स्वर्गरोहिणी: स्वर्ग जाने वाले उत्तराखंड के इस खूबसूरत और शानदार ट्रेक के बारे में सब कुछ जान लीजिए

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Photo of स्वर्गरोहिणी: स्वर्ग जाने वाले उत्तराखंड के इस खूबसूरत और शानदार ट्रेक के बारे में सब कुछ जान लीजिए by Rishabh Dev

भारत विविधताओं से भरा देश है। इस विविधता वाले देश में कई शानदार, सुंदर और अजब-गजब की जगहें हैं। कुछ जगहें तो ऐसी हैं जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएँगे। देवभूमि उत्तराखंड ऐसे ही क़िस्से और कहानियों वाली जगहों से भरी हुई है। उत्तराखंड में एक ऐसी ही जगह है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहाँ से आप और हम स्वर्ग जा सकते हैं। उत्तराखंड की इस दिलचस्प जगह का नाम है, स्वर्गरोहिणी। तो आइए आज आपको स्वर्ग की ओर जाने वाले रास्ते का सफ़र तय करते हैं।

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इस जगह के बारे में महाभारत काल से जुड़ी एक कथा है। कहा जाता है कि कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद पांडवों ने अपनी पत्नी द्रौपदी के साथ सन्यास ले लिया। अपने राज्य को छोड़कर सभी तपस्या के लिए चल पड़े। पांडव और द्रौपदी स्वर्ग की ओर जा रहे थे। कहा जाता है कि इस सफ़र में हिमालय में सबसे पहले द्रौपदी की मृत्यु हुई। इसके बारी-बारी से सहदेव, नकुल, अर्जुन और फिर भीम की मृत्यु हुई। सिर्फ युधिष्ठिर ही इसी रास्ते से स्वर्ग पहुँच पाए।

स्वर्गरोहिणी

कहा जाता ही कि स्वर्गरोहिणी एकमात्र वो जगह है, जहाँ से आप और हम बिना शरीर छोड़े स्वर्ग जा सकते हैं। स्वर्गरोहिणी उत्तराखंड के चमोली ज़िले में आता है। चमोली समुद्र तल से 17,987 फ़ीट की ऊँचाई पर स्थित है और समुद्र तल से स्वर्गरोहिणी की ऊँचाई 20,495 फ़ीट है। कहा जाता है कि बेहद सुंदर जगह पर जाने के लिए सबसे कठिन रास्ता तय करना पड़ता है। लगभग 10 दिन के इस ट्रेक में आपको अपनी ज़िंदगी का सार समझ आ जाएगा।

स्वर्गरोहिणी का ट्रेक कहाँ से करें? कहाँ पहुँचे? ट्रेक का रूट समेत सभी ज़रूरी जानकारी हम आपको दे देते हैं जिससे आपको इस ट्रेक को करने में कोई दिक़्क़त ना हो।

स्वर्गरोहिणी ट्रेक

दिन 1: हरिद्वार से जोशीमठ

ट्रेक से पहले आपको एक लंबी यात्रा करनी पड़ती है। दिल्ली से सबसे पहले हरिद्वार पहुँचिए। आप बस और ट्रेन किसी भी माध्यम से हरिद्वार पहुँच सकते हैं। हरिद्वार से जोशीमठ की दूरी लगभग 280 किमी. है। हरिद्वार से जोशीमठ क लिए आपको आराम से बस मिल जाएगी। जोशीमठ पहुँचने में आपको 10-11 घंटे का समय लगता है। रास्ते में देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग और चमोली जैसी शानदार जगहें मिलती हैं। जोशीमठ पहुँचने के बाद आराम करें और दिन भर की थकान को दूर करें।

दिन 2: जोशीमठ से बद्रीनाथ

सुबह नाश्ता करने के बाद जोशीमठ से बद्रीनाथ के लिए निकल पड़िए। जोशीमठ से बद्रीनाथ लगभग 45 किमी. की दूरी पर है। आपको बस से बद्रीनाथ पहुँचने में ज़्यादा समय नहीं लगेगा। बद्रीनाथ को पूरे दिन एक्सप्लोर करें और शाम को आरती में शामिल हो जाइए।

