी जैसा ट्रैफिक नही है। शांत , मन को सकून देने वाली जगह है। डलहौजी से लकड़मंडी जाते हुए उसके आगे 2 सड़क जाती है लकड़मंडी से, एक कालाटोप की तरफ़ एक खज्जियार की ओर।
कुदरती नजारों से भरा यह क्षेत्र आरक्षित है, जहां जाने के लिए पास की जरूरत पड़ती है जो 250 रुपए में लकडमंडी से बन जाता है। रहने के लिए हट मिल जाती है। जंगल में एडवेंचर एक्टिविटी करने के लिए यह जगह उत्तम है। हिमाचल टूरिज्म की जगह बनी है जो यह सब ऐक्टिविटी करवाते है, रहने के लिए, व्यू प्वाइंट जैसे सनसेट प्वाइंट आदि दिखाने के लिए काम करते है।
2. डलहौजी :
पंजाबियों की पहली पसंद डलहौजी की ऊंचाई 1970 मीटर है। सर्दियों में बर्फ का मजा लेने बहुत से सैलानी आते है।
डलहौजी में आप को सब कुछ मिल सकता है जैसे प्राकृतिक दृश्य, झरने, पहाड़ियों की खूबसूरत वादी, चर्च, बावली, वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी, पंचपुला के बाजार में शॉपिंग , ट्रैकिंग आदि।
लॉर्ड डलहौजी के बसाए इस शहर के लुभावने दृश्य मन को भा जाते है, जो भी एक बार यहां आ जाता है उसका मन बार बार आने को करता है।
डलहौजी शहर में देखने लायक जगह है :
सुभाष बावली, डेन कुंड, पोहलानी माता का मंदिर , पंचपूला, पंचपुला झरना, शहीद अजीत सिंह सामारिक , चर्च आदि।
डेन कुंड थोड़ी ऊंचाई पर होने के कारण वहां से खज्जियार झील का सुन्दर दृश्य दिखाई देता है।
3. चमारा झील:
डलहौजी से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर मानव निर्मित झील है जो चमारा dam के पास है। इस झील में। बोटिंग और ओर वाटर एक्टिविटीज होती है। बहुत सारे लोग जो डलहौजी आते है, यहा भी घूमने के लिए जाते है। यहां के दृश्य बहुत लुभावने है।
खज्जियार से चंबा जाते समय यह झील आती है।
इस झील की ऊंचाई 1525 मीटर है।
4. खज्जियार झील :
1920 मीटर ऊंचाई पर देवदारों के बीच है खज्जियार झील। इस झील का धार्मिक महत्व है, यहां पर मछली को पकड़ने की मनाही है। बहुत सारी मछली झुंड में दिखाई देती है। बैठने के लिए बैंच बने है, जिसके नीचे तक पानी आ जाता है। झील तक जाने के लिए एक फुटपाथ जैसा पुल बना है। लोग मछली को कुरकुरे जैसी खाने पीने की चीज़े डाल रहे थे, जिसे मछली भी मज़े से खा रही थी। हरे भरे बड़े से मैदान के बीच में है यह झील।
इसके आस पास एडवेंचर की एक्टिविटीज भी हो रही थी जैसे
हॉर्स राइडिंग
गुबारे में घूमना
पैराग्लाइडिंग आदि
आप को झील के आस पास खाने पीने की स्टाल मिल जायेगी जैसे फ्रूट चाट, कुलचा, भुटा , बेल पुरी, पानी पुरी , चाट, पॉप कार्न, मंचूरियन आदि।
खाना खाने के लिए झील के पास बहुत सारे होटल है।
फोटो खिंचवाने के लिए सस्ते में खरगोश, गुलदस्ते, हिमाचली ड्रेस आदि मिल जाता है।
ऐसे में आप अपनी शाम को खज्जियार में अच्छे से मना सकते है।
5. खज्जियार वाइल्डलाइफ सेंचुरी:
नेचर लवर्स के लिए यह जगह पहली पसन्द है, यहां पर फ्लोरा और फन्ना का अदभुत संगम देखने को मिलता है। यह रिमोट जगह है जहां कोई भी बिना पास लिए नही जा सकता, यह प्रोहिब्टेड जा कह लो प्रतिबिंदिंत क्षेत्र है। इस एरिया को जंगली जानवरों के लिए सुरक्षित रखा है। यह सेंचुरी कालाटोप सेंचुरी के नाम से भी प्रसिद्ध है।
यहां पर बांदर, लंगुर, लेपर्ड, चीता , भालू , गलिहरी, पंछी, गीदड़, लोमडी़, हिरण जैसे जानवर मिलते है।
रहने के लिए हिमाचल टूरिस्ट की हट भी मिल जाती है।
यह सेंचुरी 31 किलोमीटर तक फैली हुई है।
किस मौसम में जाएं:
वैसे तो सभी मौसम में जा सकते है, मगर यदि आप को स्नो का मजा लेना है तब आप दिसंबर से फरवरी में जाएं।
जून में भीड़ भाड़ ज्यादा होती है, अगर आप शांति पसंद करते है तब जून में मत जाएं।
कहां रहे :
रहने के सब बजट के होटल मिल जाते है। यदि ठंड का एहसास लेना हो तब कालाटोप जा खज्जियार में कमरा ले जो डलहौजी से थोड़ा ठंडा रहते है।
रहने के लिए ऑनलाइन बुकिंग भी कर सकते है।
कैसे जाएं:
पठानकोट से खज्जियार की दूरी 94 किलोमीटर है। सड़क की हालत अच्छी है, बस टैक्सी से भी जा सकते है।
पठानकोट ही निकट रेलवे स्टेशन है, जहां से टैक्सी बस मिल जाती है।
डलहौजी और चंबा तक भी बस मिल जाती है, वहां से टैक्सी लेकर खज्जियार जा सकते है।