मेरे ख्याल से घूमना इस दुनिया में सबसे खूबसूरत काम है। घूमते हुए हमें लगता है कि हमारी ज़िंदगी और वक्त रुक गया है लेकिन असल में वक्त कभी नहीं रुकता। हमें किसी चीज़ की जल्दी नहीं होती लेकिन समय कब निकल गया पता ही नहीं चलता। मैं पिछले नौ दिनों से स्पीति में था लेकिन पता ही नहीं चला ये दिन कब और कैसे निकल गए। स्पीति में आखिरी नींद को तोड़ा अलार्म ने। जब नींद खुली तो घड़ी में 4ः30 बज रहे थे। 5ः30 बजे काज़ा बस स्टैंड पर खड़ा था। यहीं से मुझे दिल्ली के लिए बस पकड़नी थी।
मैं यहाँ अपनी नौ दिनों की यात्रा के बारे में सोच रहा था। लग रहा था वो कल की रात थी जब मैं दिल्ली से रेकाॅन्ग पियो के लिए निकला था। मैं अपने भारी बैग के साथ रेकाॅन्ग पियो जाने वाली बस का इंतज़ार कर रहा था। गर्म चाय की चुस्की लेते हुए मैं स्पीति वैली, मठों, लेक, बर्फ से ढंके पहाड़ के खूबसूरत नज़ारे जेहन में चल रहे थे।
मैं अपने खूबसूरत सफर की यादों में खोया हुआ था, तभी अचानक मुझे चिल्लाने की आवाज़ सुनाई दी। जहाँ से आवाज़ आ रही थी मैं उस ओर चल दिया। मैंने काउंटर पर देखा कि एक विदेशी कपल बस वालों से बहस कर रहा था। वो इसलिए बहस कर रहे थे क्योंकि लाइन में सबसे आगे होने पर भी उन्हें टिकट नहीं मिला। स्पीति के बेहद प्यारे और खूबसूरत होने के बावजूद मैं यहाँ के बदसूरत पहलू को नज़रअंदाज़ ना कर सका। उनमें से कुछ बदसूरत पहलू के बारे में यहाँ शेयर कर रहा हूँ।
1. इकलौती बस
2011 की भारतीय जनगणना के अनुसार, स्पीति घाटी की जनसंख्या 31,564 थी। घाटी का एकमात्र रास्ता जो पूरे साल खुला रहता है वो शिमला-रिकॉन्ग पियो-नाको-काज़ा से होकर जाता है। इसलिए सबको लगता है कि काज़ा और पियो के बीच चलने वाली बस सरकारी बस से अच्छी होगी।
अफसोस की बात ये है कि यहाँ की इकलौती बस सुबह 5ः30 बजे चलती है। जो नाको और स्पीति तक फेरी लगाती है। बस इतनी भरी होती है कि लोगों को बस की छत पर बैठकर जाना पड़ता है। इससे 12 घंटे की यात्रा सुविधाजनक तो कतई नहीं होती लेकिन खतरनाक उनके लिए होता है, जिनको खड़े होकर यात्रा करनी पड़ती है।
2. नाको में कोई अस्पताल नहीं
यहाँ तो कोई अस्पताल नहीं है जी और ना ही कोई डिस्पेंसरी है। यहाँ सब कुछ भगवान भरोसे है। नाको में हमारे होमस्टे के मालिक ने बातचीत करने पर ये बात तब बताई, जब हमारा एक साथी गंभीर रूप से बीमार हो गया। शुक्र है कि होमस्टे के मालिक का घरेलू नुस्खा काम कर गया। लेकिन मेरे साथी के बजाय कोई बच्चा होता तो क्या होता? अगर किसी को इमरजेंसी इलाज की ज़रूरत होगी तो क्या होगा? नाको से हाॅस्पिटल इतनी दूर है कि वहाँ पहुँचने में लगभग दो से तीन घंटे लगेंगे।
3. स्पीति में टैक्सी यूनियन का राज
मैं जिस साथी के साथ नाको में रूका था वो स्पीति में बाइक चलाने के लिए बहुत उत्साहित था। आखिर स्पीति को बिना बाइक के देखने में मज़ा क्या है? इसलिए काजडा बस स्टैंड पर उतरकर हमने किराए पर मिलने वाली बाइक की खोज शुरू कर दी। तब हमें बुरी खबर मिली कि दो दिन तक कोई बाइक उपलब्ध नहीं है। स्पीति टैक्सी यूनियन ने बाइकों पर 2 बाइक प्रति दिन किराए पर देने की लिमिट जो लगा रखी थी।