दिन 3: बद्रीनाथ से लक्ष्मीवन

अगले दिन गाड़ी से बद्रीनाथ से माणा गाँव पहुँचे। माणा गाँव इस इलाक़े में भारत का पहला गाँव है। माणा गाँव ही वो जगह है, जहां से स्वर्गरोहिणी का ट्रेक शुरू होता है। एक छोटी-सी हाइक करने के बाद आप वसुंधरा फ़ॉल्स पहुँचेंगे। यहाँ से आगे बढ़ने पर आपको समतोली में खूबसूरत घास के मैदान मिलेंगे। लक्ष्मीवन पहुँचने के बाद आप अपनी कैंप यहीं पर लगा सकते हैं। पहले दिन ट्रेक करने में थकान महसूस ज़रूर होगी।

दिन 4: लक्ष्मीवन से चक्रतीर्थ

अगले दिन ब्रेकफास्ट करने के बाद लक्ष्मीवन से आगे की यात्रा शुरू कीजिए। शुरू में आपको सहस्त्रधारा वाटरफॉल के लिए चढ़ाई करनी पड़ेगी। घाटी की चढ़ाई करने के बाद आपको चौखंबा और नीलकंठ समेत की पहाड़ियों के सुंदर नज़ारे देखने को मिलेंगे। इस दिन का ट्रेक थोड़ा कठिन और ऊँचाई बढ़ने से चलने में भी दिक़्क़त होगी। चक्रतीर्थ पहुँचने के बाद अपनी कैंप लगाइए और जमकर आराम करें।

दिन 5: चक्रतीर्थ से सतोपंथ ताल

चक्रतीर्थ से आपको सुबह थोड़ा जल्दी निकलना पड़ेगा क्योंकि इस दिन आपको कई कठिन पड़ाव पार करने पड़ेंगे। पहले आप पहाड़ की सबसे ऊँची चोटी पर पहुँचेंगे और फिर नीचे की तरफ़ उतरेंगे। तब जाकर आप सतोपंथ ताल पहुँचेंगे। ये झील पहाड़ों से घिरी हुई है और यहाँ से चौखंबा और नीलकंठ महादेव की चोटी भी दिखाई देगी। यहीं पर आप अपनी कैंप लगाइए और खाना खाने के बाद थकान मिटाइए।

दिन 6: सतोपंथ से चंद्रकुंड

अगले दिन सुबह जल्दी उठिए और चौखंबा पीक से उगते सूरज को देखिए। नाश्ता करने के बाद चन्द्रकुंड के लिए ट्रेक शुरू कीजिए। आप सतोपंथ ग्लेशियर के एक तरफ़ से गुजरेंगे। ग्लेशियर को पार करने के बाद बेहद खतरनाक रास्ता मिलेगा। थोड़ी ही लापारवाही या गलती हुई तो आपके लिए काफ़ी ख़तरनाक हो सकता है। इस इलाक़े को पार करने के बाद आप पहुँचेंगे चन्द्रताल। चन्द्रकुंड एक छोटी-सी लेक है। कहा जाता है कि यहाँ चन्द्रमा ध्यान करते हैं। पूर्णिमा के दिन ये लेक पानी से पूरी तरह से भरी रहती है। आप इस जगह के आसपास अपना कैंप लगा सकते हैं।

दिन 7: चन्द्रकुंड से सूर्यकुंड

अगले दिन जल्दी उठिए और चन्द्रकुंड से सूर्यकुंड की तरफ़ निकल पड़िए। आपको पूरे पहाड़ को पार करना होगा। ये रास्ता बिल्कुल भी आसान नहीं होगा। आपकी लंबी यात्रा के बाद आप सूर्यकुंड पहुँचेंगे। यहाँ से आपको चौखंबा औप किब्बर पर्वत दिखाई देगा। ऐसे सुंदर नज़ारे आप भूल नहीं पाएँगे। सूर्यकुंड के पास ही अपना कैंप लगाइए और रिलैक्स करिए।