हमें बड़ा अजीब लग रहा था। लोग अपनी कार को छोड़कर स्पीति इसलिए आते हैं ताकि स्पीति की सड़कों पर बाइक चलाने का मज़ा ले सकें। अब हर कोई इसका आनंद नहीं ले सकता, सिर्फ टैक्सी यूनियन की वजह से। अब हमारे पास स्पीति को देखने के लिए टैक्सी के अलावा दूसरा रास्ता नहीं था।
4. पहले से ज्यादा भीड़
आखिरकार जब हम काज़ा पहुँचे, मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि हम पहुँच चुके हैं। आधुनिकीकरण के अलावा काज़ा की सड़कों पर बहुत भीड़ थी। किब्बर, कोमिक, लाग्ज़ा और चिचम विलेज जाने वाली रोड गाड़ियों से भरी हुई थी। मुझे ये बताने में कोई परेशानी नहीं है कि इस अनुभव के लिए मैं भी उतना ही जिम्मेदार हूँ जितना यहाँ की सड़कों पर दिखाई देना वाला शख्स।
हिक्किम में दुनिया का सबसे ऊँचा पोस्ट ऑफिस जू के टिकट काउंटर के तरह दिखाई देता है। इस दिन खूब बर्फबारी हो रही थी। शाम को हम काज़ा के एक फेमस रेस्तरां में गए। यहाँ म्यूज़िक बज रहा था। यहाँ का नज़ारा कुछ वैसा ही था, जैसा दिल्ली के हौज़ खास विलेज में होता है।
5. एटीएम आउट-ऑफ-सर्विस है!
अपनी यात्रा के पाँचवे दिन जब काजा पहुँचा तो मेरे पास जो कैश था खत्म हो रहा था। टैक्सी यूनियन के लिए गए पैसे की वजह से ऐसा हुआ था। हमारे पास अभी पैसा था लेकिन हमें लगा कि अभी निकाल लेना चाहिए ताकि बाद में दिक्कत ना हो। काज़ा में दो एटीएम थे और दोनों में बहुत लंबी लाइन लगी हुई थी।
मैं ये नहीं कह रहा हूँ कि एटीएम की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। लेकिन यहाँ जो एटीएम है उनमें कैश और आउट ऑफ सर्विस जैसी समस्या नहीं आनी चाहिए। यहाँ के एटीएम में आउट ऑफ सर्विस की प्राॅब्लम आती रहती है। मैं लकी था कि कई कोशिशों के बाद कैश निकल ही गया। लेकिन कई लोग ऐसे भी थे जिनको खाली हाथ लौटना पड़ा। आपको इस बात पर भी ध्यान दें कि काज़ा में ऑनलाइन बैंकिंग नहीं हो पाएगी क्योंकि यहाँ मोबाइल में इंटरनेट नहीं चलता। यहाँ बहुत कम रेस्रां हैं जहाँ वाई फाई की सुविधा मिलती है।
6. एचआरटीसी की दबंगई
स्पीति में मेरी आखिरी सुबह थी और मैं काज़ा बस स्टैंड पर खड़ा हुआ था। तमाम दिक्कतों के बावजूद मुझे स्पीति सुंदर ही लगा था। तब मुझे लोगों की बहस की तेज आवाजें सुनाई दीं। जैसा कि मैंने शुरू में बताया था। एक पोलिश कपल एचआरटीसी के अधिकारियों से बहस कर रहे थे। उनको टिकट इसलिए नहीं मिल पाया था क्योंकि एचआरटीसी के अधिकारियों ने टिकट को कल शाम को अवैध रूप से बेच दिया था। ऐसा नहीं होना चाहिए था क्योंकि बस का टिकट तो सुबह ही दिया जा सकता था। इस वजह से बहुत सारे टूरिस्टों को परेशानी हो रही थी।
उस विदेशी कपल ने बताया, पिछले तीन दिनों से वो काजा़ामें पैसा ना होने की वजह से बाहर नहीं जा पाए और टिकट की वजह से। आखिरकार कुछ टूरिस्टों, लोकल और मेरी मदद से वे हमारे साथ रेकाॅन्ग पियो तक टैक्सी शेयर कर रहे थे। मैं भी उसी कैब से आया जिसने मुझे अपनी मंजिल तक 10 घंटे में पहुँचा दिया।
मैं स्पीति की यादों को हमेशा सहेजना चाहता हूँ। हालांकि स्पीति में कुछ चीजें खराब थीं जिसने इस खूबसूरत वैली का बदसूरत पक्ष दिखाया। अक्सर लोग इस पक्ष को भूल जाते हैं। यहाँ के सरकारी विभाग और स्थानीय लोगों को यहाँ आने वाले टूरिस्टों के लिए इन खामियों को दूर करना चाहिए। इससे स्पीति घाटी और भी खूबसूरत लगने लगेगी।
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