दिन 8: आराम का दिन

अगले दिन आपको ना तो जल्दी उठना है और ना ही अपना कैंप हटाना है। दरअसल इतने दिन लगातार चलने के बाद एक पूरा दिन आराम के लिए रखा गया है ताकि आप अगले दिन की लंबी और कठिन चढ़ाई के लिए तैयार हो जाओ। आप इस दिन आसपास की जगह को एक्सप्लोर कर सकते है।

दिन 9: स्वर्गरोहिणी

अगले दिन सुबह उठिए और स्वर्गरोहिणी के लिए निकल पड़िए। सूर्यकुंड से स्वर्गरोहिणी ग्लेशियर का रास्ता बिल्कुल भी आसान नहीं है लेकिन आपको ये करना ही होगा। कई कठिन रास्तों से चलने के बाद आप स्वर्गरोहिणी ग्लेशियर पहुंचचेंगे। यहाँ से आपको वाक़ई में स्वर्ग की सीढ़ियाँ दिखाईं देगी। आपको विश्वास नहीं होगा कि सच में स्वर्ग की सीढ़ियाँ होती हैं। कुछ देर यहाँ ठहरने के बाद वापस सूर्यकुंड लौट आइए।

दिन 10: सूर्यकुंड से सतोपंथ

ट्रेकिंग में अपनी मंज़िल तक पहुँचना जितना ज़रूरी होता है, उससे भी ज़रूरी है कि लौटते समय अपने दिमाग़ को एकदम फ़िट रहें। लौटते समय आपको लगता है कि जल्दी से जल्दी नीचे पहुँच जाएँ। अगले दिन ब्रेकफास्ट करने के बाद सूर्यकुंड से सतोपंथ के लिए चलना शुरू करिए। शाम तक आप सतोपंथ पहुँच जाएँगे।

दिन 10: सतोपंथ से लक्ष्मीवन

अगले दिन सतोपंथ से लक्ष्मीवन के लिए निकल पड़िए। रास्ते में आपको चक्रतीर्थ भी मिलेगा। लक्ष्मीवन पहुँचने में आपको ज़्यादा समय नहीं लगेगा लेकिन कुछ जगहों पर रास्ता कठिन मिलेगा, जहां संभलकर चलने की ज़रूरत है। लक्ष्मीवन में कैंप लगाकर रात में आराम करिए।

दिन 11: लक्ष्मीवन से बद्रीनाथ

लक्ष्मीवन से पैदल चलकर आप सबसे पहले माणा गाँव पहुँचेंगे। यहाँ से आप गाड़ी से ड्राइव करके या किसी और वाहन से बद्रीनाथ पहुँच सकते हैं। इस तरह आपकी ट्रेकिंग पूरी होती है। बद्रीनाथ में आप मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। बद्रीनाथ में ही आप रात में ठहरिए।

दिन 12: बद्रीनाथ से हरिद्वार

अगले दिन बद्रीनाथ में मंदिर के दर्शन करने के बाद हरिद्वार के लिए निकल पड़िए। बद्रीनाथ से हरिद्वार पहुँचने में 12-13 घंटे लगेंगे। इस तरह स्वर्गरोहिणी की यात्रा पूरी होती है।

सुझाव:

1- ट्रेकिंग के लिए आप अपने साथ गर्म कपड़े और एक्सट्रा मोजे भी साथ में रखें।

2- आप अपने साथ पानी की बोतल और फ़र्स्ट एड किट रखना ना भूलें।

3- अपने बैगपैक में उतना ही सामान रखें, जो ज़रूरत का हो।

4- अपने साथ सनग्लास, रैन कवर और स्टिक समेत ट्रेकिंग के ज़रूरी सामान को रखना ना भूलें।

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